पार्ले-जी आज भी 5 रुपये में मिलता है कैसे, क्या है इसके पीछे का जुगाड़

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नई दिल्ली| पार्ले जी का इतिहास लगभग 100 साल पुराना हो चला है| इस देश के कोने-कोने में पाया जाता है| कुछ दावों के अनुसार, पार्ले-जी चीन में सबसे ज्यादा बिकने वाला बिस्किट है| पार्ले-जी की लोकप्रियता के सबसे बड़े कारणों में बेशक इसका चित-परिचित स्वाद तो है ही, एक और बड़ा कारण है जो पार्ले-जी बिस्किट की दुनिया का बेताज बादशाह बनाता है| वह है इसकी कीमत| पार्ले-जी का सबसे छोटा पैक 1994 में 4 रुपये का मिलता था| आज हम 2024 में हैं और इसका सबसे छोटा पैक आज 5 रुपये का मिलता है|

30 साल में कंपनी ने अपने प्रोडक्ट की कीमत 1 रुपये ही बढ़ाई है| लेकिन ऐसा कंपनी ने किया कैसे, क्या कंपनी नुकसान में रहकर लोगों को सस्ता बिस्किट बेच रही है? इस तरह के कुछ सवाल हैं जो अब आपके मन में उठ रहे होंगे| कोई भी कंपनी खुद को नुकसान में रखकर कुछ नहीं करती है ये बात हम सभी जानते हैं| कुछ समय के लिए भले वह ऐसा कर भी दे लेकिन 30 साल तक ऐसा करना संभव नहीं है| तो फिर पार्ले-जी ने यह कैसे किया?

इसके लिए मनोवैज्ञानिक तरीके का इस्तेमाल किया गया है छोटे पैकेट की इमेज किसी के दिमाग में इतनी होती है कि जो पैकेट हाथ में फिट हो जाए वह छोटा पैकेट है| पार्ले ने इस पैकेट को धीरे-धीरे छोटा किया और दाम को पुराने वाला ही बनाए रखा| गौरतलब है कि पैकेट छोटे होने से उसकी लागत कम होती गई और कंपनी कीमतों को बरकरार रखने में कामयाब रही|

पहले पार्ले-जी का छोटा पैकेट 100 ग्राम का होता था| इसे फिर घटाकर 92 ग्राम के आसपास कर दिया गया| इसके बाद यह 88 ग्राम का हुआ और आज पार्ले-जी 55 ग्राम का आता है| 1994 से अब तक पार्ले-जी के वजन में 45 फीसदी की कटौती की जा चुकी है| अन्य एफएमसीजी कंपनियां भी इस ट्रिक का इस्तेमाल करती है, इसे ग्रेसफुल डिग्रेशन कहा जाता है|

पार्ले प्रोडक्ट्स के चेयरमैन और एमडी विजय चौहान हैं| वह और उनका परिवार यह कंपनी चलाते हैं| पार्ले ग्रुप 3 अलग कंपनियों में बंटा था उनमें से एक पार्ले प्रोडक्ट्स है| इस कंपनी के पास पार्ले-जी के अलावा मेलोडी, मैंगो बाइट, मैजिक्स और पॉपिन्स जैसे प्रोडक्ट्स हैं| वहीं, पार्ले एग्रो के अंतर्गत फ्रूट ड्रिंक्स आती हैं| मसलन, ऐप्पी फिज और फ्रूटी| तीसरा हिस्सा पार्ले बिस्लेरी है और नाम से साफ है कि यह कंपनी बिस्लेरी की मालिक है| यह तीनों कंपनियां बंटवारे के बाद चौहान परिवार के अलग-अलग लोगों द्वारा चलाई जाती हैं|

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