चंद्रयान-3 चांद की पांचवीं कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश करते हुए, अब प्रोपल्शन और लैंडर मॉड्यूल की यात्रा की शुरुआत करेगा
नई दिल्ली (एजेंसी)। देश के महत्वाकांक्षी तीसरे चंद्रमा मिशन के अंतरिक्ष यान चंद्रयान-3 ने बुधवार को चंद्रमा की कक्षा में पांचवें और अंतिम चरण को सफलतापूर्वक पूरा किया, जिससे यह चंद्रमा की सतह के और भी करीब पहुंच गया है। चंद्रयान-3 मिशन को लेकर इसरो ने बुधवार को ट्वीट कर बताया कि रफ्तार बढ़ाने के लिए की गई आज की सफल फायरिंग थोड़े समय के लिए आवश्यक थी। इस फायरिंग ने चंद्रयान-3 को अपनी मंशा के अनुरूप 153 किलोमीटर x 163 किलोमीटर की कक्षा में स्थापित कर दिया है। इसके साथ ही चंद्रयान-3 के कक्षा में जाने की प्रक्रिया पूरी हो गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चंद्रयान-3 अब चांद के पांचवीं कक्षा में प्रवेश कर गया है। दरअसल, कक्षा बदलने की आखिरी प्रक्रिया को सबसे कठिन बताया गया था। इसके बाद चंद्रयान-3 का प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल दो हिस्सों में बंटकर अलग-अलग यात्रा शुरू करेगा।
17 अगस्त की तारीख अहम
इसरो ने बताया कि अब तैयारियों का समय आ गया है क्योंकि प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल अपनी अलग-अलग यात्राओं के लिए तैयार हो रहे हैं। लैंडर मॉड्यूल को प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग करने की योजना 17 अगस्त, 2023 को बनाई गई है। इसके बाद 23 अगस्त को चंद्रयान-3 को चांद की सतह पर लैंड करना है, जिस पर पूरी दुनिया की निगाह होगी।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने ट्वीट ने कहा, चंद्रमा की ओर एक कदम और करीब! आज की सफल फायरिंग, अल्पअवधि के लिए आवश्यक थी, इसने चंद्रयान-3 को अपनी मंशा के अनुरूप 153 किलोमीटर x 163 किलोमीटर की कक्षा में स्थापित कर दिया है। इसके साथ ही चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करने की प्रक्रिया पूरी हो गई है।
चांद के और करीब पहुंचा चंद्रयान-3
इससे पहले इसरो ने 14 अगस्त को बताया था कि आज करीब पौने बारह बजे चंद्रयान-3 के थ्रस्टर्स को चालू किया गया था, जिसकी मदद से चंद्रयान-3 ने सफलतापूर्वक कक्षा बदली। पांच अगस्त को चंद्रयान-3 ने पहली बार चांद की कक्षा में प्रवेश किया था और उसके बाद से तीन बार कक्षा में बदलाव कर चांद के करीब आ चुका है। चंद्रयान-3 1900 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से चांद से 150 किलोमीटर दूर की कक्षा में यात्रा कर रहा है। चंद्रयान का ऑर्बिट सर्कुलाइजेशन चरण चल रहा है और चंद्रयान-3 ने अंडाकार कक्षा से गोलाकार कक्षा में आना शुरू हो गया है।
14 दिन तक प्रयोग करेगा चंद्रयान 3
चंद्रयान-3 मिशन में लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल शामिल हैं। लैंडर और रोवर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेंगे और 14 दिनों तक प्रयोग करेंगे। वहीं प्रोपल्शन मॉड्लूय चांद की कक्षा में ही रहकर चांद की सतह से आने वाले रेडिएशंस का अध्ययन करेगा। इस मिशन के जरिए इसरो चांद की सतह पर पानी का पता लगाएगा और यह भी जानेगा कि चांद की सतह पर भूकंप कैसे आते हैं।