कोरोना टीकाकरण: दिल्ली में पहले चरण में 20 से 25 फीसदी आबादी को किया जाएगा शामिल

दिल्ली!  पहले चरण में हर चौथे व्यक्ति को कोरोना वायरस का टीका लगेगा। वैक्सीन आने से पहले सरकार ने सभी प्रारंभिक तैयारियां पूरी कर ली हैं। राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में टीके का भंडारण किया जाएगा और मोहल्ला से लेकर पॉलीक्लीनिक तक में टीकाकरण चलेगा। पहले चरण में दिल्ली की कुल आबादी में से 20 से 25 फीसदी को टीकाकरण के लिए चयनित किया जाएगा।

दिल्ली स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वैक्सीन को लेकर सभी तैयारियां केंद्र सरकार के निर्देश पर की जा रही हैं। केंद्र ने देश में 25 से 30 करोड़ लोगों का समूह बनाकर सबसे पहले टीका लगाने का फैसला लिया है। इसके तहत बीते अक्तूबर माह में समूह बनाने के निर्देश मिले थे। इसे लेकर यह फैसला लिया गया है कि पहले चरण में 20 से 25 फीसदी आबादी को सबसे पहले टीका लगना जरूरी है।
क्योंकि दूसरे राज्यों की तुलना में दिल्ली के अधिकतर लोग जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां जैसे मधुमेह, बीपी, कैंसर, हार्ट, किडनी, लिवर रोग इत्यादि से ग्रस्त हैं। दिल्ली की कुल आबादी करीब दो करोड़ है। इस हिसाब से दिल्ली में 40 से 50 लाख लोगों को टीका लगना जरूरी है। दिल्ली स्वास्थ्य विभाग के अनुसार सभी तरह के चिकित्सीय संस्थानों की संख्या करीब 745 है। एक दिन में यहां 10 लाख से भी अधिक लोगों को टीका लगाया जा सकता है।
हाल ही में केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि देश के सभी व्यक्तियों को कोरोना वायरस का टीका लगाने की जरूरत नहीं है। हालांकि दिल्ली सरकार इस फैसले से संतुष्ट नहीं है लेकिन अधिकारियों का कहना है कि अगर सभी को टीका नहीं मिलता है तो कम से कम 20 से 25 फीसदी को टीका लगना ही चाहिए।

टीकाकरण की सभी तैयारियां पूरी
वहीं एक अन्य अधिकारी ने बताया कि दिल्ली में टीकाकरण के पहले चरण की तैयारी पूरी हो चुकी है। चूंकि दिल्ली में पहले भी इंद्रधनुष, रुबेला, पोलिया जैसे टीकाकरण कार्यक्रम संचालित हो चुके हैं। ऐसे में जमीनी स्तर पर पहले से ही सरकार की तैयारियां हैं। रहा सवाल कर्मचारियों का तो दिल्ली सरकार के साथ साथ नगर निगम के कर्मचारियों, आशा, एएनएम और आंगनबाड़ी कर्मचारियों को भी इस कार्य में लगाया जा सकता है।

दरअसल दिल्ली सरकार का कहना है कि टीका मिलने के दो से तीन हफ्ते में ही पूरी दिल्ली को कोरोना वायरस का टीका लगाया जा सकता है। इसके पीछे सबसे बड़ी सफलता चिकित्सीय बुनियादी ढांचे की है। दिल्ली के पास मोहल्ला क्लीनिक और पर्याप्त मात्रा में पॉलीक्लिनिक होने से यह आसान हो सकता है। खुद स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन कह चुके हैं कि दिल्ली के सभी लोगों को कोरोना वायरस का टीका मिलना चाहिए। हालांकि टीका को लेकर सभी निर्देश केंद्र सरकार को ही तय करने हैं लेकिन दिल्ली सरकार का मानना है कि टीका आने के बाद दिल्ली का हर व्यक्ति उसका अधिकार रखता है।

इसलिए तीन हफ्ते में पूरी दिल्ली को लग सकता है टीका
चिकित्सीय सेवाओं को लेकर दिल्ली में बुनियादी ढांचे की कमी नहीं है। केंद्र सरकार के चार बड़े अस्पताल एम्स, सफदरजंग, आरएमएल और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के अलावा 37 दिल्ली सरकार के अस्पताल हैं। इनके अलावा नगर निगम के तीन बड़े अस्पताल हैं। इनके अलावा 200 से अधिक मोहल्ला क्लीनिक, 24 पॉलीक्लीनिक, 180 डिस्पेंसरी, 105 होम्योपैथी, 44 आयुर्वेद और 22 यूनानी चिकित्सा की डिस्पेंसरी हैं। 24 मोबाइल हेल्थ क्लीनिक के साथ साथ 50 उप स्वास्थ्य केंद्र भी हैं। इन सभी जगह टीकाकरण के लिए शिविर लगाया जाता है तो एक दिन में करीब 10 लाख से अधिक लोगों को टीका लगाया जा सकता है।

क्यों जरूरी है सभी को टीका?
दिल्ली सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि राजधानी में अब तक 9 हजार से भी ज्यादा लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है। सभी 11 जिलों में अब तक साढ़े पांच हजार से ज्यादा कंटेनमेंट जोन बनाए जा चुके हैं। दिल्ली में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या भी 5.75 लाख से अधिक है। ऐसे में अगर कंटेनमेंट जोन को ही कवर करें तो दिल्ली में कम से कम 10 लाख लोग टीका के लिए योग्य हैं। सीरो सर्वे के अब तक के परिणामों से स्पष्ट है कि दिल्ली की करीब एक चौथाई आबादी संक्रमण के दायरे में आ चुकी है। इन्हीं आंकड़ों के मद्देनजर दिल्ली के हर व्यक्ति को कोरोना का टीका लगना जरूरी है।

इन्हें मिलेंगी प्राथमिकता

सरकारी और निजी क्षेत्र के स्वास्थ्य कर्मचारी
मधुमेह, बीपी, कैंसर, हार्ट, किडनी और लिवर जैसी बीमारियों से ग्रस्त मरीज
55 से अधिक उम्र के लोग
दस साल से कम उम्र के बच्चे
गर्भवती महिलाएं

 

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