सुआ नाच के कथित वर्ल्ड रिकार्ड पर उठा प्रश्न! जूरी सदस्य ने फेसबुक में की उजागर रिकार्ड की हकीकत
दुर्ग! तीन साल पहले 29 अक्टूबर 2017 को रविशंकर स्टेडियम दुर्ग में कथित रूप से सुआ नाच का वर्ल्ड रिकार्ड घोषित किया गया था ! उस तथाकथित वर्ल्ड रिकार्ड के एक जूरी सदस्य के रूप में उपस्थित पवन केसवानी ने अपनी फेसबुक टाइमलाइन में लिखी गई एक पोस्ट के माध्यम से बड़ा खुलासा किया है ! वह पोस्ट शब्दशः कुछ इस तरह से लिखी गई है
वो आज की तारीख थी,
जिसका मुझे बहुत अफसोस है ….😊
ये मौका था दुर्ग में सुआ नृत्य के वर्ल्ड रिकार्ड के प्रमाण पत्र देने का !
जहां गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की एशिया हेड डॉक्टर मनीष विश्नोई सर्टिफिकेट दे रहे थे !
उस वक्त मैं वर्ल्ड रिकार्ड टीम के स्टेट हेड रूप में मंच पर था !
मुझे अच्छी मालूम है किन शर्तों में सुआ नृत्य का वह वर्ल्ड रिकॉर्ड घोषित किया गया था, जिससे मैं कदापि सहमत नहीं था !
दरअसल उस वक्त डॉ मनीष विश्नोई ने हजारों लोगों की भीड़ को संबोधित करते हुए कहा था कि,
“अभी हमने “हेड काउंटिंग” नहीं की है इसलिए हम फिलहाल रिकॉर्ड घोषित नहीं करेंगे”
लेकिन महज 5 मिनट में ऐसा कुछ हुआ कि, यह तस्वीर आपके सामने आ गई और वर्ल्ड रिकॉर्ड घोषित हो गया”….!!
मेरे पास उस वक्त की वीडियो फुटेज और बहुत से प्रमाण भी है !
जैसा कि, तस्वीर में साफ नजर आ रहा है कि, तत्कालीन मुखमन्त्री रमन सिंह की विशेष उपस्तिथि में डॉ सरोज पांडे को डॉ मनीष विश्नोई द्वारा वर्ल्ड रिकार्ड का प्रमाणपत्र सौंपा जा रहा है !
इस मौके पर मैं भी नजर आ रहा हूं जहां मेरे पीछे खड़े दिख रहे हैं तत्कालीन वरिष्ठ मंत्रीगण राजेश मुणत, अजय चंद्राकर और पुन्नूलाल मोहले…!
इसके अलावा मंच पर उस समय के भाजपा प्रदेशाध्यक्ष धरमलाल कौशिक, सांसद राम विचार नेताम, मंत्री रामशीला साहू, विधायकगण विद्यारतन भसीन,अवधेश चंदेल आदि….!
सुआ नृत्य हमारी गौरवशाली छत्तीसगढ़ी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है इसका विशेष आध्यात्मिक महत्व भी है !
इसे लेकर जिन परिस्थितियों में 29 अक्टूबर, 2017 में वर्ल्ड रिकॉर्ड दिया गया, मैं उससे सहमत नहीं हूं !
उस वक्त कुछ लोगों ने प्रश्न खड़े किए थे कि, क्या वाकई सुआ नृत्य हुआ भी था ?
ऐसी तमाम बातों के कई राज मेरे हृदय में बार-बार टिस पैदा करते हैं !
कई बार जीवन में ऐसे मौके आते हैं, जब हम किसी विषय वस्तु से असहमत रहते हैं, लेकिन हमारी उस असहमति के बावजूद हमारे मौन को ही सहमति मान लिया जाता है….!!
सो, मैंने अब निश्चय कर लिया है कि मैं अब चुप नहीं बैठूंगा !
चाहे कोई राष्ट्रीय नेत्री के समर्थक मुझे कितनी भी जान से मारने की धमकी दे दें !
जय श्री राम !
इस पोस्ट के कमेन्ट बॉक्स में सरोज पाण्डेय के कतिपय समर्थकों द्वारा पवन केसवानी से तीन साल बाद इस घटना को उजागर करने के विरुद्ध प्रश्न भी खड़ा किया ! जिसके प्रतिउत्तर में पवन केसवानी ने लिखा – हर बार परिस्थितियां अनुकूल नहीं होती !
वैसे यह कहावत भी यूं ही नहीं बनी कि
“जब आंख खोलो तभी सवेरा”