झीरम घाटी हत्याकांड में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: NIA नहीं राज्य सरकार की एजेंसी करेगी जांच

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को तगड़ा झटका लगा है। जस्टिस आरसीएस सामंत और जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल की डिवीजन बेंच ने प्रदेश के बहुचर्चित झीरम घाटी हत्याकांड में राष्ट्रीय जांच एजेंसी की अपील को खारिज कर दिया है। इस फैसले के बाद अब राज्य सरकार झीरम घाटी हत्याकांड के राजनीतिक षडयंत्रों की जांच कर सकती है।

प्रदेश में कांग्रेस के सरकार बनने के बाद झीरम घाटी हत्याकांड में दिवंगत उदय मुदलियार के बेटे जितेंद्र मुदलियार ने दरभा थाने में साल 2020 में हत्या और षडयंत्र का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया है। पुलिस में दर्ज इस आपराधिक प्रकरण को NIA ने जगदलपुर की विशेष अदालत में चुनौती दी थी। केस को NIA को सौंपने की मांग भी की थी, लेकिन विशेष अदालत ने आवेदन को खारिज कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ NIA ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। प्रारंभिक सुनवाई के दौरान ही हाईकोर्ट ने इस प्रकरण की जांच पर रोक लगा दी थी, तब से मामले की सुनवाई लंबित थी और राज्य सरकार जांच शुरू नहीं कर पाई थी। बुधवार को डिवीजन बेंच ने फैसला सुनाते हुए NIA की अपील को खारिज कर दिया है।

इससे पहले 8 फरवरी को NIA की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के एडिशनल सालिसिटर जनरल विक्रम जीत बनर्जी और हाईकोर्ट के असिस्टेंट सालिसिटर जनरल रमाकांत मिश्रा ने बहस की। उन्होंने NIA एक्ट का हवाला देकर तर्क प्रस्तुत किया। कहा कि जिस मामले की NIA जांच कर चुकी है, उस पर राज्य शासन को जांच करने का अधिकार नहीं है। जांच का कोई बिंदु है तो उसे NIA के समक्ष रखा जा सकता है। उनकी बहस पूरी होने के बाद 9 को शासन की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता सुनील ओटवानी ने पक्ष रखा। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिस पर आज फैसला आया है।

राज्य शासन की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता ओटवानी ने कहा कि ट्रायल कोर्ट को इस केस को ट्रांसफर करने का अधिकार नहीं था। प्रावधान के अनुसार एक FIR को दूसरे प्रकरण में ट्रांसफर नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि झीरम घाटी हत्याकांड वृहद राजनीतिक षडयंत्र है, जिस पर NIA ने जांच नहीं की है। यही वजह है कि इस मामले में राज्य पुलिस ने अलग से अपराध दर्ज किया है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब राज्य शासन इस मामले की जांच कर सकेगी। वहीं दूसरी ओर हस्तक्षेपकर्ता व पुलिस में आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने वाले जितेंद्र मुदलियार की तरफ से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव बहस की। उन्होंने NIA एक्ट को अपवाद बताया। साथ ही कहा कि किसी भी अपराध की जांच का जिम्मा राज्य पुलिस को होता है। NIA किसी विशेष प्रकरण की ही जांच कर सकती है।

 

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