कच्चे तेल की कीमतें उच्च स्तर पर, दो साल का रिकॉर्ड टूटा

नई दिल्ली:- लगभग दो वर्ष बाद दुनिया में तेल की कीमतें अपने उच्च स्तर पर पहुंच गई है, जिससे पेट्रोल-डीजल की कीमतें आने वाले दिनों में और भी अधिक बढ़ सकती हैं। इसके पीछे की वजह तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक और सहयोगी देशों द्वारा उत्पादन में कटौती को अप्रैल तक के लिए बढ़ाया जाना मानी जा रहा है।
बता दें कि ओपेक और उसके सहयोगी देशों ने तेल उत्पादन में कटौतियों के अपने-अपने मौजूदा स्तर में किसी भी तरह के बदलाव से इनकार कर दिया है। इससे वायदा बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में भारी उछाल देखी गई है। ब्रेंट क्रूड की कीमत गुरुवार को 4.2 फीसदी यानी 2.67 डॉलर प्रति बैरल चढ़कर 66.74 पर पहुंच गई। वहीं अमेरिकी बाजार की बात करें तो यहां भी गुरुवार को कच्चे तेल का वायदा भाव 5.6 फीसदी ऊपर चढ़कर 64.70 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचा गया।
सऊदी अरब ने किया राहत देने से इनकार
दुनिया का सबसे बड़ा तेल उत्पादक सऊदी अरब रोजाना 10 लाख बैरल की कटौती कम से कम अप्रैल तक जारी रखेगा। हालांकि, रूस और कजाकिस्तान तेल का उत्पादन थोड़ा बढ़ा सकते हैं।
10 डॉलर प्रति बैरल बढ़ोतरी का अनुमान
पिछले महीने इन्वेस्टमेंट बैंक गोल्डमैन सैश ने कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का अनुमान जताया था। ऐसा इसलिए क्योंकि कोरोना महामारी से थोड़ी राहत मिलने के बाद डिमांड अचानक से बढ़ गया है, लेकिन तेल उत्पादक समूह ओपेक+ और ईरान की ओर से तेल उत्पादन में कटौती लगातार जारी है।