बच्चे की बहादुरी से टला बड़ा ट्रेन हादसा: बची हजारों जिंदगियां, रेलवे ने इनाम में पकड़ाए 1500 रुपये…
कोलकाता। 13 साल के एक बच्चे की बहादुरी से बड़ा रेल हादसा टला। मामला पश्चिम बंगाल के मालदा जिले का है। भारी बारिश के चलते पटरियों के कुछ हिस्से टूट और मिट्टी में थंस गए थे। सातवीं में पढ़ने वाले इस बच्चे ने अपनी लाल टी-शर्ट निकाली और ट्रेन के सामने लहराई, तब जाकर ड्राइवर ने ट्रेन रोकी। मामला पिछले गुरुवार को भालुका रोड यार्ड के पास का है। इस बच्चे की बहादुरी हर ओर चर्चा हो रही है। चर्चा रेलवे की भी हो रही है, क्योंकि बच्चे की इस बहादुरी पर रेलवे के अधिकारियों ने उसके परिवार को इनाम के तौर पर 1500 रुपए दिए। 13 साल के मुर्सलीम और उसके भाई इमरान की उस दिन छुट्टी थी। मुर्सलीम सातवीं का छात्र है, जबकि इमरान कक्षा दो में पढ़ता है। उत्तर बंगाल जिले में भारी बारिश के चलते अहदपुर प्राथमिक विद्यालय ने छुट्टी घोषित की थी। करियाली गांव में मुर्सलीम के घर से बमुश्किल पांच मिनट की पैदल दूरी पर रेलवे ट्रैक के पास का बड़ा तालाब बारिश के कारण लबालब हो गया था। स्कूल बंद होने की वजह से मुर्सलीम मछली पकड़ने चला गया।
हजारों जान बचाई
मुर्सलीम की मां मरजीना खातून बताती हैं कि मछली पकड़ने के दौरान उसकी (मुर्सलीम) नजर पटरियों पर पड़ी तो वो टूटी हुई थी। मिट्टी भी काफी धंस गई थी। सामने अगरतला जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन दौड़ते हुए आ रही थी। उसने आंव देखा न तांव लाल टी-शर्ट निकाली और लहराने लगा। ड्राइवर ने भी ब्रेक लगाकर ट्रेन रोक ली। इसके बाद यात्री और ड्राइवर ट्रेन से बाहर निकले तो उन्होंने माना कि बड़ा रेल हादसा टल गया है। पटरियां टूटी हुई थी और मिट्टी धंसी हुई थी।
कैसे आया टी-शर्ट का आइडिया
मुर्सलीम बताता है, “मैंने रेलकर्मियों को ट्रेनों के गुजरने पर स्टेशनों पर झंडे लहराते देखा था और मेरे मन में आया कि मुझे भी ट्रेन रोकने के लिए कुछ लहराना चाहिए।”
बहादुरी ने बनाया गांव का हीरो
मुर्सलीम की बहादुरी की उसके गांव में काफी तारीफ हो रही है। लोग कहते हैं कि छोटा लड़का गांव में हीरो बन गया है। राजनेता, रेलवे अधिकारी और मीडिया सभी उसके घर आ रहे हैं। एक स्थानीय जिला परिषद सदस्य ने कहा कि वे उनकी बोर्ड परीक्षा तक उनकी शिक्षा का खर्च वहन करेंगे।
मुर्सलीम के परिवार को मलाल
रेलवे ने बच्चे की बहादुरी की सराहना करते हुए एक प्रमाण पत्र और 1500 रुपये की टोकन राशि दी है।हालांकि, परिवार को इस बात का मलाल है कि रेलवे द्वारा सराहना के तौर पर दी गई टोकन राशि बहुत कम थी। उसकी मां कहती है कि “मेरे बेटे की वजह से रेल हादसा टल गया। कितने लोगों की जान बचाई गई। उन्होंने हमें जो राशि दी वह बहुत कम है। आजकल 1500 रुपये में क्या आता है? बता दें कि मुर्सलीम की मां खातून बीड़ी बनाकर पैसा कमाती हैं, वहीं उनके पति मोहम्मद इस्माइल प्रवासी मजदूर के रूप में काम करने के लिए गुजरात गए हैं।