अपने बूते ही धान खरीद रही है, अब केंद्र सरकार इसमें ऐसे अड़ंगे न लगाए – सरकार

रायपुर। धान खरीदी को लेकर राज्य और केंद्र सरकार के बीच राजनीतिक हितों का टकराव जारी है। छत्तीसगढ़ सरकार किसानों को धान का मूल्य 2500 रुपया प्रति क्विंटल देने का दावा कर रही है। इसके लिए उसने राजीव गांधी किसान न्याय योजना चला रखी है जिसमें किसानों को प्रति एकड़ 10 हजार देने की व्यवस्था है। केंद्र सरकार इसे बोनस मान रही है, जिसपर वहां से रोक लगी हुई है।

हंगामा तब मचा जब एक महीने की खरीदी के बाद भी केंद्र सरकार ने एक दाना चावल भी सेंट्रल पूल में नहीं लिया। ऐसी हालत में राज्य के खरीदी केंद्रों पर धाम जाम हो गया और खरीदी प्रभावित हुई। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री से फोन पर बात कर हस्तक्षेप करने को कहा। अब पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है, कांग्रेस ने केंद्र सरकार से पूछकर धान का दाम प्रति क्विंटल 2500 रुपया देने की घोषणा की नहीं थी। अब वह केंद्र सरकार की मदद क्यों चाहती है। वहीं प्रदेश के वन, आवास एवं पर्यावरण मंत्री तथा राज्य सरकार के प्रवक्ता मोहम्मद अकबर ने कहा है, राज्य सरकार अपने बूते ही किसानों से धान खरीद रही है। केंद्र सरकार इसमें अड़ंगा न लगाए।
डॉ. रमन सिंह ने कहा, प्रदेश सरकार ने 2500रुपए में धान खरीदने की घोषणा केंद्र सरकार से तो पूछकर की नहीं थी। अब समर्थन मूल्य के अलावा किसानों को जो राशि प्रदेश सरकार दे रही है, वह योजना भी केंद्र सरकार से पूछकर नहीं बनाई थी। बोनस संबंधी केंद्र सरकार की नीति के बारे में इनको पहले से पता था। इसके बावजूद राज्य सरकार केंद्र के खिलाफ बयानबाजी कर रही है। रमन सिंह ने कहा, ऐसे बयानों से केंद्र की नीतियां नहीं बदला करतीं।

डॉ. रमन सिंह ने कहा, अब तो प्रदेश सरकार को अपना वादा पूरा करना चाहिए। ये लोग इधर-उधर की बातें बनाकर किसानों से किए वादे से बचने की कोशिश न करें। प्रदेश सरकार अपने वादे के मुताबिक 2500 रुपया प्रति क्विंटल की दर से किसानों का धान खरीदे। केंद्र सरकार अपनी ओर से यथासंभव इसमें सहयोग करेगी। डॉ. रमन सिंह ने कहा, आज तक छत्तीसगढ़ के किसानों को पिछले वर्ष के धान का पूरा भुगतान नहीं मिला है। यह आरोप मैंने विधानसभा में लगाया था और अभी भी अपनी उस बात पर कायम हूं।

वन, आवास एवं परिवहन मंत्री व राज्य सरकार के प्रवक्ता मोहम्मद अकबर ने रमन सिंह के आरोपों पर तीखा पलटवार किया है। मोहम्मद अकबर ने कहा, इस मामले में कांग्रेस कोई राजनीति नहीं कर रही है। राजनीति और षड़यंत्र भाजपा का है। उन्होंने कहा, केंद्र सरकार ने 60 लाख मीट्रिक टन चावल लेने की सहमति दी थी। जब खरीदी शुरू हो गई तो केंद्र सरकार के रुख में परिवर्तन आया है।
मोहम्मद अकबर ने कहा, हम हर हाल में किसानों को 2500 रुपए प्रति क्विंटल का मूल्य देंगे। कांग्रेस तो इसे स्वीकार कर रही है। उन्होंने कहा, पिछले साल समर्थन मूल्य 1815 रुपया प्रति क्विंटल की दर से खरीदी हुई। शेष 685 रुपए की राशि राजीव गांधी किसान न्याय योजना के जरिए दी गई। उन्होंने कहा, राज्य सरकार अपने बूते ही धान खरीद रही है, अब केंद्र सरकार इसमें ऐसे अड़ंगे न लगाए।

समितियों में जाम हो गया है धान – रमन सिंह

समितियों में धान जाम हो गया है। अफसरों और मुख्यमंत्री को समझ नहीं आ रहा है कि इस धान को लिफ्ट कर संग्रहण केंद्रों तक पहुंचाया जाना चाहिए। इन केंद्रों की क्षमता 35 लाख मीट्रिक टन है। अभी तक 02 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा धान संग्रहण केंद्रों तक नहीं पहुंचा है। हमारे शासनकाल में बफर लिमिट कभी 10 फीसदी से अधिक नहीं हुआ। आज बफर स्टॉक 66 फीसदी तक है।

चावल जमा होगा तब तो खाली होंगी समितियां – मोहम्मद अकबर

इस बार 90 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान खरीदी का लक्ष्य है। केंद्र सरकार ने 60 लाख मीट्रिक टन चावल लेने की सहमति दी थी। खरीदी शुरू होने के एक महीने बाद तक उन्होंने एक दाना चावल भी जमा करने की अनुमति नहीं दी थी। रविवार को 24 लाख मीट्रिक टन चावल के लिए अनुमति मिली है। चावल जमा होगा तो 2306 खरीदी केंद्रों से धान के उठाव में तेजी आएगी।

इधर खरीदी केंद्रों पर सामान्य होने लगे हालात

इस बीच धान खरीदी केंद्रों पर हालात सामान्य होने लगे हैं। प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति, भाठागांव के प्रभारी डीएन इंदौरिया ने बताया, उनके यहां खरीदी प्रभावित नहीं हुई है। धान का उठाव भी समय-समय पर हो रहा है। इस समिति ने अभी तक 103 किसानों से 3 हजार 67 क्विंटल धान खरीदा है। इसमें से 1480 क्विंटल धान संग्रहण केंद्रों को चला गया है। इस केंद्र से धान की आखिरी खेप एक जनवरी को गई थी।

खाद्य विभाग ने बताया, 04 जनवरी तक 54 लाख 65 हजार 420 मीट्रिक धान की खरीदी हो चुकी थी। इसे 13 लाख 92 हजार 458 किसानों से खरीदा गया है। कस्टम मिलिंग के लिए 17 लाख 33 हजार 886 मीट्रिक टन धान का डीओ जारी हो चुका है। वहीं मिलरों ने 14 लाख 10 हजार मीट्रिक टन धान का उठाव कर लिया है।

विवाद की जड़ में धान का दाम

केंद्र और राज्य सरकार के बीच पूरा विवाद धान की कीमत से जुड़ा हुआ है। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार धान उत्पादक किसानों को प्रति क्विंटल 300 रुपया बोनस देती थी। यह समर्थन मूल्य के अतिरिक्त था। 2015 में केंद्र की भाजपा सरकार ने अनाज उत्पादन पर बोनस देने से मना कर दिया। उनका कहना था, राज्यों ने बोनस दिया तो केंद्र उनका चावल नहीं लेगा। ऐसे में तत्कालीन भाजपा सरकार ने बोनस बंद कर दिया। किसानों का घाटा महसूस हुआ और आंदोलन शुरू हो गए। विधानसभा चुनाव से एक साल पहले वोटबैंक का हवाला देकर भाजपा यह नियम शिथिल कराने में सफल रही। 2017-18 में किसानों को बोनस दिया गया।

इधर कांग्रेस ने किसानों से वादा किया कि वह सत्ता में आई तो प्रति क्विंटल 2500 में धान खरीदेंगे। यह बात असर कर गई। भारी बहुमत से कांग्रेस की सरकार बनी। 2500 रुपए में खरीदी की नीति बनी। पहले वर्ष खरीदी में कोई परेशानी नहीं आई। दूसरे वर्ष केंद्र सरकार ने बोनस की स्थिति में चावल लेने से साफ इन्कार कर दिया। कई दौर की बातचीत के बाद भी हालात नहीं सुधरे तो राज्य सरकार ने राजीव गांधी किसान न्याय योजना नाम से इनपुट सहायता योजना शुरू की। इसके तहत किसानों को प्रति एकड़ 10 हजार रुपए नकद राशि दी जाती है। केंद्र सरकार इसे भी बोनस मान रही है।

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