एक बार हार एक बार जीत का मिथक टूटेगा या रहेगा बरकरार, क्या.. दुर्ग ग्रामीण विधान सभा में कांग्रेस के बाद अब भाजपा की बारी, हुआ है कड़ा मुकाबला

दुर्ग (चिन्तक)। दुर्ग ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में एक बार कांग्रेस तो एक बार भाजपा की जीत का मिथक कायम रहा है। यह स्थिति खेरथा विधान सभा से लेकर दुर्ग ग्रामीण विधान सभा बनने तक बनी रही है। क्षेत्र के मतदाताओं ने अब तक किसी भी पार्टी को दुबारा मौका नहीं दिया है। इस बार के विधानमभा चुनाव में एक बार हार एक बार जीत का गिथक टूटेगा या फिर बरकरार रहेगा इसका फैसला 3 दिसंबर को परिणाम आने के बाद ही होगा।

जानकारी के अनुसार दुर्ग ग्रामीण विधान सभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या दो लाख बीस हजार दो सौ सतत्तर है। जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या एक लाख नौ हजार छह सौ सतत्तर तथा महिला मतदाता एक लाख दस हजार पांच सौ पच्यानबे है। थर्ड जेन्डर की संख्या महज पांच है। इस बार के चुनाव में कुल एक लाख चौसठ हजार छह सौ छ्यालिस मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। जिसमें ब्यासी हजार पांच सौ ग्यारह पुरुष व व्यासी हजार एक सौ बत्तीस महिला शामिल है।

थर्ड जेन्डर में पांच में से तीन ने ही मताधिकार का प्रयोग किया है। दुर्ग ग्रामीण विधान सभा में मतदान का प्रतिशत 74.74 प्रतिशत रहा है। मतदान के इस प्रतिशत को लेकर जहां कांग्रेस रिकार्ड जीत का दावा कर रही है वही भाजपा में परिवर्तन को लेकर खुशी का माहौल देखा जा रहा है।

यहां गौरतलब है कि दुर्ग ग्रामीण विधान सभा में कांग्रेस के प्रत्याशी ताम्रध्वज साहू दूसरी बार चुनाव के मैदान में है। श्री साहू पिछला चुनाव भारी मतों से जीते थे। परिणाम स्वरुप सरकार में गृह एवं लोक निर्माण मंत्री रहे।

सरकार के सत्तासीन होने के समय श्री साहू के नाम का एलान मुख्यमंत्री के रूप में भी हुआ था। दुबारा चुनाव जीतने पर सरकार बनने की स्थिति में परिस्थिति बनने पर. राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े के करीबी होने की वजह से मुख्यमंत्री पद के भी दावेदार हो सकते हैं। लेकिन यह तभी संभव है। जब इस बार के चुनाव में भी भारी मतों से जीत दर्ज करें।

वहीं ‘ दूसरी तरफ इनका मुकाबला इस बार भाजमा प्रत्याशी ललित चंद्राकर से हुआ है। जो पिछले बीस वर्ष से दुर्ग ग्रामीण विधान सभा में सक्रिय है श्री चंद्राकर संगठन में विभिन्न पदों पर रह चुके है और भाजपा के कद्दावर नेता है। दुर्ग ग्रामीण विधान सभा में चुनाव संचालन की कमान जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के पूर्व अध्यक्ष प्रीत पाल बेल चंदन संभालते रहे हैं। भाजपा ने इस चुनाव में पूरी ताकत झोक दी है। दुर्ग ग्रामीण विधान सभा में रिसाली क्षेत्र के मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते रहे है। कांग्रेस में रिसाली की कमान मंत्री ताम्रध्वज साहू के पुत्र जीतेन्द्र साहू के हाथ में रही है। जीतेन्द्र ने रिसाली में कांग्रेस का प्रभाव कितना बढ़ाया है इसका फैसला मतों की गिनती के बाद ही होगा।.

भाजपा के ललित चंद्राकर भी पूरे संगठन की टीम के साथ रिसाली में सक्रिय रहे है और अपना प्रभाव छोड़ा है। रिसाली को छोड़कर ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस व भाजपा का मुकाबला लगभग बराबर का रहा है। ग्रामीण क्षेत्र के मतदाताओं ने इस बार किसे पसंद किया है इसका भी पता मतों की गिनती के बाद ही चलेगा। लेकिन एक बार कांग्रेस एक बार भाजपा का मिथक बरकरार रहेगा या फिर टूटेगा उसका अनुमान लगा पाना मुश्किल प्रतीत हो रहा है।

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