स्पूफ और फेक पेमेंट गेटवे एप्लीकेशन से ठगी, कारोबारी बन रहे शिकार

दुर्ग:- ऑनलाइन ठगी का नया तरीका इसके लिए जालसाज प्ले स्टोर पर मौजूद स्पूफ और फेक पेमेंट गेटवे एप्लीकेशन का इस्तेमाल कर रहे हैं। हालही में पद्मनाभपुर पुलिस ने दो व्यापारियों से फेक और स्पूफ एप्लीकेशन के जरिए करीब साढ़े पांच लाख रुपए की ठगी की।

आकाशगंगा और सुपेला मार्केट में चश्मा और कपड़ा कारोबारी से भी ठगी हो चुकी है। औसतन हर तीसरे दिन 2 शिकायतें पहुंच रही हैं। जिले सहित प्रदेश में ऐसे ठग सक्रिय हैं। व्यापारियों को अपना शिकार बनाते हैं जिनकी दुकान में वाइस ट्रांजिक्शन मशीन नहीं रहती। कंजक्शन का झांसा देकर ठगी करके फरार हो जाते हैं। वे ग्राहक बनकर दुकानदार के पास पहुंच रहे हैं। एप की मदद से ऑनलाइन खरीदी कर रहे हैं। इसके बाद फर्जी तरीके से व्यापारी के खाते में ऑनलाइन पेमेंट का फर्जी ट्रांजिक्शन दिखा रहे हैं।

पद्मनाभपुर पुलिस ने इसी तरह सुभाष नगर निवासी अहेफाज खान को गिरफ्तार किया है। आरोपी ने कपड़ा व्यापारी विनोद कुमार को साढ़े चार और किराना व्यापारी राजीव शुक्ला को 1 हजार रुपए का चुना लगाया। उसने सिर्फ एप्लीकेशन में पेमेंट डिलेवरी का स्टेटस दिखाया था। शिकायत के बाद पुलिस ने मोबाइल नंबर से ट्रेस किया और गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। आरोपी युवक से लगातार पूछताछ की जा रही है। उसने पुलिस को केवल एप के बारे में जानकारी दी है।

पिछले करीब 5 वर्षों में मेट्रो कल्चर बढ़ा है। लोगों में ऑनलाइन मनी ट्रांजिक्शन को लेकर जागरूकता आई है। शहर के 40 प्रतिशत से अधिक लोग इस समय ऑनलाइन ट्रांजिक्शन पर निर्भर है। उनके द्वारा नियमित रूप से ऑनलाइन मनी ट्रांजिक्शन के लिए सोशल मीडिया में उपलब्ध एप का उपयोग किया जा रहा है। इन एप की निगरानी को लेकर प्रदेश सहित देश में मॉनीटरिंग एजेंसियां फेल हैं। जब तक वह आरोपियों के बारे में पता लगा पाती हैं, तब तक फ्रॉड करने वाला ठगी करके भाग चुका होता है। सालों पतासाजी के बाद भी ऐसे ठग के बारे में जानकारी नहीं मिल पाती।

प्ले स्टोर से एप डाउनलोड कर किया जाता है फर्जी पेमेंट
साइबर एक्सपर्ट ने बताया कि फेक एप्लीकेशन के जरिए आसानी से किसी को भी झांसा दिया जा सकता है। ठग प्ले स्टोर से इस एप्लीकेशन को डाउनलोड कर लेते हैं। इसके बाद दुकान में समान खरीदने के बाद वहां लगे क्यूआर कोड को अपने एप्लीकेशन के जरिए दिखावे के लिए स्कैन करते हैं। इसके बाद अमाउंट लिखकर पे का बटन दबा देते हैं।

स्क्रीन पर पेमेंट डिलेवरी स्टेटस डिस्प्ले होने लगता है। स्क्रीन पर ग्रीन रंग का निशान दिखाई देता है। इससे पता चलता है कि पैसा व्यापारी के खाते में जमा हो गया है। ठग व्यापारी को भी स्टेटस रिपोर्ट दिखाकर झांसा दे देते हैं। ठग सर्वर में प्रॉब्लम होने का झांसा देकर पेमेंट बाद में मिल जाने का बात कहकर रफू चक्कर हो जाते हैं।

प्ले स्टोर पर हैं ऑनलाइन ट्रांजिक्शन से जुड़े कई एप
साइबर एक्सपर्ट के मुताबिक प्ले स्टोर में ऐसे कई एप्लीकेशन मौजूद हैं, जिनके जरिए फेक ऑनलाइन ट्रांजेक्शन किया जा सकता है। डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, आधार कार्ड और पेन कार्ड के फर्जी एप्लीकेशन प्ले स्टोर में उपलब्ध हैं। उसी तरह स्पूफ कॉलिंग और पेमेंट के लिए एप्लीकेशन मौजूद हैं।

वाइस ट्रांजिक्शन सिस्टम लगाएं, वहीं मोबाइल पर मैसेज चेक करें
ठगी से बचने के लिए दुकान में वाइस ट्रांजेक्शन मशीन रखा जा सकता है। इसके साथ ऑनलाइन लेनदेन के बाद तुरंत मैसेज चेक करना चाहिए। वाइस ट्रांजेक्शन मशीन लेनदेन के बाद मैसेज की जानकारी देती है। इससे पता चल जाता है कि व्यापारी के खाते में पैसे जमा हो गया है। इसी तरह कोई भी ग्राहक अगर पेमेंट गेटवे के जरिए पैसा ट्रांसफर करता है तो मैसेज चेक कर लेना चाहिए। ग्राहक का डिटेल भी जरूर रखें।

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