सुप्रीम कोर्ट ने लगाई हाईकोर्ट के आदेश पर रोक: गेमिंग कंपनी के खिलाफ 21000 करोड़ का GST नोटिस किया था रद्द…
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें एक ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म से 21 हजार करोड़ रुपये की मांग करने वाले GST विभाग के नोटिस को रद्द कर दिया गया था।
पीठ ने ऑनलाइन गेमिंग कंपनी से मांगा जवाब
मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने वस्तु एवं सेवा कर खुफिया महानिदेशालय (DGT) की याचिका पर नोटिस जारी किया और कर्नाटक स्थित ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म गेम्सक्राफ्ट से जवाब मांगा। सर्वोच्च न्यायालय ने मामले को तीन सप्ताह बाद सूचीबद्ध किया।
DGT ने कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को दी चुनौती
DGT ने कर्नाटक हाईकोर्ट के 11 मई के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें कहा गया था कि ‘रम्मी’ चाहे दांव के साथ खेला जाए या बिना दांव के, जुआ नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा था कि रम्मी चाहे ऑनलाइन या शारीरिक रूप से खेला जाता है, काफी हद तक कौशल का खेल है, न कि मौके का खेल और इस प्रकार गेमक्राफ्ट के प्लेटफार्म पर खेले जाने वाले ऑनलाइन रमी गेम और अन्य डिजिटल गेम ‘सट्टेबाजी’ और ‘जुआ’ के रूप में कर योग्य नहीं हैं।
GST अधिकारियों ने जारी किया था नोटिस
यह मामला तब सामने आया जब गेमक्राफ्ट को पिछले साल आठ सितंबर को GST अधिकारियों की ओर से सूचना नोटिस जारी किया गया जिसमें 21 हजार करोड़ रुपये की मांग की गई। कंपनी ने इस नोटिस को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने 23 सितंबर, 2022 को GST विभाग के नोटिस पर रोक लगा दी थी और कहा था कि मामले में कई विवादास्पद मुद्दे शामिल हैं।
कंपनी ने हाईकोर्ट में क्या कहा
ऑनलाइन गेमिंग कंपनी ने फिर से हाईकोर्ट का रुख किया, जिसमें दावा किया गया कि इस स्थगन आदेश के बावजूद अधिकारियों ने अवैध रूप से और दुर्भावनापूर्ण रूप से उसी दिन कारण बताओ नोटिस जारी किया था जिस दिन हाईकोर्ट का 23 सितंबर, 2022 का आदेश था। आठ सितंबर, 2022 के नोटिस में कंपनी के लेनदेन पर 28 फीसदी GST लगाने की मांग की गई थी। इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कंपनी ने एक बयान में कहा, ‘हमने उच्चतम न्यायालय के अंतरिम आदेश पर गौर किया है। हम कुशल गेमिंग उद्योग संघों के साथ आने वाले हफ्तों में उच्चतम न्यायालय के समक्ष अपनी दलीलें रखेंगे।’ इसने कहा, हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है और हमें विश्वास है कि उच्चतम न्यायालय एक बार फिर पांच दशकों से अधिक समय से चले आ रहे कानून की पुष्टि करेगा और हमारी और उद्योग की स्थिति को सही साबित करेगा।