इंजीनियर की हत्या: 60 दिन, 6 टीमें, 200 सीसीटीवी, 500 लोगों से पूछताछ और फिर ऐसे दबोचे गए पंच सहित तीन आरोपी, पढ़े पूरा मामला..
दुर्ग। पुलिस ने इंजीनियर किसान शिवांग चंद्राकर के हत्यारों का पता लगा लिया है। हत्या किसी और ने नहीं बल्कि चंदखुरी गांव के पूर्व पंच अशोक देशमुख और पुलगांव थाने के माली बसंत साहू और विक्की उर्फ मोनू देशमुख ने मिलकर की थी। हत्या का कारण पंच चुनाव हारने, पुरानी रंजिश और 30 लाख से अधिक की फिरौती थी। पुलिस ने इस ब्लाइंड मर्डर को सुलझाने के लिए 200 से अधिक सीसीटीवी कैमरे खंगाले और 500 लोगों से पूछताछ की थी। जिसके बाद पुलिस हत्यारों तक पहुंची है। मामले का खुलासा दुर्ग आईजी ओपी पॉल ने किया। उन्होंने बताया कि 6 दिसंबर 2021 की शाम 7.30 बजे शिवांग चंद्राकर अपने चंदखुरी स्थित फार्महाउस से लापता हो गया था। वह फार्महाउस से अपनी मां के घर जाने के लिए बाइक से निकला था, लेकिन घर नहीं पहुंचा। उसकी बाइक फार्महाउस में ही पाई गई थी।
दुर्ग पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज कर मामले की जांच शुरू की लेकिन एक महीना बीत जाने के बाद भी उसका कोई पता नहीं मिला। इसी दौरान बीते 5 जनवरी को शिवांग के बड़े भाई धर्मेश चंद्राकर ने पुलगांव थाने में सूचना दी कि झरझरा पुल के पास चंदखुरी भाठा में हरीश साहू के खेत मे हार्वेस्टर के चक्के से बने गढ्ढे में मानव खोपड़ी, घड़ी,कपड़ा व अन्य हड्डियां मिली हैं। पुलिस ने मौके पर जाकर मानव शरीर की हड्डियां, मानव खोपड़ी, कपड़े व एक हाथ घड़ी को जब्त किया। इसके बाद शिवांग के भाई ने पाई गई घड़ी को शिवांग की होना बताया। डीएनए टेस्ट में ही नर कंकाल शिवांग का होना बताया गया था।
इस तरह पकड़ाया आरोपी
पुलिस को जांच के दौरान पता चला कि चंदखुरी के पूर्व पंच अशोक देशमुख और शिवांग के परिवारवालों से पुरानी रंजिश थी। चुनाव हारने का भी विवाद था। पूछताछ में अशोक ने पुलिस को बताया कि हत्या की रात वह घर पर ही था, छत पर बैठकर शराब पी रहा था। वहीं जब उसकी कॉल डिटेल निकाली गई तो पाया गया कि उसकी पत्नी ने उसी रात उसके फोन में कई सारे कॉल किए, जिसे उसने उठाया नहीं। इसके साथ ही पत्नी ने अशोक के दो दोस्तों को फोन करके उसके बारे में पूछा था। इसके बाद पुलिस ने अशोक की पत्नी से भी पूछताछ की, जिसमें अशोक का झूठ पकड़ा गया। सख्ती से पूछताछ में अशोक ने अपने दो दोस्तों के साथ मिलकर शिवांग की हत्या करना स्वीकार किया।
इस तरह से की गई शिवांग की हत्या
अशोक ने पुलिस को बताया कि उसने अपने दो दोस्त विक्की उर्फ मोनू देशमुख और बसंत साहू के साथ मिलकर शिवांग की हत्या और 30 लाख रुपए की फिरौती मांगने की योजना बनाई थी। उसने बताया कि योजना के मुताबिक वह लोग कार से चंदखुरी गए। उन्होंने शिवांग के आने का इंतजार किया। जैसे ही शाम 7.30 बजे शिवांग अपने फार्महाउस से निकला तो अशोक ने शिवांग से आगे तक छोड़ने के लिए लिफ्ट मांगा।
शिवांग ने उसे बाइक में पीछे बैठाया। पीछे बैठते ही अशोक ने शिवांग को पीछे से जकड़ लिया। इसके बाद नहर के नीचे छिपे विक्की और बसंत साहू वहां आ गए। उन्होंने एक रस्सी का फंदा शिवांग के गले में लपेटकर उसका गला घोंट दिया, जिससे उसकी वहीं पर मौत हो गई। इसके बाद शिवांग की बाइक को वहीं फार्महाउस में खड़ी कर उसके शव को कार की डिग्गी में डाला और झरझरा पुल के पास चंदखुरी भाठा में गढ्ढे में डालकर मिट्टी, पैरा व पत्थर से दबा दिया। शिवांग चंद्राकर के पैंट शर्ट बैग को झरझरा पुलिया के पास जला दिया और घटना मे इस्तेमाल नायलोन रस्सी को बसंत साहू ने डोगिंया तालाब में फेंक दिया।
पुलगांव थाने का माली था आरोपी
इस हत्याकांड में शामिल बसंत साहू पुलगांव थाने में माली का काम करता था। हत्या के बाद भी उसका थाने में आना-जाना था। माली के काम की आड़ में वह पुलिस की जांच में भी पूरी नजर रख रहा था। ऐसा कहा जा रहा है कि उसने कुछ पुलिसवालों को गलत सूचना देकर मामले को गुमराह करने की भी कोशिश की थी, लेकिन सीएसपी जितेंद्र यादव का कहना है कि ऐसा कुछ नहीं है। बसंत कभी-कभी ही थाने में माली का काम करने आता था। वह थाने का परमानेंट माली नहीं था।