गंगा से बेतवा के बीच जल्द उड़ान भरेगा सी प्लेन, पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने शुरू की कवायद
झांसी। अगर सब कुछ तयशुदा योजना के मुताबिक रहा तब अगले एक साल के भीतर गंगा (प्रयागराज) से बेतवा (ललितपुर) के बीच सी प्लेन उड़ान भरता दिखेगा। सिंचाई विभाग ने उड्डयन मंत्रालय को अपनी फिजिवल रिपोर्ट भेज दी है। इसमें उसने माताटीला बांध की लंबाई को रनवे के लिए पर्याप्त बताते हुए सी-प्लेन की उड़ान के लिए उपयोगी बताया है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक) के तहत हवाई कनेक्टिविटी बढ़ाने पर जोर दे रहा है। उड़ान 3.0 के जरिए पर्यटन मंत्रालय के समन्वय से पर्यटक एवं धार्मिक शहरों को आपस में जोड़ने की योजना है। इसके लिए जलीय हवाई अड्डे पर सरकार का जोर है।
उत्तर प्रदेश में जलीय हवाई मार्ग की तलाश चल रही है। पिछले माह नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने प्रयागराज से बरुआसागर एवं प्रयागराज से ललितपुर के बीच दो हवाई मार्ग सुझाते हुए रिपोर्ट मांगी थी। अफसरों का कहना है कि सी-प्लेन उड़ाने के लिए 1.08 मीटर पानी की गहराई के साथ 120 मीटर चौड़ी सतह जरूरी होती है। रनवे के लिए 1160 मीटर लंबी दूरी तक पानी भी होना चाहिए। सिंचाई विभाग को इन शर्तों को पूरा करने वाले बांध अथवा नदी का स्थान तलाशने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उड्डयन मंत्रालय के सुझाए रास्ते के आधार पर झांसी एवं ललितपुर में तलाश शुरू हुई। झांसी में बरुआसागर एवं पारीछा वीयर इसकी कसौटी में खरे नहीं उतरे। ललितपुर में राजघाट के साथ माताटीला बांध इसकी कसौटी में खरे उतरे। इन बांधों में पांच साल में औसत बारिश भी 1160 एमएम रिकॉर्ड हुई। सिंचाई अभियंताओं का कहना है यहां पूरे पांच साल तक पानी का जलस्तर मेंटेन रहता है। इस लिहाज से माताटीला बांध को सी-प्लेन के लिए उपयोगी पाया गया।
उधर, प्रयागराज से उड़ान के लिए गंगा-यमुना के संगम के समीप अरैल घाट से पास स्थान चिन्हित किया जा रहा है। सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता शीलवंत उपाध्याय का कहना है कि उड्डयन मंत्रालय को माताटीला बांध की संस्तुति की गई है। यह रिपोर्ट पिछले दिनों मंत्रालय को भेज दी गई। वहीं, एक्सईएन मो.फरीद का कहना है कि अब केंद्रीय टीम यहां आकर इसका भौतिक परीक्षण करेगी।
क्या होता है सी प्लेन
सी प्लेन एक विशेष प्रकार का हवाई जहाज होता है, जिसे उड़ान भरने के लिए रन वे की आवश्यकता नहीं पड़ती। इसके साथ यह प्लेन पानी में टेक ऑफ एवं लैडिंग कर सकता है। इसकी खासियत यह होती है कि यह प्लेन खेत एवं सड़क में भी विषम परिस्थतियों में उतर सकता है। इसको उड़ान भरने के लिए सिर्फ फ्लोटिंग जेट्टी की जरूरत होती है। प्लेन में पायलट समेत कुल 25 यात्री सफर कर सकते हैं। प्लेन की अधिकतम स्पीड करीब 350 किमी प्रति घंटे होती है।
यह प्लेन हेलीकाप्टर सरीखा होता है। अभी महाराष्ट्र में मुंबई से कांडला, मुंबई से पोरबंदर, आंध्रा प्रदेश में हैदराबाद से पुंडुचेरी, दिल्ली से जेसलमेर के लिए फ्लॉइट का प्लान बनाया गया है। उप्र में बुंदेलखंड के साथ पूर्वांचल एवं अवध को जोड़ने की योजना पर काम चल रहा है। देश में यह प्लेन अहमदाबाद के साबरमती रिवरफ्रंट से केवाडिया स्थित स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी के बीच की दूरी तय करता है। आधा घंटे की इस उड़ान के लिए 1500-1800 रुपये के बीच किराया देता होता है।
अधिक खर्चीला नहीं जलीय हवाई मार्ग
स्थलीय हवाई मार्ग की बजाए जलीय हवाई मार्ग काफी सस्ता होता है। इसमें हवाई अड्डा बनाने जैसा मोटा खर्च नहीं होता। सिर्फ सी-प्लेन खरीदने समेत टेक ऑफ एवं लैडिंग वाली जगहों पर प्लेटफार्म ही तैयार करना होता है। अफसरों का कहना है कि इस वजह से अगर केंद्रीय टीम माताटीला बांध को इसके उपयुक्त पाती है तब जल्द ही इसका परीक्षण भी किया जा सकता है।
एक घंटे में तय होगा आठ घंटे का सफर
अगर सी-प्लेन प्रोजेक्ट जमीन पर उतरता है तब प्रयागराज की आठ घंटे की दूरी महज एक घंटे में तय हो सकेगी। अफसरों का कहना है कि बड़ी संख्या में बुंदेलखंड से लोग हाईकोर्ट, माध्यामिक शिक्षा परिषद समेत अन्य कार्यालयों में जाते हैं। धार्मिक अनुष्ठान कराने के लिए भी बड़ी संख्या में लोग बुंदेलखंड से प्रयागराज जाते हैं। इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिल सकेगा।