सीडीएस जनरल रावत समेत 13 सैन्यकर्मियों की अंतिम विदाई आज, हेलिकॉप्टर का ब्लैक बॉक्स खोलेगा अंतिम पलों के राज
कुन्नूर/नई दिल्ली। देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी समेत 13 लोगों की मौत की वजह बने सेना के दुर्घटनाग्रस्त हेलिकॉप्टर का ब्लैक बॉक्स बृहस्पतिवार को बरामद कर लिया गया। सेना ने जानकारी दी कि दुर्घटना में बुरी तरह जलने के कारण शवों की पहचान के लिए डीएनए जांच कराई जा रही है। अब तक सिर्फ तीन शवों की पहचान हो पाई है, जिनमें जनरल रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत और ब्रिगेडियर एलएस लिद्दड़ शामिल हैं।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में बताया कि दुर्घटना की जांच तीनों सेनाओं का एकीकृत जांच दल करेगा दल का नेतृत्व एयर मार्शल मानवेंद्र सिंह करेंगे। वायुसेना का दल शुरुआती जांच के लिए कुन्नूर पहुंच चुका है। तिरंगे में लिपटे सारे पार्थिव शरीर बृहस्पतिवार को सेना के ट्रकों में वेलिंग्टन के मद्रास रेजिमेंट सेंटर लाए गए, जहां वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों, तमिलनाडु के सीएम, मंत्रियों और गणमाण्य लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। बाद में पार्थिव शरीरों को सड़क मार्ग से कोयंबटूर लाया गया, जहां से वायुसेना के विशेष विमान से उन्हें नई दिल्ली भेजा गया। सेना ने कहा है कि रावत व उनकी पत्नी का पूरे सैन्य सम्मान के साथ शुक्रवार को अंतिम संस्कार किया जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने दी जनरल रावत को श्रद्धांजलि
दिवंगत जनरल बिपिन रावत, पत्नी मधुलिका रावत और उनकी टीम के सदस्यों के पार्थिव शरीर शाम 7ः40 बजे विशेष विमान से नई दिल्ली पहुंचे। पीएम नरेंद्र मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और एनएसए अजीत डोभाल ने पालम एयरपोर्ट पहुंचकर सभी को श्रद्धांजलि दी।
पुलिस ने भी शुरू की जांच
हेलिकॉप्टर दुर्घटना में तमिलनाडु पुलिस ने भी प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। नीलगिरि पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 174 के तहत मामला दर्ज कर एडीएसपी मुतुमणि कुमार को जांच सौंपी है। जांच में ड्रोन कैमरे भी इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
बेंगलुरु या दिल्ली भेजा जाएगा हेलिकॉप्टर का ब्लैक बॉक्स
- दुर्घटनास्थल के 300 मीटर से एक किमी के दायरे में फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर यानी ब्लैक बॉक्स समेत दो बॉक्स बरामद हुए हैं।
- दुर्घटना के कारण का पता लगाने के लिए इन्हें बेंगलुरु या नई दिल्ली भेजा जाएगा।
- उम्मीद है कि ब्लैक बॉक्स से दुर्घटना से पहले के आंकड़े मिलेंगे, जिससे घटनाओं की कड़ी जोड़ने में मदद मिलेगी।
ग्रुप कैप्टन वरुण बेंगलुरु भेजे गए
दुर्घटना में एकमात्र बचे वायुसेना के ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह को बेहतर इलाज के लिए कमान अस्पताल बेंगलुरु भेजा गया है। उन्हें जीवनरक्षा प्रणाली पर रखा गया है। 45 फीसदी जली अवस्था में सिंह वेलिंग्टन के सैन्य अस्पताल में भर्ती थे।
नायक को विदाई
पार्थिव शरीरों को वेलिंग्टन से सुलूर एयरबेस ले जाते समय मार्ग में लोगों ने पुष्प वर्षा कर अपने नायकों को अंतिम विदाई दी। संसद में भी जनरल रावत को श्रद्धांजलि दी गई।
सीडीएस नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू जनरल नरवणे का भी नाम आया
सरकार नए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के चयन और नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर रही है। संभावना है कि मौजूदा थलसेना अध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे इस पद पर तैनात किए जा सकते हैं। जनरल बिपिन रावत के हेलिकॉप्टर क्रैश में निधन के बाद सीडीएस पद खाली है। कई पूर्व सैन्य कमांडरों ने जनरल नरवणे को इस पद के लिए उपयुक्त बताया था, वे अप्रैल में थलसेना अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
प्रक्रिया की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बृहस्पतिवार को बताया कि सरकार थल सेना, नौसेना और वायुसेना के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के नामों का एक छोटा पैनल बना रही है। यह पैनल सेना के तीनों अंगों की ही सिफारिश पर अगले दो से तीन दिन में बनेगा। इसे सहमति के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भेजा जाएगा। उनकी अनुमति मिलने पर नाम कैबिनेट की नियुक्ति समिति के पास विचार के लिए भेजे जाएंगे। समिति देश का अगला सीडीएस घोषित करेगी।
सूत्रों के अनुसार चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष (सीआईएससी) के चीफ ऑफ इंटिग्रेटेड डिफेंस स्टाफ इस प्रक्रिया का समन्वय करेंगे। सरकार सीडीएस नियुक्ति में वैसे ही प्रोटोकॉल अपनाएगी जो सेना प्रमुखों की नियुक्ति के लिए निर्धारित हैं।
जनरल नरवणे इसलिए
- यह कहा जा रहा है कि जनरल नरवणे को सीडीएस बनाने की संभावना उनके अब तक के प्रदर्शन की वजह से बढ़ जाती है।
- उन्होंने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ हुए तनाव को जिस ढंग से संभाला, उस पर भी विचार किया जा रहा है।
- सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों में सबसे वरिष्ठ भी हैं, एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी 30 सितंबर और चीफ एडमिरल आर हरिकुमार 30 नवंबर को अपने पदों पर नियुक्त हुए थे।
- सैन्य नीतियां बना रहे एक बड़े वर्ग को लगता है कि कम से कम थियेटर कमान बनाने की प्रक्रिया पूरी होने तक सीडीएस थल सेना से होना चाहिए।
…तो थलसेना का भी नया अध्यक्ष करना होगा नियुक्त
जनरल नरवणे सीडीएस बने तो थलसेना अध्यक्ष पद के लिए वाइस चीफ ऑफ आर्मी ले. जनरल सीपी मोहंती और उत्तरी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी के नाम आगे रह सकते हैं। लेफ्टिनेंट जनरल मोहंती का नाम अपने सेवा अनुभव व एलएसी संरचना की व्यापक जानकारी की वजह से आगे रह सकता है।
सीडीएस : कारगिल युद्ध के बाद हुई सिफारिश को मानते हुए बना पद
1999 के कारगिल युद्ध में जीत हासिल करने के तीन दिन बाद ही तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रिव्यू समिति बनाई। समिति ने सेना के तीनों अंगों के बीच समन्वय की कमी दूर करने की सिफारिश दी। इसके तहत 2019 में सीडीएस पद की घोषणा हुई। जनरल रावत 1 जनवरी 2020 को देश के पहले सीडीएस बने। उनका कार्यकाल मार्च 2023 तक के लिए था।
सीडीएस सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों की चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी का अध्यक्ष होता है। इस पद का उद्देश्य सेना के तीनों अंगों के कामकाज में एकता बढ़ाकर देश की सैन्य क्षमता बढ़ाना था। सीडीएस के जरिए ही सैन्य कमानों के संसाधनों का इस्तेमाल और बेहतर करने के लिए नए थियेटर कमान बनाकर संरचनात्मक बदलाव भी लाए जा रहे हैं। रक्षा मंत्रालय के लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ही प्रमुख सैन्य सलाहकार होता है। सेना प्रमुख की सेवानिवृत्ति की उम्र 62 वर्ष होती है या तीन साल का अधिकतम कार्यकाल होता है, सीडीएस के लिए इसे 65 साल रखा गया है।