टाटा के हक में फैसला, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटाना सही
नई दिल्ली:- उच्चतम न्यायालय ने आज टाटा-मिस्त्री मामले में अपना फैसला सुना दिया है। टाटा समूह की कंपनी टाटा संस लिमिटेड और शापूरजी पलोनजी ग्रुप के साइरस मिस्त्री के मामले में चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यम की बेंच ने साइरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाना सही माना है। न्यायालय ने कहा कि शेयर से जुड़े मामले को टाटा और मिस्त्री दोनों समूह मिलकर सुलझाएं।
Supreme Court starts pronouncing its verdict in Tata Sons-Cyrus Mistry case pic.twitter.com/VRfwlC7a6I
— ANI (@ANI) March 26, 2021
न्यायालय ने 17 दिसंबर को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा था। राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने अपने आदेश में साइरस मिस्त्री को 100 अरब डॉलर से अधिक मूल्य के समूह के कार्यकारी चेयरमैन पद पर बहाल करने का आदेश दिया था। एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ जनवरी 2020 में टाटा संस ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
शापूरजी पलोनजी (एसपी) समूह ने 17 दिसंबर को न्यायालय से कहा था कि अक्तूबर, 2016 को हुई बोर्ड की बैठक में मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाना खूनी खेल और घात लगाकर किया गया हमला था। यह कंपनी संचालन के सिद्धांतों के खिलाफ था। वहीं टाटा समूह ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि इसमें कुछ भी गलत नहीं था और बोर्ड ने अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए मिस्त्री को पद से हटाया था।
2012 में मिस्त्री ने लिया था रतन टाटा का स्थान
मिस्त्री ने 2012 में टाटा संस के चेयरमैन के रूप में रतन टाटा का स्थान लिया था। लेकिन चार साल बाद 24 अक्तूबर 2016 को उन्हें बर्खास्त कर दिया गया और 2017 में एन चंद्रशेखरन चेयरमैन बने। न्यायालय ने अपीलीय न्यायाधिकरण के आदेश के चुनौती देने वाली साइरस मिस्त्री की अपील (क्रॉस अपील) पर टाटा संस और अन्य को नोटिस जारी किया था। मिस्त्री की अपील के अनुसार वह कंपनी में अपने परिवार की हिस्सेदारी के बराबर प्रतिनिधित्व चाहते हैं। उनके परिवार की टाटा समूह में 18.37 फीसदी हिस्सेदारी है। टाटा संस में टाटा ट्रस्ट के 66 फीसदी शेयर हैं और मिस्त्री परिवार की 18.4 फीसदी हिस्सेदारी है।