ठेकेदार पर होगी एफआईआर: सड़क बनाने के लिए बिना अनुमति के ही 15 फीट तक खोद डाली 13 एकड़ सरकारी जमीन


राजनांदगांव। विवादों में रही उदयपुर-दनिया मार्ग में एक और विवाद जुड़ गया है। 27 किमी लंबी इस सड़क का निर्माण पहले से ही प्रभावितों को मुआवजा नहीं देने के मामले में विवाद में है। अब नया खुलासा यह हुआ है कि इस मार्ग के निर्माण के लिए सरकारी जमीन को बिना परमिशन के खोद दी गई है। मुरुम निकालने के लिए 15 फीट तक गड्ढा कर दिया गया है। यह कारनामा निर्माण करने वाले ठेकेदार ने किया है। इसकी जद में कुछ ग्रामीण भी आए हैं।

इसकी शिकायत के बाद मामले की जांच खनिज और राजस्व विभाग के अमले ने की है। विभागीय जानकारी के अनुसार मामले में एक-दो दिन में ठेकेदार पर एफआईआर दर्ज की जाएगी। चूंकि अवैध उत्खनन का मामला पुष्ट हो चुका है। ठेकेदार के द्वारा सरकारी जमीन के साथ-साथ किसानों की जमीन पर भी मुरुम का अवैध उत्खनन किया है। मामले में संघर्ष समिति के खम्मन ताम्रकार ने शिकायत की है। बिना अनुमति के अवैध उत्खनन के मामले में उन्होंने ठेकेदार और दोषी अफसरों पर कार्रवाई की मांग रखी है। अब तक यहां सड़क का निर्माण पूरा नहीं हुआ है। साथ ही ग्रामीणों को मुआवजा भी नहीं दिया गया है, इस वजह से यहां किसानों में आक्रोश की स्थिति देखी जा रही है।

छुईखदान-दनिया सड़क निर्माण रात में भी किया गया था। ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए मनमानी की गई। बचे हुए 3 किलोमीटर सड़क का निर्माण रात में किया गया। सीताडबरी, सिलपट्टी, पद्मावतीपुर सहित आधा दर्जन गांव में विरोध के चलते जहां काम रुक गए थे, वहीं उदान के बाद दनिया में जेसीबी मशीन लगा कर रातों रात लोगों की निजी और पट्टे वाली जमीन को सड़क निर्माण के लिए खोद दिया गया। एक तरह से प्रशासन ने एडीबी के अफसरों और ठेकेदार को पूरी तरह से छूट दे रखी है।
जानिए, कहां किस तरह की मनमानी की गई है
ग्रामीण और संघर्ष समिति के अध्यक्ष सुधीर गोलछा की मानें तो मैन्हर में करीब एक एकड़, बुंदेली में दो और उदयपुर में 10 एकड़ सरकारी जमीन पर मनमाने तरीके से खुदाई की गई है। यहां 10 से 15 फीट तक सरकारी जमीन को खोदकर मुरुम निकाला गया है। इसके अलावा निजी भूमि को खोदने की जानकारी मिली है। ठेकेदार ने तालाब तक को नहीं बख्शा है। इस वजह से ग्रामीणों में आक्रोश देखने मिल रहा है। मामले में जल्द कार्रवाई की मांग की गई है। इस सड़क से प्रभावित ग्रामीणों को अब तक मुआवजा नहीं मिल पाया है। लंबे समय से ग्रामीण मुआवजे के लिए संघर्षरत हैं। नया जिला बनने के बाद भी इस प्रकरण में किसी तरह की तेजी नहीं आ पाई है। पूर्व में प्रभावित किसानों ने कलेक्टर से भी गुहार लगाई थी, उन्होंने जल्द से जल्द मुआवजा स्वीकृत कराने आश्वासन तो दिया लेकिन इस पर अमल अब तक नहीं हो पाया है। प्रक्रिया फाइलों में कैद है और ग्रामीण मुआवजे का इंतजार कर रहे।
