बड़ी छापेमारी: 3 कारोबारी समूहों से 1500 करोड़ की अघोषित सम्पत्ति का खुलासा

जयपुर। राज्य में सिल्वर आर्ट ग्रुप, चौरडिया ग्रुप और गोकुल कृपा कारोबारी समूहों पर आयकर विभाग की सबसे बड़ी कार्रवाई में 1500 करोड़ की अघोषित सम्पत्ति का खुलासा हुआ है। आयकर विभाग की 40 टीमों के तहत 200 अधिकारियों व कर्मचारियों ने आधे से ज्यादा ठिकानों पर कार्रवाई पूरी कर ली है।

ज्वैलर व हैंडीक्राफ्ट सूमह के आवास व कारखानों पर आयकर विभाग की कार्रवाई चल रही है। मंगलवार तडक़े से शुरू हुई इस कार्रवाई में अब तक 1500 करोड़ रुपए की अघोषित संपत्ति का खुलासा हो चुका है। माना जा रहा है कि तीनों करोबारी समूहों के यहां अघोषित लेन-देन का मामला करीब पौने दो हजार करोड़ तक पहुंच सकता है।

इन तीनों घरों पर कार्रवाई का दौर शनिवार को पांचवें दिन समाप्त हो सकता है। इसके बाद आयकर विभाग के अधिकारी कागजातों की पड़ताल कर टैक्स चोरी की गणना करेंगे। इन समूहों के व्यावसायिक प्रतिष्ठान और घरों से आयकर विभाग ने सीसीटीवी फुटेज भी जब्त किए हैं।

 

मिली गुप्त सुरंग –

आयकर विभाग की टीम को ज्वैलरी व्यवसायी के घर पर एक सुरंग नुमा तहखाना मिला। जिसमें 15 बोरे आर्ट ज्वेलरी व एंटीक सामान और लेनदेन व संपत्तियों के दस्तावेज मिले हैं। जिसके अनुसार ज्वैलरी विभाग सिल्वर आर्ट गु्रप कीमती पत्थरों, आभूषणों, प्राचीन वस्तुओं, हस्तशिल्प, कालीन, वस्त्र का व्यवसाय करता है।

सुरंग में सोने-चांदी के आभूषण, एंटीक सामान, आर्ट ज्वैलरी के 525 करोड़ के अघोषित लेनदेन व बैनामी सम्पत्ति का पता चला है। वहीं करीब सवा सौ करोड़ रुपए का ऋण बाजार में देकर ब्याज के रूप में बड़ा मुनाफा कमाने की बात सामने आई है।

ज्वैलर के घर स्थित गुफा में मिले दस्तावेजों में अल्फा-न्यूमेरिक सीक्रेट कोड के भारी पैमाने पर दस्तावेज मिल रहे हैं। इन सीक्रेट कोड में ही प्रत्येक आइटम पर वास्तविक बिक्री की कीमत छुपी हुई है। आयकर विभाग की टीमें इन सीक्रेट कोड्स को डी-कोड करने में जुटी हुई हैं। सुरंग से दो हार्ड-डिस्क और पेन-ड्राइव भी मिलीं।

जिनमें कोड के रूप में विभिन्न वस्तुओं का विवरण था। समूह के ठिकानों से मिले दस्तावेजों में विदेशी यात्रियों को बड़ी कीमतों पर बेची गई ज्वैलरी का खुलासा हुआ है। जौहरी समूह ने विभिन्न व्यक्तियों को नकद ऋण दिया था, जिसकी राशि 122.67 करोड़ रुपए है। उस पर बेहिसाब ब्याज भी कमाया है।
आयकर विभाग टीम की बिल्डर के आवास व कार्यालय पर कार्रवाई चल रही है। सर्च में बेहिसाब रसीदें, अघोषित संपत्तियों की डिटेल, नकद ऋण और एडंवास के अलावा लेने-देने का रिकार्ड जब्त किया गया है। अभी तक इस समूह का कुल लेन-देने 650 करोड़ रुपए आंका गया है।

बैलेंस शीट ने खोली पोल –
तीसरा समूह जयपुर का एक प्रसिद्ध बिल्डर और डेवलपर है। जो फार्म हाउस, टाउनशिप और आवासीय एन्क्लेव डेवपलमेंट में लगा है। आयकर टीम को सर्च में पता चला है कि इस समूह ने एयरपोर्ट प्लाजा में एक रियल-एस्टेट परियोजना को संभाला था। खाते की पुस्तकों में 1 लाख का लेनदेन दर्शाया था, जबकि परियोजना से संबंधित बैलेंस शीट में 133 करोड़ रु के लेनदेन का पता चला। इस प्रकार अब तक 25 करोड़ रुपये के लेनदेन का पता चला है।

राजस्थान के इतिहास में हुई अबतक की सबसे बड़ी छापेमारी है। विभाग की यह कार्रवाई पांच दिनों तक चली। इसमें 200 कर्मचारियों के साथ 50 टीमें लगातार पांच दिनों तक कागजातों और दस्तावेज को खंगालती रही। विभाग के अनुसार ये छापे शहर के तीन बड़े कारोबारी समूहों सिल्वर आर्टग्रुप, चोरडिया ग्रुप और गोकुल कृपा ग्रुप पर की गई।

 

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