छत्तीसगढ़ के हक के 20 हजार करोड़ नहीं दे रही है केंद्र सरकारः भूपेश बघेल
रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र में आज छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रस्तुत 2108 करोड़ 62 लाख 84 हजार 389 रूपए का द्वितीय अनुपूरक बजट ध्वनिमत से पारित हो गया. विधानसभा में आज माल और सेवा कर संशोधन विधेयक, इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक, छत्तीसगढ़ राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग संशोधन विधेयक, सिगरेट और अन्य तंबाखू उत्पाद (विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार तथा वाणिज्य, उत्पादन, प्रदाय और वितरण का विनियमन) संशोधन विधेयक भी ध्वनिमत से पारित किया गया। अनुपूरक बजट पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि केन्द्र सरकार एक तरफ राज्यों को राष्ट्रीय कार्यक्रमों के संचालन के लिए केन्द्रीय मद की राशि में कटौती कर रही है, वहीं दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ के हक की लगभग 20 हजार करोड़ की राशि नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा सेन्ट्रल एक्साइज की कटौती 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत कर दिया गया है, लेकिन इसकी राशि छत्तीसगढ़ को नहीं मिल रही है. लगभग 4 हजार करोड़ रूपए कोल कम्पनशेसन की राशि भी नहीं मिली है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा एक तरफ छत्तीसगढ़ के हक की राशि नहीं दी जाती और दूसरी तरफ कहा जाता है कि राज्य सरकार केन्द्र की योजनाओं को पूरा नहीं कर पा रही है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय बागवानी मिशन में वर्ष 2014 तक केन्द्र और राज्य का अंशदान क्रमशः 85ः15 का रहता था, जिसे बदलकर अब 60:40 का अनुपात कर दिया गया है. प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना में शत्-प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार से मिलती थी, अब इसमें 60:40 का अनुपात कर दिया गया है।
मनरेगा में केन्द्र सरकार से पहले 90: 10 के अनुपात में राशि मिलती थी, अब इसमें 75: 25 का अनुपात कर दिया गया है. इंदिरा आवास में 75:25 का अनुपात रहता था अब इसे 60: 40 कर दिया गया है. राजीव आवास योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना तथा मध्यान्ह भोजन में 70:30 का अनुपात को बदलकर 60:40, इसी प्रकार राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान में 75:25 को 60:40, आईसीडीएस में 85:15 को अब 60: 40 कर दिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय कार्यक्रमों में केन्द्रांश घटाकर राज्यों पर बोझ बढ़ा दिया गया है. अब राज्यों पर काम नहीं करने का आरोप मढ़ा जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय योजनाओं के संचालन के लिए केन्द्रांश प्राप्त होने की प्रक्रिया में जब हम बात करना चाहते हैं तब हमसे कहा जाता है कि कोरोना काल के बाद स्थितियों में परिवर्तन आया है. उन्होंने कहा कि कोरोना की परिस्थितियां केन्द्र और राज्य दोनों सरकारों के लिए थी. केन्द्र सरकार पहले केन्द्रांश दे उसके बाद राज्य राज्यांश देंगे. केन्द्र सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के लिए कई तरह के अड़ंगे लगाए जा रहे हैं. कहा गया कि यदि छत्तीसगढ़ ने धान पर एक रूपया भी बोनस दिया तो केन्द्रीय पूल में चावल नहीं खरीदा जाएगा. अब नया अड़ंगा लगाया गया है कि छत्तीसगढ़ से उसना चावल केन्द्रीय पूल में नहीं लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा पेट्रोल-डीजल पर सेस कम करने के बदले एक्साइज ड्यूटी में कमी करने से राज्य सरकार को कम से कम 800 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है. इसके बावजूद हमने अपने कहे मुताबिक छत्तीसगढ़ में पेट्रोल और डीजल की कीमतों को नियंत्रित रखा है. यहां पड़ोसी राज्यों से भी कम दर पर पेट्रोल-डीजल उपलब्ध है।
मुख्यमंत्री ने ‘रेडी टू ईट’ व्यवस्था के संबंध में कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने वर्ष 2009 में 1627 स्वहायता समूहों को ‘रेडी टू ईट’ के निर्माण एवं प्रदाय की जिम्मेदारी सौंपी थी। वर्तमान में ‘रेडी टू ईट’ व्यवस्था से जुड़े 943 समूहों का अनुबंध 5 वर्ष के बाद समाप्त हो चुका था. 678 समूह शेष बचे थे. समूहों द्वारा संचालित किए जा रहे ‘रेडी टू ईट’ के 1900 नमूनों में 1400 नमूने मापदण्ड के अनुसार सही नहीं पाए गए. यूनीसेफ द्वारा अपनी रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन समूहों से अनुबंध किया गया था, उसमें समूह के लोग मजदूरी कर रहे थे, निर्माण इकाई का संचालन अन्य व्यक्ति द्वारा किया जा रहा था. पूर्ववर्ती सरकार के समय कुपोषण की दर 26 प्रतिशत थी क्योंकि पोषण आहार की गुणवत्ता ठीक नहीं थी। हमारी सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री सुपोषण योजना संचालित करने के बाद कुपोषण की दर गिरकर 19 प्रतिशत रह गई है।