लोकल के साथ पैकिंग करके भी बेचा जा रहा है खाने का तेल, जिले में बिक रहे 50 फीसदी खाद्य तेल खाने योग्य नहीं

दुर्ग (चिन्तक)। अंचल में लोकल आईल ब्राण्ड कंपनियों के गुणवत्ता विहीन खाद्य तेलों का विक्रय धड़ल्ले से जारी है। दलस्वरूप मिलावटी तेल के सेवन से जन स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा पैदा हो गया है। बताया गया है कि दुर्ग-भिलाई सहित आसपास के क्षेत्र मेंं बिक रहे अधिकांश तेल खाने योग्य नही है।  राइस ब्राण्ड आईल और सरसो के तेल में सबसे ज्यादा मिलावट की शिकायत सामने आई है। जानकारी के अनुसार राज्य शासन द्वारा प्रदेश के विभिन्न जिलो में बेचे जा रहे खाद्य तेल का सैंपल एकत्र कर जांच के लिए भेजा गया था। इस संबंध में आई रिपोर्ट चौकाने वाली है। रिपोर्ट के मुताबिक दुर्ग जिले के लिए गए आठ सैपल में चार सेंपल फेल हुए है। इस तरह दुर्ग में पचास फीसदी तेल खाने के योग्य नहीं है। बेमेतरा से 6 सैंपल लिए गए थे इसमें से 5 सैंपल फेल हुए है। यहां बिक रहे 83 प्रतिशत तेल खाने योग्य नही है। बालोद में भी लिए गए 6 सैंपल मे से 5 सेंपल फेल हुए है। यहां भी 83 प्रतिशत तेल की गुणवत्ता खराब है। बलौदा बाजार की स्थिति सबसे खराब है। यहां से लिए गए 8 सैंपल में सभी सैंपल फेल पाए गए है। यहां सौ प्रतिशत तेल खाने योग्य नही है।

बलरामपुर में लिए गए 6 सैंपल में 4 सैंपल फेल पाए गए है। यहां 66 प्रतिशत तेल खाने योग्य नही है। बस्तर जगदलपुर में लिए गए 8 सैंपल में 3 सैंपल को अयोग्य पाया गया है। यहां 37 प्रतिशत तेल उपयोग के लायक नहीं है। दंतेवाजडा मेेंं लिए गए छह सैंपल में से 4 सैंपल को अयोग्य पाया गया है। यहां 66 प्रतिशत तेल खाने के योग्य नही है। कोरबा में लिए गए 7 सैंपल में से 6 सैंपल कोे फेल पाया गया है। यहां बिक रहे 85 प्रतिशत कोरिया में 33 प्रतिशत कोंडागांव में 42 प्रतिशत कांकेर में 57 प्रतिशत कबीरधाम में 50 प्रतिशत गरियाबंद में 50 प्रतिशत मिलावट की रिपोर्ट मिली है।

दुर्ग में बिक रहे है लोकल कंपनियों के तेल

दुर्ग भिलाई सहित ग्रामीण अंचलो में लोकल कंपनियों के तेल की बिक्री सबसे ज्यादा हो रही है। जिसमें राजनांंदगांव के एबीस गोल्ड, कमल ब्रान्ड तेल, धमतरी का सर्वोत्तम दुर्ग का विद्याश्री सहित अन्य तेल शामिल है। इसके अतिरिक्त नामी गिरामी कंपनियो के तेलो की पैकिंग भी की जा रही है। संैपल में तेलो को लेकर आई रिपोर्ट चिन्ताजनक है।

मिलावटी तेलों से शरीर की नसों के साथ पाचन पर असर-  डॉ. दानी

अंचल के एम.डी. मेडिसिन डॉ. मनोज दानी का कहना है कि गुणवत्ता विहीन तेलो के सेवन से शरीर की नसो पर बुरा असर पड़ता है। इसके साथ साथ पाचनक्रिया भी प्रभावित होती है। गुणवत्ता विहीन तेल से शरीर को पौष्टिक तत्व भी नही मिलता। डॉ. दानी ने कहा कि इसके अतिरिक्त तेलो में मिलावट के लिए इस्तेमाल किए गए पदार्थ भी प्रतिकूल असर पैदा करते है। मिलावटी पदार्थो की जानकारी व मात्रा के बाद ही इसका अनुमान लगाया जा सकता है।

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