कृषि कानून वापस लेने की मांग पर किसान सभा ने किया गांव-गांव में प्रदर्शन

रायपुर। अखिल भारतीय किसान सभा के आह्वान पर आज पूरे देश में किसान विरोधी कानूनों को रद्द करने की मांग पर तथा सरकार के अड़ियल रवैये के खिलाफ देशव्यापी विरोध दिवस मनाया गया। इस आह्वान का पालन करते हुए

छत्तीसगढ़ किसान सभा के कार्यकर्ताओं द्वारा बस्तर से लेकर सरगुजा और कोरबा तक गांव-गांव में प्रदर्शन किए गए तथा मोदी के पुतले जलाए गए। अभी तक किसान सभा राज्य केंद्र पर 10 से ज्यादा जिलों से विरोध प्रदर्शन की खबरें पहुंची हैं। आज यहां जारी एक बयान में छग किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने इन विरोध प्रदर्शनों के वीडियो और तस्वीरें जारी करते हुए बताया कि आज प्रदेश में सैकड़ों गांवों में ये विरोध प्रदर्शन आयोजित किये गए तथा मोदी के पुतले और कृषि कानूनों की प्रतियां जलाई गई।

 

उन्होंने कहा कि देश की आम जनता और किसान समुदाय इन कृषि विरोधी काले कानूनों को मानने के लिए तैयार नहीं हैं, क्योंकि ये कानून न केवल हमारे देश की कृषि को बर्बाद करते हैं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी कॉर्पोरट क्षेत्र के हवाले करते हैं।इन कानूनों से देश की खाद्यान्न आत्मनिर्भरता और नागरिकों की खाद्यान्न सुरक्षा भी खतरे में पड़ गई है। उन्होंने कहा कि जैसे जिंदगी और मौत के बीच कोई रास्ता नहीं होता, वैसे ही इन काले कानूनों को वापस लेने के सिवाय और कोई चारा नहीं हैं, क्योंकि सरकार द्वारा प्रस्तावित कोई संशोधन इन कानूनों के कॉर्पोरेटपरस्त चरित्र को नहीं बदल सकता। उन्होंने इन कानूनों को रद्द करके स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार सी-लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य के रूप में देने का कानून बनाने और किसानों को कर्जमुक्त करने के लिए पहल करने की मांग की। किसान सभा नेताओं ने देशव्यापी आंदोलन पर सरकार के दमनकारी रूख की तीखी निंदा की तथा कहा कि एक ओर 14 दिसम्बर को राष्ट्रीय राज्य मार्गों पर जमे किसान दिल्ली की ओर कूच करेंगे, वहीं दूसरी ओर उनके समर्थन में पूरे प्रदेश में छत्तीसगढ़ किसान सभा, आदिवासी एकता महासभा सहित छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के घटक संगठनों द्वारा उग्र आंदोलन की कार्यवाही की जाएगी।