जेनेरिक दवाईयों की मूल्य सूची की आड़ में खेल, दूकानदार ग्राहकों का चेहरा देखकर उठा रहे हैं फायदा

दुर्ग(चिन्तक)। केन्द्र सरकार द्वारा जन सामान्य को सस्ते दर पर दवा उपलब्ध कराने के लिए जेनेरिक दवाईयों की व्यवस्था बनाई है। ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसका लाभ मिले इसके लिए सरकारी चिकित्सकों को जेनेरिक दवाईयां लिखने के निर्देश दिए हैं और इसका कड़ाई से पालन हे यह भी सुनिश्चित किया गया है।

जानकारी के अनुसार एलोपैथिक और ब्रान्डेड कंपनी की कई दवाईयों का विकल्प जेनरिक दवाईयों में मौजूद है। ब्राण्डेड कंपनी की एलौपैथिक के मुकाबले सस्ते दर पर हर प्रकार की जेनरिक दवाईयां मिल जाती है और इसका लाभ भी लोगों को मिल रहा है।

जानकारी के मुताबिक कई ब्रान्डेड एलोपैथिक दवाईयों के लिए जहां मरीज को चार से पांच हजार रूपए लगते हैं वहीं दवाईयां इसी फार्मूेले के तहत एक हजार रू. के भीतर मिल जाती है। इसलिए जेनेरिक दवाईयों की खरीदी पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। लेकिन जेनेरिक दवाईयों के मामले में कुछ ऐसी विसंगतियां उभरकर सामने आ रही है जिसका लाभ मरीजों को सही ढंग से नही मिल पा रहा है।

कई मेडिकल स्टोर्स नही देते दवाई
जेनेरिक दवाईयों का विक्रय करने के निर्देश सभी मेडिकल स्टोर्स संचालकों को दिया गया है। मेडिकल स्टोर्स के संचालक विक्रय के लिए जेनेरिक दवाईयां जरूर रखते हैं लेकिन इसका विक्रय ईमानदारी से नही करते।

बताया गया है कि मेडिकल स्टोर्स के संचालकों को ब्राण्डेड दवाईयों की बिक्री के मुकाबले में जेनेरिक दवाईयों के विक्रय से बहुत कम कमीशन मिलता है। जब भी कोई मरीज जेनेरिक दवाईयों को पर्ची लेकर इनके पास जाता है तो इसे ब्रान्डेड दवाईयों की उपयोगिता का असर व गुणगान करके इसे दिग्भ्रमित कर देते हैं। परिणाम स्वरूप जेनेरिक दवाईयां खरीदने वाला ब्रान्डेड दवा खरीदने पर मजबूर हो जाता है।

जेनेरिक दवा दूकानों में मूल्य सूची का खेल
शहर में कई स्थानों में जेनेरिक दवाईयों के विक्रय के लिए अलग अलग से मेडिकल स्टोर्स भी संचालित है। इन मेडिकल दूकानों में मूल्य सूची के आधार पर बड़ा खेल हो रहा है।

मूल्य सूची मे जिस दवा की बिक्री का रेट दो सौ रूपए लिखा है वह चालीस से पचास रूपए में मिल जाती है जेनेरिक दवा विक्रेता चेहरा देखकर इसका फायदा उठाते हैैं। शिक्षित व जानकार लोग को सही दाम में देते हैं लेकिन भोले भाले मरीज को मूल्य सूची दिखाकर 20 रूपए कम करके 180 रू. मेें थमा देते हैं। जेनेरिक दवाईयों की मूल्य सूची सही अंकित नही होने से इसका लाभ मरीजों को नही मिल पा रहा है।