लिव इन रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन की मांग सुप्रीम कोर्ट से खारिज, बताया बेकार आइडिया


नई दिल्ली। लिव इन रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन की मांग करने वाली एक पीआईएल सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि यह बेकार का आइडिया है। कोर्ट ने कहा कि आप लिव इन में रहने वाले लोगों की सुरक्षा के लिए ऐसा करवाना चाहते हैं या फिर उन्हें साथ में रहने ही नहीं देना चाहते?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस तरह की फर्जी याचिकाओं पर जुर्माना लगाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि आखिर लिव इन रिलेशनशिप में केंद्र की क्या भूमिका हो सकती है। इस याचिका में कहा गया था कि लिव इन रिलेशनशिप केलिए भी गाइडलाइन जारी की जाएं जिससे कि अपराध ना हों। इस तरह के संबंधों में बढ़ते अपराधों को देखते हुए यह याचिका फाइल की गई थी। बता दें कि हाल ही में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें लिव इन पार्टनर ने ही अपने पार्टनर की हत्या कर दी। आफताब और श्रद्धा के मामले के बाद दिल्ली में ही निक्की यादव की भी हत्या की गई थी।

सुनवाई के दौरान सीजेआई ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि आखिर आपके हिसाब से लिव इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन कहां होना चाहिए। इसपर वकील ने कहा कि इसका इंतजाम केंद्र सरकार को करना चाहिए। यह तर्क सुनते ही कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी और फटकार भी लगाई। यह पीआईएल ममता रानी ने फाइल की थी। ममता रानी का कहना था कि लिवइन रिलेशन में रहने की जानकारी पुलिस के पास होनी चाहिए। इसके अलावा सरकार के पास भी आँकड़े होने चाहिए कि कितने लोग लिवइन रिलेशनशिप में रह रहे हैं। उनका कहना था कि लिव इन रिलेशन की रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था करके ही इस काम को किया जा सकता है। याचिकाकर्ता ने कहा था कि कोर्ट ने कई बार लिव इन रिलेशन में रहने वाले लोगों को सुरक्षा दी है।
