निलंबित आईपीएस जीपी सिंह के खिलाफ एक और FIR, फर्जी केस में फंसाने की धमकी देकर व्यवसायी से वसूले 20 लाख

दुर्ग। निलंबित आईपीएस जीपी सिंह (IPS GP Singh) की मुसीबतें कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। जीपी सिंह के खिलाफ दुर्ग जिले में एक एफआईआर (FIR) दर्ज हुआ है। निलंबित एडीजी जीपी सिंह और उनके सहयोगियों पर दुर्ग पुलिस ने धारा 388,506,34 की धाराओं के तहत अपराध दर्ज किया है। जीपी सिंह और उनके साथियों पर आरोप है कि उन्होंने एक व्यावसायी को फर्जी केस में फंसाने की धमकी देकर बीस लाख रुपए वसूले और फिर धमकी भी दी। स्मृति नगर चौकी में यह एफआईआर दर्ज की गई है। जांच के उपचरांत इसे सुपेला थाना ट्रांसफर किया गया है। जिसमें उद्यमी ने यह एफआईआर दर्ज कराई है। इस एफआईआर में उल्लेखित है कि उद्यमी का लेन देन का विवाद था। साझेदार ने पैसे दबा दिए, तब रायपुर आईजी जीपी सिंह थे। कथित तौर पर जीपी सिंह की साझेदारी आरोपी के साथ थी। जिसकी वजह से उसे पैसे तो नहीं मिले मगर फर्जी केस में फंसा दिया गया। इस दौरान उद्यमी की पत्नी और परिजनों से केस कमजोर करने के एवज में एक करोड़ रुपए की डिमांड की गई और बीस लाख रुपए एडवांस के तौर पर वसूले गए थे।

सरकार ने किया है निलंबित
राज्य सरकार ने अनुपातहीन संपत्ति अर्जित करने वाले भारतीय पुलिस सेवा 1994 बैच के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक गुरजिंदर पाल सिंह को निलंबित कर दिया है। गृहविभाग के उपसचिव मुकुंद गजभिये द्वारा इसका आदेश जारी किया था। इसमें ईओडब्ल्यू द्वारा छापेमारी के बाद भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1बी) 13(2) के तहत प्राथमिकी दर्ज किए जाने का हवाला देते हुए इसे अखिल भारतीय सेवा (आचरण) के खिलाफ माना गया है। बता दें कि जीपी सिंह 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। इस समय वह निदेशक राज्य पुलिस अकादमी के पद पर पदस्थ थे।

64 घंटे के छापेमार कार्रवाई में मिली थी करोड़ों की संपत्ति
एसीबी और ईओडब्ल्यू की संयुक्त टीम ने एडीजी जीपी सिंह के निवास पर छापा मारा था। यह कार्रवाई करीब 64 घंटे तक चली थी। इस दौरान 10 करोड़ से अधिक की चल-अचल संपत्ति का खुलासा हुआ है। इस छापे की जद में एडीजी सिंह के करीबी लोग भी आए हैं। ब्लैकमेलिंग और फोन टेपिंग के साथ ही कई तरह की खुफिया जानकारी निकलकर सामने आई थी।

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