केंद्र ने जारी की राज्यों को बतौर जीएसटी क्षतिपूर्ति की अंतिम किस्त

नई दिल्ली । वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने जीएसटी राजस्व में आई कमी को पूरा करने के लिए राज्यों को 20वीं और अंतिम साप्ताहिक किस्त के तहत 4,104 करोड़ रुपये जारी किए। जारी की गई राशि में से 4086.97 करोड़ रुपये 23 राज्यों को और 17.03 करोड़ रुपये की राशि उन तीन केंद्र शासित प्रदेशों को जारी की गई है, जिन केंद्र शासित प्रदेशों में विधानसभा हैं। 20वीं किस्त जारी होने के साथ ही वित्तवर्ष 2020-21 के लिए कुल अनुमानित जीएसटी क्षतिपूर्ति की 100 प्रतिशत राशि 1.10 लाख करोड़ रुपये राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जारी कर दी गई है। इसके तहत 1,01,329 करोड़ रुपये की राशि राज्यों को और 8,879 करोड़ रुपये की राशि विधानसभा वाले तीन केंद्र शासित प्रदेशों को जारी की गई है।

भारत सरकार ने अक्टूबर 2020 में जीएसटी राजस्व में आई कमी की भरपाई के लिए विशेष उधारी खिड़की की व्यवस्था की थी, जिसके तहत 1.10 लाख करोड़ रुपये जीएसटी क्षतिपूर्ति का अनुमान लगाया गया था। इसके लिए 23 अक्टूबर, 2020 से शुरू हुई कर्ज देने की प्रक्रिया अब 20वीं किस्त देने के बाद पूरी हो गई है। इस विशेष खिड़की के तहत 3 साल और 5 साल की अवधि वाले सरकारी स्टॉक में भारत सरकार उधार लेती रही है। उधारी के तहत कर्ज की अवधि को राज्यों के लिए समान रूप से तय किया गया, जो कि राज्यों के जीएसटी राजस्व में आई कमी की भरपाई के आधार पर तय की गई थी।

मौजूदा किस्त जारी करने के बाद 5 साल और 3 साल के तहत बाकी राशि को देने का कार्य 23 राज्यों और विधानसभाओं वाले 3 केंद्र शासित प्रदेशों के लिए पूरा हो गया है, जबकि बचे 5 राज्यों के जीएसटी राजस्व में कमी नहीं आई है। इस हफ्ते राज्यों को जो राशि जारी की गई है, वह 20वीं किस्त है। केंद्र सरकार ने यह रकम इस हफ्ते 4.9288 प्रतिशत के ब्याज पर कर्ज के रूप में ली है। केंद्र सरकार ने विशेष उधार खिड़की के तहत कुल 1,10,208 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है, जिस पर उसे औसतन 4.8473 प्रतिशत ब्याज चुकाना होगा।

विशेष उधार खिड़की के द्वारा पूंजी चुकाने के साथ-साथ भारत सरकार ने जीएसटी लागू करने में आई राजस्व की कमी को पूरा करने के लिए राज्यों को अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.50 प्रतिशत अतिरिक्त राशि के रूप में उधार लेने का भी विकल्प दिया था। इसके लिए सभी राज्यों ने विकल्प-1 का चयन किया था। इसके तहत 28 राज्यों को 1,06,830 करोड़ (राज्यों के सकल घरेलू उत्पाद का 0.50 प्रतिशत) की अतिरिक्त उधारी का भी प्रावधान किया गया है। इस कदम से राज्यों को पूंजी जुटाने का अतिरिक्त संसाधन भी उपलब्ध हुआ है।