स्कूलों में 30% सिलेबस कट, प्रार्थना नहीं होगी, खेलकूद बंद, स्कूल बस पर रोक नहीं, कॉलेजों में भी 40% कोर्स ऑनलाइन

रायपुर। छत्तीसगढ़ में करीब 16 महीने बाद नए बदलावों के साथ कल यानी 2 अगस्त से स्कूल-कॉलेज खुल जाएंगे। प्रदेश के 56 हजार सरकारी, निजी और अनुदान प्राप्त स्कूल में बहुत कुछ बदला हुआ दिखेगा। 57 लाख विद्यार्थियों और 2 लाख सात हजार शिक्षकों के लिए इस बार का शिक्षा सत्र अनूठा होगा।

दरअसल, पहले दिन बच्चों का स्कूल में तिलक-मिठाई से स्वागत हो सकता है, लेकिन किसी स्कूल में असेंबली प्रेयर (प्रार्थना) नहीं होगी। हर कक्षा के कोर्स में 30% सिलेबस कम कर दिया है। कॉलेजों में भी 40 फीसदी पढ़ाई ऑनलाइन होगी। यही नहीं, एक क्लास में बच्चों की जितनी दर्ज संख्या है, उसके आधे एक दिन और शेष अाधे अगले दिन स्कूल अाएंगे। पूरे साल ऑनलाइन पढ़ाई भी होती रहेगी।

स्कूल में पहले से बारहवीं तक के छात्रों को जाना है, लेकिन छठवीं-सातवीं और नवमी-ग्यारहवीं के छात्र अभी स्कूल नहीं जाएंगे। इस बार शिक्षा सत्र डेढ़ महीने विलंब से प्रारंभ हो रहा है। इसने शिक्षा व्यवस्था उलट-पुलट है, हालांकि नए प्रोग्राम व सिस्टम बनाकर शिक्षा विभाग ने आपदा से पार पाने और बच्चों की पढ़ाई निरंतर रखने की कोशिशें जारी रखी हैं। कक्षाएं नियंत्रित तरीके से चलेंगी, इसलिए हर कक्षा का सिलेबस 30 प्रतिशत घटा दिया गया है। हर विषय में जो कंटेंट घटाया गया है, अफसरों का कहना है कि वे ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं थे।

कोविड के बाद आए बदलाव

प्रवेश प्रक्रिया : पूरी तरह से ऑनलाइन हो गई। कॉलेजों के विकल्प भी दे रहे।

पाठ्यक्रम : सभी विषयों में 4-4 यूनिट की पढ़ाई हुई।

पढ़ाई : मोबाइल, लैपटॉप या टैबलेट से क्लास अंटेंड कर सकते हैं।

परीक्षा : प्रश्न पत्र दिए जा रहे हैं। घर से उत्तर लिखने के लिए पांच दिन का समय।

प्रैक्टिकल : परीक्षा घर में। बाह्य परीक्षकों का चयन कॉलेज कर रहे।

मूल्यांकन : परीक्षा लेने वाली संस्था ही उत्तर पुस्तिकाओं की जांच कर रही।

खेलकूद : पूरी तरह चौपट हो गया। प्रतिभाओं को मौका नहीं मिल रहा।

सांस्कृतिक कार्यक्रम : ऑनलाइन हो रहे, लेकिन ऑडिटोरियम में बंद।

कार्यशाला : ऑनलाइन। कंप्यूटर और मोबाइल में व्याख्यान हो रहे।

नतीजे : अधिकांश कक्षाओं के नतीजे 90 फीसदी से ऊपर आ रहे।

स्कूल कल से इस तरह खुलेंगे

पहली से पांचवीं, फिर आठवीं-दसवीं-बारहवीं की कक्षाएं लगेंगी।

हर क्लास में 50 फीसदी उपस्थिति, नहीं लगाई जाएगी हाजिरी।

ऑफलाइन के साथ ऑनलाइन पढ़ाई, सबके लिए मास्क जरूरी।

स्कूल, फर्नीचर, ब्लैक बोर्ड सेनिटाईज होंगे, बीमारों को प्रवेश नहीं।

पालकों से सहमति पत्र भरवाए, शिक्षक-स्टाफ को टीका जरूरी।

कॉलेज खुलने के बाद भी पूरी पढ़ाई ऑफलाइन मोड में नहीं होगी। यूजी व पीजी का 40 फीसदी फोर्स ऑनलाइन तथा 60 प्रतिशत कोर्स ऑफलाइन यानी कालेज में पढ़ाया जाएगा। पीजी की कक्षाएं 2 अगस्त से शुरू होंगी, लेकिन यूजी यानी ग्रेजुएशन में फर्स्ट इयर की प्रवेश प्रक्रिया 2 अगस्त से शुरू की जा रही है। कालेजों में यूजी की पढ़ाई 1 सितंबर से होगी। कोरोना की वजह से मार्च 2020 से लेकर जनवरी 2021 तक ऑफलाइन पढ़ाई बंद रही। इस साल फरवरी में कॉलेज खुले। लेकिन मार्च में फिर ऑफलाइन पढ़ाई बंद हो गई। यही नहीं कोरोना संक्रमण की वजह से रविवि समेत अन्य राजकीय विवि की परीक्षाएं भी इस बार ऑनलाइन मोड में हुई।
अब एक बार फिर कॉलेज व विवि में ऑफलाइन पढ़ाई शुरू होगी। इधर, ग्रेजुएशन फर्स्ट ईयर में एडमिशन के लिए प्रथम चरण के तहत ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया 2 अगस्त से शुरू की जा रही है। 17 अगस्त तक ऑनलाइन आवेदन किए जा सकते हैं। मेरिट लिस्ट के अनुसार आबंटित सीटों के लिए 18 से 24 अगस्त तक प्रवेश होंगे। प्रवेश का दूसरा चरण 25 अगस्त से शुरू होगा। उच्च शिक्षा के एकेडमिक कैलेंडर के मुताबिक 31 अगस्त तक फर्स्ट ईयर में प्रवेश होगा। कुलपति की अनुमति से 15 सितंबर तक एडमिशन होंगे।

75 प्रतिशत उपस्थिति जरूरी
यूजी व पीजी की कक्षाओं में नियमित छात्रों की उपस्थिति 75 प्रतिशत होनी जरूरी है। लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से इस बार कॉलेज आकर ही उपस्थिति देना जरूरी नहीं होगा। ऑफलाइन के साथ ही ऑनलाइन कक्षाएं भी चलेंगी। दोनों मिलाकर छात्रों को 75 प्रतिशत उपस्थिति पूरा करना होगा। उपस्थिति की पहली गणना 30 नवंबर तक होगी। कम उपस्थिति होने पर कॉलेज छात्रों व उनके पालकों को सूचना देंगे। उपस्थिति की दूसरी गणना 28 फरवरी तक होगी।

यह फायदे भी हो रहे
एक साल में ही छात्र और प्राध्यापक हो गए टेक्नोफ्रेंड, सभी ई-लिट्रेट हो गए हैं।

कार्यशाला और व्याख्यान 20 हजार में हो रहे, वेबीनार से पैसे और समय दोनों की बचत हो रही है। पहले दो से ढाई लाख खर्च होते थे।

पहले किसी काम को करने में 7 दिन या इससे अधिक समय लगते थे। अब चंद घंटों में।

सोशल मीडिया पर प्राध्यापक ऑनलाइन लेक्चर दे रहे हैं। इसे अपलोड करने के बाद कभी भी देख सकते हैं, पढ़ सकते हैं।

यह है नुकसान
ऑफलाइन क्लास में प्राध्यापकों और विद्यार्थियों के बीच सीधा संवाद होता था। अब नहीं।

छात्र अपने डाउट्स तुरंत क्लियर कर लेते थे। अब उनके बीच बातें मोबाइल या फिर कंप्यूटर के स्क्रीन पर थोड़ी दिक्कत हो रही है।

कई स्थानों पर इंटरनेट की कनेक्टिविटी और उसकी गति कम या ज्यादा रहती है।

मोबाइल और कंप्यूटर में लगातार देखते रहने की वजह से एक साल में आंखों की बीमारी और स्पोंडलाइटिस के मरीजों की संख्या बढ़ रही है।

बदलावों पर क्या कहते हैं प्रदेश के कुलपति-कुलसचिव

रविवि; कुलसचिव डॉ. गिरीशकांत पांडेय ने कहा कि वेबीनार, हाईब्रिड क्लास, ब्लेनडेड मोड आदि नए शब्द आ गए। इन सभी माध्यमों का उपयोग कर पढ़ने-पढ़ाने, व्याख्यान और कार्यशालाएं हो रही हैं।

सरगुजा विवि; कुलसचिव विनोद एक्का ने बताया कि जरूरत के अनुसार कॉपियों का मूल्यांकन उन्हीं संस्थाओं में कराया गया, जहां परीक्षा हुई थी। व्याख्यान भी ऑनलाइन हो गए।

बस्तर विवि; कुलपति डॉ. एसके सिंह ने बताया कि पढ़ाई ऑनलाइन कराई जा रही है। साथ ही लेक्चर्स के विडियो भी बना रहे हैं, ताकि छात्र अपनी सुविधा के अनुसार उसे देखकर पढ़ सकें। पहले ऐसा नहीं था।

हेमचंद यादव विवि; कुलपति डॉ. अरुणा पल्टा ने कहा कि टीचिंग और एग्जाम पैटर्न बदल गया है। दोनों ऑनलाइन हो गए। प्रैक्टिकल अब ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों हो रहा है।

इंदिरा कला संगीत विवि; कुलपति डॉ. ममता चंद्राकर ने कहा कि पढ़ने और पढ़ाने का काम ऑनलाइन हो गया है। बैठकें भी इंटरनेट के जरिए हो रही है। इससे खर्च कम हुआ है। पढ़ने-पढ़ाने का तरीका पूरी तरह बदल गया है।

कामधेनु विवि; प्रभारी कुलपति़ डॉ. संजय इंगोले ने कहा कि ऑनलाइन कोर्सेस का कंटेंट बन रहा है। बच्चे ऑनलाइन पढ़ने का तारीख सीख गए। प्राध्यापकों के लिए भी यह एक नया अनुभव है।

सीएसवीटीयू; कुलपति डॉ. एमके वर्मा ने कहा कि हाइब्रिड सिस्टम से पढ़ाई करा रहे। परीक्षा और मूल्यांकन दोनों का पैटर्न भी बदला है।

पं. सुंदर लाल शर्मा मुक्त विवि : कुलपति डॉ. वंशगोपाल सिंह ने कहा कि हमारा काम दूरस्थ शिक्षा का है। इसलिए अधिक परिवर्तन नहीं आए। पहले छात्रों को टीचिंग मटेरियल देने के लिए बुलाया जाता था। अब यह काम भी ऑनलाइन हो गया है।

रमन विवि; कुलसचिव गौरव शुक्ला ने बताया कि लर्निंग मटेरियल सिस्टम बना है। यह बच्चों और प्राध्यापकों दोनों के लिए उपयोगी है। इससे बच्चे कहीं भी बैठकर पढ़ सकते हैं और प्राध्यापक अपनी सुविधानुसार स्थान से पढ़ा सकते हैं। क्लास आने की बाध्यता समाप्त हो गई।

शंकराचार्य विवि; कुलपति डॉ. एलएस निगम ने कहा कि आने वाले दिनों में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह के काम होते रहेंगे। इसे ध्यान में रखकर काम करना जरूरी है।

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