कच्चे तेल की कीमतों में लगी आग, 2008 के बाद उच्चतम स्तर पर पहुंचा भाव
नई दिल्ली। वैश्विक बाजारों में ईरानी कच्चे तेल के न आने से तेल की कीमतें 2008 के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं और संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय सहयोगी रूसी तेल के आयात पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहे हैं। रविवार को व्यापार के पहले कुछ मिनटों में दोनों बेंचमार्क जुलाई 2008 के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गए, जिसमें ब्रेंट 139.13 डॉलर प्रति बैरल और WTI 130.50 डॉलर पर था।
विश्व शक्तियों के साथ ईरान के 2015 के परमाणु समझौते को फिर से जीवित करने के लिए वार्ता रविवार को अनिश्चितता के भंवर में फंस गई। रूस की यूएस गारंटी की मांग के बाद कि यूक्रेन संघर्ष पर प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है। वह तेहरान के साथ अपने व्यापार को नुकसान नहीं पहुंचाएगा। सूत्रों के मुताबिक चीन ने भी नई मांगें उठाई हैं। रूस की मांगों के जवाब में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने रविवार को कहा कि यूक्रेन के आक्रमण पर रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों का ईरान के साथ संभावित परमाणु समझौते से कोई लेना-देना नहीं है। बता दें कल शाम 6:50 बजे तक ब्रेंट 11.67 डॉलर या 9.9% बढ़कर 129.78 डॉलर प्रति बैरल हो गया। जबकि यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) क्रूड 10.83 डॉलर या 9.4% बढ़कर 126.51 डॉलर हो गया।
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगियों के बीच रूस से तेल और प्राकृतिक गैस के आयात पर प्रतिबंध लगाने के बारे में बातचीत चल रही है। तेल और गैस आयात के बारे में पूछने पर ब्लिंकन ने सीएनएन से रविवार को कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक दिन पहले इस विषय पर अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक की थी। बाइडन और पश्चिमी देशों ने अब तक रूस के ऊर्जा उद्योग पर प्रतिबंध नहीं लगाए हैं ताकि इससे उनकी अर्थव्यवस्थाओं पर असर नहीं पड़े। ब्लिंकन ने कहा, ”हम अपने यूरोपीय साझेदारों और सहयोगियों से रूस से तेल के आयात पर प्रतिबंध लगाने की संभावना पर बात कर रहे हैं साथ ही यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि दुनियाभर के बाजारों में तेल की पर्याप्त आपूर्ति रहे।”