रिजर्व बैंक ने सरकार को दिया डिजिटल करेंसी लॉन्च करने का प्रस्ताव, जानें इसमें क्या है खास
नई दिल्ली। संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो चुका है और जल्द ही क्रिप्टोकरेंसी बिल पेश होने की संभावना है। इससे पहले सोमवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने देश में डिजिटल करेंसी को लॉन्च करने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव दिया है। रिजर्व बैंक के इस प्रस्ताव में बैंक नोट की परिभाषा का दायरा बढ़ाने की बात कही गई है। केंद्रीय बैंक ने करेंसी को डिजिटल फॉर्म में स्वीकार किए जाने की सिफारिश की है।
आरबीआई एक्ट में संशोधन की जरूरत
आरबीआई द्वारा दिए गए प्रस्ताव में कहा गया है कि देश में सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी लॉन्च करने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट 1934 (RBI Act 1934) में संशोधन करने की जरूरत होगी। गौरतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक काफी समय से अपनी डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) लाने की तैयार कर रहा है।
सरकार को दिए प्रस्ताव में गिनाए ये फायदे
आरबीआई के प्रस्ताव के मुताबिक, सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी के अस्तित्व में आने के बाद कई फायदे संभव हैं। इससे नकदी पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी, साथ ही पारदर्शिता को भी बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही एक और बड़ा फायदा यह होगा कि डिजिटल करेंसी के आ जाने के बाद सरकार के नकदी छापने के लिए होने वाले खर्च में भी कमी आएगी।
शीतकालीन सत्र के पहले दिन बिटक्वाइन पर चर्चा
इससे पहले आज संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने के बाद क्रिप्टोकरेंसी बिल का नाम गूंजा। देश में बिटक्वाइन के लेन-देन को लेकर लोकसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में वित्त मंत्रालय ने लिखित उत्तर में कहा कि भारत सरकार बिटकॉइन लेनदेन पर डाटा बिल्कुल भी एकत्र नहीं करती है। इसमें कहा गया कि देश में बिटकॉइन को मुद्रा के रूप में मान्यता देने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
आरबीआई डिजिटल मु्द्रा का किया जिक्र
वित्त मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) डिजिटल मुद्राओं के उपयोग के मामलों की जांच कर रहा है और केंद्रीय बैंक अपनी डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) की शुरुआत के लिए चरणबद्ध कार्यान्वयन रणनीति पर काम कर रहा है, जिसमें कोई व्यवधान नहीं है। यह एक अधिक मजबूत, भरोसेमंद, विनियमित और कानूनी निविदा-आधारित भुगतान विकल्प को जन्म दे सकती है।