खाद संकट: केंद्र सरकार की नीयत ही नहीं, किसान ज्यादा उत्पादन करें- मुख्यमंत्री बघेल

रायपुर। छत्तीसगढ़ में अभूतपूर्व खाद संकट के बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, भारत सरकार की नीयत ही नहीं है कि किसान ज्यादा उत्पादन करें। उत्पादन घटाना है तो खाद ही कम पहुंचे। इससे निश्चित रूप से उत्पादन प्रभावित होगा। रायपुर हवाई अड्‌डे पर प्रेस के सवाल पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, “खाद तो भारत सरकार ही उपलब्ध कराएगी। राज्य सरकार केवल अपना कोटा भेज सकती है। कोटा भी मिल नहीं रहा है। जो सहमति बनी थी उससे भी कम हम लोगों को अलॉट हुआ। ऐसे में खाद का संकट खड़ा ही होगा।’ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, “भारत सरकार की नीयत ही नहीं है कि किसान ज्यादा उत्पादन करें। उत्पादन घटाना है तो खाद ही कम पहुंचे। इससे निश्चित रूप से उत्पादन प्रभावित होगा।’

राज्य सरकार का कहना है, रबी सीजन के लिए केन्द्र सरकार द्वारा स्वीकृत कोटे के अनुरूप रासायनिक खाद की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। रबी सीजन के लिए राज्य को जनवरी महीने तक कुल 2 लाख 32 हजार मीट्रिक टन रासायनिक खाद की मांग थी। लेकिन केंद्र सरकार ने महज एक लाख 71 हजार 476 मीट्रिक टन खाद ही मिल पाई है, जो कि मात्र 74% है। फरवरी माह में एक लाख 20 हजार 175 मीट्रिक टन खाद की सप्लाई का प्लान मिला है। 16 फरवरी तक राज्य को मात्र 40 हजार 686 मीट्रिक टन खाद ही मिल पाई है। यह कुल मांग का महज 34% है।

अधिकारियों ने बतायाए राज्य सरकार ने 7 लाख 50 हजार मीट्रिक टन रासायनिक खाद मांगा था। केंद्र सरकार ने मात्र 4 लाख 11 हजार मीट्रिक टन उर्वरक दिये जाने की स्वीकृति दी। जिसमें यूरिया की मात्रा 2 लाख टन, डीएपी 60 हजार मीट्रिक टन, एनपीके 50 हजार मीट्रिक टन, एमओपी 26 हजार मीट्रिक टन एवं एसएसपी की मात्रा 26 हजार मीट्रिक टन थी। यह छत्तीसगढ़ की जरूरत का केवल 55% है। शेष 45% की कटौती कर ली गई। पर्याप्त खाद नहीं होने से खुले बाजार में खाद दोगुने से अधिक दाम पर बिकने लगा है।

इस समय में प्रदेश में रबी फसलों की बुवाई जोरों पर है। कृषि विभाग ने इस साल रबी सीजन में 18 लाख 50 हजार हेक्टेयर में विभिन्न फसलों की बोवनी का लक्ष्य निर्धारित है। अब तक करीब 16.5 लाख हेक्टेयर में बोवनी हो चुकी है। यहां इस सीजन में प्रमुख रूप से गर्मी का धान, चना, मटर, तिवड़ा, अलसी, सरसो, राई, सूर्यमुखी और बसंत का गन्ना बोया जाता है। इसकी बुवाई और बढ़वार के समय खाद की जरूरत होती है। अगर समय से खाद नहीं दी तो उत्पादन प्रभावित होगा।