सदन में उठा NPS का मामला : वित्त मंत्री ओपी चौधरी बोले– एनपीएस के 19 हजार करोड़ खा-पीकर बर्बाद करने का था इरादा…

रायपुर। विधानसभा में एनपीएस पर जमकर बहस हुई. विधायक भावना बोहरा ने प्रश्नकाल के दौरान ओपीएस (पुरानी पेंशन स्कीम) और एनपीएस (नई पेंशन स्कीम) का मामला उठाया. बोहरा ने कहा, ओपीएस की सहमति देने वाले कर्मचारी और अधिकारियों के खाते में नियमित राशि प्रतिमाह जमा नहीं होने पर उनके खातों को नियमित रखने के लिए एनपीएस में क्या प्रावधान है? वर्तमान में की जा रही राशि की कटौती और पूर्व में एनपीएस योजना के तहत काटी गई राशि समायोजन के लिए क्या प्रयास करेंगे? एनपीएस की राशि कब तक कर्मचारियों के खाते में जमा कराई जाएगी? क्या इसकी स्थापना हो चुकी है या भविष्य में होना है?

इस पर जवाब देते हुए वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि अभी तक स्थापना नहीं हुई है और इसके संबंध में कार्यवाही शीघ्र ही की जाएगी. चौधरी ने यह भी आरोप लगाया कि पिछली सरकार की गिद्ध दृष्टि पीएफडीआरए में जमा 19 हजार करोड़ पर थी और उसे लेकर खा-पीकर बर्बाद करना चाहते थे. सरकार अपने हिस्से का 10 फीसदी अंशदान भी नहीं देना चाहती थी. उन्होंने कहा, वर्तमान में एनपीएस का विकल्प चयन करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों के वेतन से योजना के प्रावधान के अनुसार नियमित कटौती की जा रही है.

वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने बताया कि पिछली सरकार ने एनपीएस (नवीन अंशदायी पेंशन योजना) की जगह 1 नवम्बर 2004 से ओपीएस (पुरानी पेंशन योजना) को बहाल किया है. इस सिलसिले में वित्त विभाग की अधिसूचना 11 मई 2022 और अधिसूचना 20 जनवरी 2023 को जारी की गई. इसके लिए ओपीएस पेंशन के लिए प्रावधान किए गए हैं. उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार से नहीं, अपितु पीएफआरडीए से कुल राशि 19 हजार 136 करोड़ 81 हजार रुपए राज्य सरकार को प्राप्त होना है. उन्होंने आरोप लगाया कि तत्कालीन सरकार ने एनपीएस को खत्म कर ओपीएस को सिर्फ इसलिए लागू की थी कि सरकार की गिद्ध नजर एनपीएस के 19 हजार करोड़ रुपए पर थी. चौधरी ने कहा उस पैसे को ले लिया जाए, और खत्म कर दिया जाए.

मंत्री चौधरी ने कहा, एनपीएस 2004 में लागू हुआ था. इसमें प्रतिमाह 10 प्रतिशत राशि कर्मचारी और 10 प्रतिशत राज्य सरकार को देना होता है, लेकिन पूर्ववर्ती सरकार अपने हिस्से का 10 प्रतिशत देना नहीं चाहती थी. साथ में 2004 से मई- 22 तक 18 वर्ष में जमा राशि 15 हजार करोड़ रुपए लेकर बंदरबांट करना चाहती थी, ताकि राज्य के पैसे को खा-पीकर बर्बाद करने का इरादा था. चौधरी ने कहा एनपीएस में पैसे वापस करने का प्रावधान नहीं है तो पिछली सरकार ने ओपीएस कैसे लागू किया. ऐसे में कर्मचारियों को कौन सी पेंशन योजना अच्छी बुरी लगी. यह अलग विषय है, लेकिन पूर्ववर्ती सरकार अपना अंशदान नहीं देना चाहती थी इसलिए ओपीएस लागू किया.

भावना बोहरा ने कहा, दोनों ही योजनाओं में से कौन सी योजना ज्यादा बेहतर है. इस पर ओपी चौधरी ने कहा, भारत की विकास यात्रा में बिलीव करते है वो एनपीएस में बिलीव करते हैं. जिन लोगों को भारत की ग्रोथ स्टोरी पर बिलीव है उसके हिसाब से एनपीएस ज्यादा उचित है.