विवेकानंद यूनिवर्सिटी ने पांच हजार बच्चों को नहीं दी डिग्री, विद्यार्थियों में जॉब को लेकर बढ़ा संकट, भविष्य पर मंडराने लगा खतरा


दुर्ग (चिन्तक)। स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्व विद्यालय द्वारा विभिन्न विषयों की अंतिम परीक्षाओं में उत्तीर्ण हो चुके विद्यार्थियों को अभी तक डिग्री नहीं दी गई है। जबकि परीक्षाओं को समाप्त हुए छह माह से अधिक का समय व्यतीत हो चुका है। डिग्री नही मिलने से लगभग 5860 बच्चों के भविष्य पर खतरे के बादल मंडराने लगे है। डिग्री नहीं मिलने से बच्चों को प्रदेश के बाहर जाब के लिए भारी परेशानी हो रही है।
जानकारी के अनुसार स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्व विद्यालय के अंतर्गत बैचलर आॅफ इंजीनियरिंग (बी.ई.) डिप्लोमा इन इंजीनियरिंग (पालीटेकनीक) पार्ट टाईम डिप्लोमा कोर्स (पीटीडीसी),मास्टर आॅफ टेक्नालाजी (एम.टेक), मास्टर आफ बिजनेस एडमिर्स्टेशन (एम.बी.ए.) मास्टर आफ कम्प्यूटर एप्लीकेशन (एम.सी.ए.) बैचलर आफ टेक्नालाजी (बी.टेक) बैचलर आफ फार्मेसी (बी.फार्मा) डिप्लोमा इन फार्मेंसी (डी.फार्मा) मास्टर आफ फार्मेसी (एम.फार्मा), पीएचडी कोर्स वर्क, डिप्लोमा इन वेकेशन (डी.वोक) व बैचलर आफ वेकेशन (बी.वोक) सहित अन्य कोर्स संचालित है। इसके तहत प्रदेश के विभिन्न कालेजो में विद्यार्थी अध्ययनरत है। विद्यार्थियों से मिली जानकारी के अनुसार उक्त सभी कोर्स की अंतिम परीक्षाएं जुलाई 2021 में समाप्त हो चुकी है। विद्यार्थियों को परीक्षा की अंक सूची तो प्राप्त हो गई है लेकिन इसकी डिग्री उन्हे अभी तक नही मिल पाई है। विद्यार्थियों ने बताया कि डिग्री के लिए वे पिछले कई महीनों से विश्व विद्यालय का चक्कर लगा रहे है लेकिन उन्हें अभी तक डिग्री नहीं मिल पाई है। विश्व विद्यालय प्रबंधन द्वारा इस मामले में कोई जानकारी नही दी जा रही है। डिग्री नही मिलने से उन्हें जाब को लेकर भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
डिग्री के बिना नहीं मिलता है जॉब
तकनीकी शिक्षा में कोर्स पूरा कर चुके विद्यार्थी अपना भविष्य बनाने के लिए प्रदेश के बाहर जॉब की तालाश में जुट जाते है। जाब के लिए वे सारी फार्मेल्टी पूरी कर लेते है लेकिन डिग्री जमा कि ए बिना उन्हें जाब का अवसर नहीं मिल पाता। पिछले सत्र में लगभग 5860 विद्यार्थियों ने विभिन्न विषयों में अंतिम परीक्षा पास की है। इसमें से अधिकांश लोग प्रदेश के बाहर जाब के लिए प्रयासरत है। छत्तीसगढ़ राज्य में जाब की संभावना नहीं होने के कारण ही उन्हें प्रदेश के बाहर जाना पड़ता है। लेकिन यूनिवर्सिटी द्वारा डिग्री नहीं दिए जाने से उन बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो गया है।