भारत में धार्मिक और राजनीतिक आयोजनों से बढ़ी दूसरी लहर, इंडियन वैरिएंट दुनिया के लिए खतरा: विश्व स्वास्थ्य संगठन
भारत में कोरोना की दूसरी लहर सुनामी बनकर आई है। रोजाना लाखों की संख्या में नए मरीज सामने आ रहे हैं। वहीं हजारों लोगों की जान जा रही है। इस बीच देश में कोरोना से बेकाबू हुई स्थिति को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने धार्मिक और राजनीतिक घटनाक्रम को जिम्मेदार ठहराया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि भारत में कोविड-19 की हाल की स्थिति के जोखिम के आकलन में पाया गया है कि देश में कोरोना के बढ़ते मामलों के लिए राज्यों में चुनाव समेत हरिद्वार में कुंभ मेला का आयोजन भी है। यहां पर कोरोना निमयों का पालन नहीं किया गया।
दुनिया के 44 देशों में इंडियन वैरिएंट
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि कोरोना वायरस के इंडियन वैरिएंट की पुष्टि दुनिया के कई देशों में की गई है। 44 देशों में भारतीय वैरिएंट अपना पैर पसारे हुए है, जो दुनियाभर के स्वास्थ्य के लिए खतरा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बुधवार को वीकली एपिडेमियोलॉजिकल रिपोर्ट पेश करते हुए बताया कि भारत में कोरोना संक्रमण के बढ़ने के मामलों के पीछे B.1.617 वैरिएंट है। यह पहली बार अक्टूबर 2020 में भारत में पाया गया था। विश्व स्वास्थ्य संगठ ने कहा कि भारत के अलावा ब्रिटेन में इस वैरिएंट के सबसे ज्यादा मरीज मिले हैं। भारत में मार्च से ही संक्रमण के मामले बढ़ने लगे, लेकिन इस पर गंभीरता पूर्वक ध्यान नहीं दिया गया। बता दें कि इससे पहले अमेरिका के मशहूर विषाणु रोग विशेषज्ञ डॉ फौसी ने भी अगाह किया था कि अगर समय रहते भारत में कोरोना पर ध्यान दिया जाता तो ऐसी भयावह स्थिति देखने को नहीं मिलती।
इंडियन वैरिएंट वैश्विक स्वास्थ्य के लिए खतरा
भारत में कोरोना वायरस के ट्रिपल म्यूटेंट B.1.617 की पहचान हो चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो भारत में कोरोना वायरस का ट्रिपल म्यूटेंट सिर्फ यहीं के लिए नहीं बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य के लिए खतरा बना हुआ है। कोविड-19 विश्व स्वास्थ्य संगठन की तकनीकी प्रमुख मारिया वान केरखोव ने कहा कि भारत में कोरोना का नया वैरिएंट B.1.617 पहले से ज्यादा खतरनाक है।
बच्चों पर आसानी से करता वार
अध्ययन में पाया गया है कि B.1.617 पहले की तुलना में आसानी से फैलता है। यहां तक कि नए वैरिएंट न सिर्फ तेजी से फैल रहा है, बल्कि यह बच्चों को भी शिकार बना रहा है। इस हफ्ते की शुरुआत में संस्था ने इस वैरिएंट को ‘वैरिएंट ऑफ कंसर्न’ बताया था।