ग्रामीणों ने लगाई चुनाव प्रत्याशियों के प्रवेश पर रोक, कर रहे 2023 विधानसभा चुनाव का बहिष्कार
कोरबा| राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पहाड़ी कोरवाओं को सुविधाएँ मुहैया कराने के दावे तो किए जाते हैं, लेकिन यह सब दावे झूठे हैं। बीहड़ इलाके में बसने वाले पहाड़ी कोरवाओं के चुनाव बहिष्कार के फैसले ने यह स्पष्ट कर दिया है। सड़क, बिजली, पानी, और मोबाइल कनेक्टिविटी जैसी मूलभूत सुविधाओं की मांग को लेकर सरकारी दफ्तरों और जनप्रतिनिधियों के पास के पहाड़ी कोरवाओं ने विधानसभा चुनाव में भाग नहीं लेने का निर्णय लिया है। उन्होंने अपने गांव की सीमा पर चुनाव बहिष्कार का बैनर पोस्टर लगाया है, ताकि प्रचार करने वाले प्रत्याशी उनके गांव में प्रवेश नहीं कर सकें।
रामपुर विधानसभा क्षेत्र में एक चुनौती उत्पन्न हो गई है क्योंकि पहाड़ी कोरवा जनजाति के परिवारों ने सरकारी सुविधाओं की मांग के बावजूद विधानसभा चुनाव में भाग लेने से किया इंकार कर दिया है। उन्होंने ग्राम पंचायत केरा कछार क्षेत्र के गांव सरडीह, बगधरी डांढ़, और खुर्रीभौना जैसे कई गांवों में चुनाव बहिष्कार करने का ऐलान किया है।
यह क्षेत्र ऐसे गांवों का आवासी है, जो पहाड़ी कोरवा जनजाति परिवारों के लिए घर हैं। वे खेती किसानी के अलावा वनोपज संग्रहण कर जीविकोपार्जन करते हैं, और उन्हें अभी भी पानी, बिजली, और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं की आवश्यकता है। पहाड़ी कोरवा व कुछ अन्य जनजाति के परिवार ढोढ़ी पानी का उपयोग करते हैं। उन्हें ऊर्जाधानी के रहवासी तो कहा जाता है, लेकिन बिजली उनके लिए अभी भी एक सपना है। उनके लिए सबसे बड़ी समस्या सड़क की है, और वे सर्दी, गर्मी, और बर्फबारिश के दिनों में भी पैदल मार्ग से मुख्य सड़क तक पहुँचते हैं।