लोकसभा की टिकट लेने या राज्यसभा में जाने सरोज हुई सक्रिय, जलपरिसर में जनता से मिलना शुरू , सरकार बनने से राह हुई आसान

दुर्ग(चिन्तक)।भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व वरिष्ठ भाजपा नेत्री सरोज पांडे के राज्यसभा सांसद का कार्यकाल 2 अप्रेल 2024 को खत्म हो जाएगा। वहीं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद पर सरोज पांडे एक वर्ष और बनी रहेगी। फलस्वरूप सत्ता से हाशिए पर जाने से बचने सरोज के पास तीन माह का समय शेष है इसलिए उन्होने लोकसभा की टिकट पाने अथवा फिर से राज्यसभा में जाने की कवायद शुरू कर दी है।

यहां गौरतलब है कि छात्र जीवन से राजनीति में सक्रिय होकर सरोज पांडे ने सत्ता की दिशा में अपना पहला सफर दुर्ग निगम का महापौर बनकर शुरू किया था। महापौर के रूप में उन्होने एक कुशल प्रशासक होने का परिचय दिया और लोकप्रिय भी हुई। इसी वजह से दुर्ग शहर की जनता ने उन्हें दूसरी बार एतिहासिक मतों से चुनाव जीताकर पुन: महापौर बनाया।

इस बीच सरोज पांडे वैशाली नगर विधान सभा से भी प्रत्याशी बनाई गई और वहां भी जीतकर विधायक निर्वाचित हुई। लगातार दो बार महापौर और विधानसभा चुनाव जीतने की वजह से सरोज ने प्रदेश स्तरीय पहचान बनाई और राष्ट्रीय नेतृत्व की नजर में भी सामने आई। इस बीच भाजपा के सांसद रहे स्व.ताराचंद साहू ने भाजपा से इस्तीफा देकर छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच बनाया।

दुर्ग लोकसभा से चुनाव लडऩे मैदान में उतरे। भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने सरोज पांडे को उम्मीदवार बना दिया। सरोज ने चुनाव जीतकर ताराचंद साहू के लगातार सांसद बनने पर विराम लगा दिया। लगातार चार जीत के बाद सरोज पांडे ने प्रदेश व देश की राजनीति में अपनी खास पहचान बनाई लेकिन जनता के साथ दूरी और नाराजगी बढ़ती चली गई साहू समाज के साथ भी विवाद हुआ इसका परिणाम मोदी लहर में उन्हें अगले लोकसभा के चुनाव में पराजय के रूप में झेलना पड़ा। छत्तीसगढ़ की 11 सीटों मेंं से एक मात्र दुर्ग से सरोज को ही हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद संगठन में विभिन्न पदों की जिम्मेदारी संभालने के बाद राज्यसभा सांंसद बनने का अवसर मिला। अब यह कार्यकाल भी कुछ ही महीने में समाप्ति की ओर है। इसके बाद सरोज का प्रोटोकाल खत्म हो जाएगा।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सरोज पांडे अपना राजनैतिक भविष्य सुनिश्चित करने पुन: सक्रिय हो गई है। विधानसभा चुनाव में उन्हें प्रत्याशी बनने का अवसर नही मिला है। इसलिए उन्होने लोकसभा की टिकट पाने अथवा फिर से राज्यसभा में जाने प्रयास शुरू कर दिया है और इसके लिए पूरा माहौल बना रही है। सरोज ने जलपरिसर कार्यालय में बैठकर जनसमस्याओं को सुनना भी शुरूकर दिया है।
सूत्रों का कहना है कि मोदी लहर के दौरान लोकसभा चुनाव में मिली पराजय और साहू समाज के साथ नाराजगी की स्थिति बरकरार रहने की वजह से सरोज के लोकसभा के प्रत्याशी बनने पर संशय की स्थिति बनी हुई है। लेकिन राज्य मेंं भाजपा की सरकार बन जाने के बाद राज्यसभा में फिर से जाने का अवसर खुला हुआ है। अब देखना यह है कि राष्ट्र्रीय नेतृत्व सरोज को अगली कौन सी जिम्मेदारी देता है।

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