कोयले की कमी की वजह से बिजली का संकट गहराता, दिल्ली, बिहार समेत इन राज्यों में ब्लैकआउट का खतरा

नई दिल्ली। भारत में कोयले की कमी की वजह से बिजली का संकट गहराता जा रहा है। कोरोना वायरस महामारी के बाद अब अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट रही है और कल-कारखाने और कंपनियां फिर से खुलने लगे हैं। ऐसे में कोयले से बनने वाली बिजली की मांगों में इजाफा हो गया है। कोयला आधारित थर्मल पॉवर प्लांट में कोयले का स्टॉक खत्म होता जा रहा है, कोयले का संकट होने का मतलब है कि इसका असर अब बिजली उत्पादन पर पड़ेगा, क्योंकि हमारे देश में बिजली का मुख्य स्रोत कोयला ही है। यानी भारत में 70 फीसदी बिजली का उत्पादन कोयला से ही होता है। देश कोयला से चलने वाले थर्मल पावर प्लांट्स में कहीं चार दिन का स्टॉक बचा है तो कहीं दो दिन का। अगर जल्द ही कोयला संकट से निजात नहीं पाया गया तो कोयले का दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आयातक, उत्पादक और भारत संभावित ब्लैकआउट का सामना कर सकता है।

कहा यह भी जा रहा है कि देश में इस वर्ष कोयला का हालांकि रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है, लेकिन अत्यधिक वर्षा ने कोयला खदानों से बिजली उत्पादन इकाइयों तक ईंधन की आवाजाही को ख़ासा प्रभावित किया है। गुजरात, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली और तमिलनाडु समेत कई राज्यों में बिजली उत्पादन पर इसका गहरा असर पड़ा है। कौन-कौन से राज्य कोयले की भारी कमी का सामना कर रहे हैं।

दिल्ली: दिल्ली में बिजली का संकट गहराता जा रहा है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को “बिजली संकट” को लेकर एक पत्र लिखा। केजरीवाल ने एक ट्वीट में कहा, “मैं व्यक्तिगत रूप से स्थिति पर कड़ी नजर रख रहा हूं। हम इससे बचने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।” इस बीच टाटा पावर के एक प्रवक्ता ने कहा कि उन्होंने मुंद्रा में उत्पादन बंद कर दिया है क्योंकि मौजूदा पीपीए शर्तों के तहत आयातित कोयले की उच्च लागत आपूर्ति करना असंभव बना रही है।

राजस्थान: राजस्थान में आए दिन बिजली गुल रहती है। राज्य सरकार ने घोषणा की है कि वह बिजली संकट से निपटने के लिए दैनिक आधार पर एक घंटे की निर्धारित बिजली कटौती का सहारा ले रही है।

बिहार: देशव्यापी कोयले संकट का असर बिहार की बिजली आपूर्ति व्यवस्था पर हो रहा है। खपत की तुलना में बिहार को केंद्रीय सेक्टर से लगभग आधी बिजली मिल रही है। खुले बाजार से बिहार अभी 1000 मेगावाट तक महंगी बिजली की खरीदारी कर रहा है, लेकिन यह नाकाफी साबित हो रहा है। इस कारण राज्य के शहरी क्षेत्र में बिजली आपूर्ति तो लगभग ठीक है लेकिन अर्धशहरी व ग्रामीण इलाके में सात से 10 घंटे तक की लोड र्शेंडग हो रही है। स्थिति सामान्य होने में एक-दो दिनों का अभी समय लग सकता है। किल्लत को देखते हुए बिहार ने केंद्र सरकार से कोटा बढ़ाने का भी अनुरोध किया है।

पंजाब: पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने केंद्र से कहा कि वह बिजली संकट के खिलाफ मांगों को पूरा करने के लिए कोटा के अनुसार राज्य की कोयले की आपूर्ति को तुरंत बढ़ाए, जो संभावित रूप से कोयलेल की स्टॉक की कमी के कारण थर्मल प्लांट को बंद करने का कारण बन सकता है। पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (पीएसपीसीएल) के एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि तलवंडी साबो पावर प्लांट, रोपड़ प्लांट में दो-दो यूनिट और लहरा मोहब्बत में एक यूनिट, 475 मेगावाट का प्लांट बंद हो गया है। राज्य पहले से ही नियमित रूप से कम से कम 3-4 घंटे बिजली कटौती का सामना कर रहा है।

तमिलनाडु: तमिलनाडु जनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कॉरपोरेशन (टैंगेडको) ने कहा कि उसने शहर में मेंटनेंस का काम करने के लिए चेन्नई के कुछ हिस्सों में बिजली आपूर्ति को निलंबित कर दिया है।

आंध्र प्रदेश: आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी ने भी प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि बिजली संकट का मुद्दा उठाया है और कहा कि कटाई के अंतिम चरण में अधिक पानी की आवश्यकता होती है और यदि पानी नहीं मिलता, तो खेत सूख जाते हैं और किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है।

कोयले की कमी के कारण झारखंड और ओडिशा भी ऊर्जा की गंभीर कमी का सामना कर रहे हैं। ओडिशा में, उद्योग कोयले की कमी का सामना कर रहा था और उसने राज्य सरकार से ईंधन की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए याचिका दायर की थी अगर आने वाले कुछ दिनों में कोयले के संकट का हल नहीं निकाला गया तो देश के कई राज्यों और इलाकों में बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है।