हेल्थ एंड सेफ्टी विभाग जिले की हर फैक्ट्रियों से करता है सालाना वसूली, रायपुर स्टील में हुए हादसे की जांच के नाम पर हो रही है महज खानापूर्ति


दुर्ग (चिन्तक)। रसमड़ा स्थित रायपुर पॉवर एंड स्टील लिमिटेड फैक्ट्री में जांच के नाम पर हेल्थ एंड सेफ्टी डिपार्टमेंट महज खानापूर्ति का काम कर रहा है। इस जांच के बाद भविष्य में उद्योगों में दुर्घटनाएं घटित न हो इसकी कोई संभावना नहीं है। यह विभाग केवल फैक्ट्रियों को लाइसेंस देने का काम करता है। सूत्रों का कहना है कि विभाग द्वारा जिले में संचालित प्रत्येक उद्योगों से सालाना पांच हजार रुपए लिए जाते हैं।
जिला उद्योग एवं व्यापार केन्द्र से मिली जानकारी के अनुसार जिले में छोटी बड़ी को मिलाकर कुल 2422 फैक्ट्रियां संचालित है। मजदूरों की संख्या के आधार पर उन्हें 6 भागों सूक्ष्य, लघु, मध्यम, वृहद, मेगा और अल्ट्रा मेगा में बांटा गया है। औसत 50 कर्मियों के हिसाब से इन फर्मों में एक लाख से ज्यादा मजदूर कार्यरत हैं। जिले में इस समय 1764 सूक्ष्य, 608 लघु, 23 मध्यम, 21 वृहद,5 मेगा, 1 अल्ट्रा मेगा फैक्ट्री संचालित है। रसमड़ा के रायपुर पॉवर एंड स्टील लिमिटेड फैक्ट्री की जांच भी सवालों के घेरे में हैं।
95 प्रतिशत उद्योगों के पास फायर एनओसी नहीं
अग्निशमन एवं आपातकालीन सेवाएं विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में संचालित 95 फीसदी उद्योगों ने अभी तक फायर एनओसी का प्रमाण पत्र नहीं लिया है। इसका मतलब यह है कि जिले में उतनी बड़ी संख्या में फैक्ट्रियां बिना आग से सुरक्षा उपाय के बगैर संचालित है। इन फैक्ट्रिों में फायर एनओसी नहीं होने की कभी जांच नहीं की गई है। फायर एनओसी के बगैर हेल्थ एंड सेफ्टी डिपार्टमेंट ने उद्योगों को लाइसेंस कैसे जारी कर दिया है। इस पर भी सवालिया निशान खड़े हो गए है।
जाने कैसे हुई दुर्घटना
रसमड़ा स्थित रायपुर पॉवर एंड स्टील लिमिटेड फैक्ट्री ने एक हजार मजदूरों का लाइसेंस लिया है लेकिन फैक्ट्री में महज 100 मजदूरों से काम लिया जा रहा है। फैक्ट्री में कच्चा लोहा पिघलाकर लोहे के अन्य वस्तुए बनाने के साथ कई अन्य काम होते हैं। फैक्ट्री के भीतर कई खामियां बरते जाने की शिकायत मिली है। फैक्ट्री संचालकों द्वारा डेढ़ हजार से अधिक डिग्री के तापमान पर सुपरवाइजर के बिना ही मजदूरों से काम लिया जा रहा था। फैक्ट्री के भीतर दो फर्नेस का संचालन हो रहा है इसके बावजूद कर्मियों को संभावित खतरे से बचाव की ट्रेनिंग नहीं दी गई है। फैक्ट्री के भीतर फर्नेस को शुरू और बंद करने का टाईम दर्शाने के लिए कोई लाग बुक नहीं रखा गया था। पता चला है कि दुर्घटना में मृतक गनियारी निवासी खेमलाल साहू फर्नेस के 35 फीट ऊपर के्रन पर बैठा था। ब्लास्ट के बाद पिछले लोहे के कुछ छीटे उस पर पड़े। वह घबराकर ऊंचाई से नीचे कूद गया। चोट लगाने की वजह से उसकी मौत हो गई। ब्लास्ट के बाद अचानक सतह पर फैले हाट मेटल की चपेट में आने से दूसरा मजदूर तिवेद्र साहू झुलस गया। एक अन्य अंजोरा निवासी सदानंद सिंह के पैर में चोट आई है।
जिले की फैक्ट्रियों की कभी नहीं होती जांच
जिले में दो हजार से अधिक संचालित फैक्ट्रियों को जांच पड़ताल कभी नहीं की जाती है। उद्योगों में शासन द्वारा निर्धारित मापदण्डों का पालन हो रहा है या नहीं इसका भी पता नहीं लगाया जाता। जब कोई हादसा होता है तब प्रशासन व संबंधित विभाग हरकत में आता है। रसमड़ा में संचालित कई उद्योगों में पिछले कुछ वर्ष के अंतराल में एक दर्जन से अधिक हादसे हुए हैं लेकिन इसके नाम पर की गई जाच व निष्कर्ष का कहीं कोई अता पता नहीं है।