मिलेट्स में कोदो, कुटकी भूल जाओ, पोहा, जलेबी और चाट खाओ
बालोद। शहर में खोले गए मिलेट्स कैफे इन दोनों अपना उद्देश्य भूल गया है। शासन की योजना के तहत यहां पर मिलेट्स अनाज के व्यंजन लोगों को उपलब्ध कराने थे लेकिन अब इसकी जगह भारी भोजन माने जाने वाली चीजें मिल रहीं हैं। सुबह पोहा, जलेबी और दोसा के साथ-साथ शाम को चाट और अन्य चाइनीस व्यंजन भी मिल रहे हैं, जबकि मिलेट्स कैफे में इन सब चीजो का प्रावधान नहीं है। बालोद में कला केंद्र के सामने नगर पालिका की जगह पर मिलेट्स कैफे संचालित किया जा रहा है। लगभग एक साल पहले इस कैफे की शुरुआत हुई थी। यहां पहले मिलेट्स के ही बने नाश्ते, भोजन मिलते थे। लेकिन पिछले कुछ दिनों से यहां का मिन्यू बदल गया है।
यहां जाने पर मिन्यू कार्ड से जाहिर होता है कि यहां भारी भोजन माने जाने वाली चीजे जैसे पनीर से बनी भोजन सामग्री मिल रही हैं। यहां के मेनू कार्ड भी बदल गए हैं। इसमें शुरू में 10 आइटम मिलेट्स के लिखे ज़रूर गए हैं पर ये अभी यहां नहीं मिल रहे हैं। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा पूरे प्रदेश में कई जगहों पर मिलेट्स कैफे की शुरुआत की गई है। इसमें कोदो, कुटकी ज्वार, बाजरा, जौ आदि मिलेट्स पदार्थ से बने भोजन ही देने की व्यवस्था दी गई थी। इसके पीछे का उद्देश्य बताया गया था कि मिलेट्स से बने भोजन न केवल हल्के होते हैं बल्कि बहुत ही फायदे जनक होते हैं। शुगर सहित कई पेशेंट को इन भोजनों से फायदा मिलता है। सुविधा के तौर पर इसे नगर पालिका के भवन पर संचालन की व्यवस्था दी गई है। इसका संचालन स्व सहायता समूह को दिया गया था। लगभग 1 साल तक यह ठीक ठाक चला, लेकिन पिछले कुछ दिनों से यहां सब कुछ बदल गया है।
बताया जाता है कि मिलेट्स कैफे का टेंडर महाकाल स्व सहायता समूह को दिया गया है, लेकिन जानकारी के मुताबिक अब इसका संचालन कोई और कर रहा है। संभवतया यही वजह है अब इसे रेस्टोरेंट का रूप दे दिया गया है। और रेस्टोरेंट में जिस तरह के लजीज व भारी व्यंजन दिए जाते हैं इस तरह से यहां भी लोगों के लिए सुविधा दे दी गई है। यहां कुछ दिन पहले तैयार की गई मैन्यू बुक में कुछ मिलेट के आइटम के अलावा पिज्जा, पास्ता सहित 50 से ज्यादा आइटम मिल जाएंगे जो मिलेट्स से संबंधित नहीं हैं।
मोटे अनाज को मिलेट कहते हैं। यह दो प्रकार का होता है। एक मोटा दाना और दूसरा छोटा दाना। मिलेट में ज्वार, बाजरा, रागी, झंगोरा, बेरी, कंगनी, कुटकी, कोदो, छेना या सांवा और जौ आते हैं। इन अनाजों को इम्यूनिटी बूस्टर भी कहा जाता है। कोरोना काल के बाद जब लोगों को इम्यूनिटी का ख्याल आया तब इसका काफी चलन हुआ। इसकी उपयोगिता को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में भी बनाने का निर्णय लिया है। अर्थात यह वर्ष अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। इसे खाने के कई फायदे हैं।