अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन बोले: कोरोना के खात्मे के लिए दोनों देश प्रतिबद्ध, मदद के लिए हम भारत के प्रति कृतज्ञ
नई दिल्ली(एजेंसी)। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने बुधवार को अपनी दो दिवसीय भारत यात्रा के दौरान विदेश मंत्री (ईएएम) एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एनएसए अजीत डोभाल से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। इस बैठक के बाद ब्लिंकन ने कहा कि मैं उस काम की गहराई से सराहना करता हूं जो हम एक साथ करने में सक्षम हैं और जो काम हम आने वाले महीनों में एक साथ करने जा रहे हैं।
ब्लिंकन ने कहा कि ऐसी कोई चुनौती नहीं है जिसका हमारे नागरिकों के जीवन पर प्रभाव न हो, चाहे वह कोरोना महामारी हो या उभरती प्रौद्योगिकियों का विघटनकारी प्रभाव, जिसे हम में से कोई भी अकेले सामना नहीं कर सकता है। देशों के बीच सहयोग पर पहले से कहीं अधिक अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति बाइडन का दृढ़ संकल्प भारत और अमेरिका के बीच संबंधों को और मजबूत करना चाहता है। कोरोना ने अमेरिका और भारत दोनों को बहुत बुरी तरह प्रभावित किया। उन्होंने कहा कि हम महामारी की शुरुआत में भारत द्वारा प्रदान की गई सहायता के प्रति कृतज्ञ हैं।
दुनिया में कुछ ही ऐसे रिश्ते हैं जो अमेरिका और भारत के बीच के रिश्ते से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। हम दुनिया के दो प्रमुख लोकतंत्र हैं और विविधता हमारी राष्ट्रीय ताकत को बढ़ावा देती है। उन्होंने कहा मुझे भारत में वापस आकर खुशी हो रही है। मैं यहां 40 साल पहले अपने परिवार के साथ आया था। उन्होंने कहा कि हम दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं। भारतीय और अमेरिकी लोग लाखों पारिवारिक संबंधों, पिछली पीढ़ियों का पता लगाने, साझा मूल्यों और साझा आकांक्षाओं के लिए एकजुट हैं।
हमने अफगानिस्तान सहित क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा की। शांतिपूर्ण, सुरक्षित और स्थिर अफगानिस्तान में भारत और अमेरिका की गहरी रुचि है। इस क्षेत्र में एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में, भारत ने अफगानिस्तान की स्थिरता और विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और इसे जारी रखेगा।
वहीं विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि हिंद-प्रशांत में शांति और समृद्धि हम दोनों के लिए उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी अफगानिस्तान में लोकतांत्रिक स्थिरता। एक सहयोगी मंच के रूप में क्वाड को और मजबूत करना हमारे पारस्परिक हित में है। उन्होंने कहा कि हमें आतंकवाद जैसी प्रमुख समकालीन चुनौतियों पर और भी मिलकर काम करना चाहिए। जयशंकर ने आगे कहा कि वैश्विक मुद्दों पर हमारी बातचीत निश्चित रूप से राष्ट्रीय अनुभवों और ऐतिहासिक दृष्टिकोणों के वास्तविक आदान-प्रदान से समृद्ध होगी।