माता-पिता यहां के तो संतान भी छत्तीसगढ़िया: सरकार ने प्रवासी छत्तीसगढ़ियों के निवास प्रमाणपत्र की बाधा दूर की, स्थानीय निवासी की परिभाषा में जोड़ी गई नई शर्त
रायपुर। राज्य सरकार ने दूसरे प्रदेशों में बसे प्रवासी छत्तीसगढ़ियों की घर वापसी की एक बड़ी बाधा दूर कर दी है। अब दूसरे राज्यों से अपनी पढ़ाई पूरी कर चुके और पढ़ाई कर रहे लोगों को भी छत्तीसगढ़ के स्थानीय निवासी का प्रमाणपत्र आसानी से मिल जाएगा। शर्त केवल यह होगी कि उनके माता-पिता छत्तीसगढ़ के स्थानीय निवासी प्रमाणपत्र प्राप्त करने की पात्रता रखते हों। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में 8 सितंबर को हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में इसका फैसला हुआ था।
सामान्य प्रशासन विभाग ने मंगलवार देर शाम अपने पुराने दिशानिर्देश में संशोधन कर नई शर्त जोड़ दी। इसके मुताबिक माता-पिता छत्तीसगढ़ राज्य के स्थानीय निवासी की पात्रता रखते हों। कल जारी आदेश में कहा गया है कि स्थानीय निवासी प्रमाणपत्र के लिए शेष शर्तें वही रहेंगी, जो पहले से चली आ रही हैं।
मंत्रिपरिषद में कहा गया, सरकार के ध्यान में यह आया है कि छत्तीसगढ़ के बाहर अन्य राज्यों के विद्यालयों में शिक्षा प्राप्त किए यहीं के लोगों को स्थानीय निवास प्रमाणपत्र लेने में दिक्कत हो रही है। इस कठिनाई से बचाने के लिए सरकार ने ‘स्थानीय निवासियों’ की परिभाषा में नई शर्त जोड़ी है।
यह शर्त बनी थी कठिनाई की वजह
अभी तक स्थानीय निवासी प्रमाणपत्र के लिए चार प्रमुख शर्तें थीं। इसके तहत यह था कि व्यक्ति छत्तीसगढ़ में पैदा हुआ हो। वह या उसके माता-पिता लगातार 15 वर्षों से छत्तीसगढ़ में रह रहे हों। उसके माता-पिता में से कोई छत्तीसगढ़ में ही राज्य अथवा केंद्र सरकार का कर्मचारी हो। कोई अचल संपत्ति अथवा व्यापार हो।
इसके अलावा एक प्रमुख शर्त शिक्षा से जुड़ी थी। वह यह कि व्यक्ति छत्तीसगढ़ अथवा छत्तीसगढ़ में शामिल अविभाजित मध्य प्रदेश के किसी जिले के किसी शैक्षणिक संस्थान में कम से कम तीन वर्ष तक पढ़ा हो।