दुर्ग भिलाई में पानी का संकट गहराने के आसार बढ़े, तांदुला डेम में रिजर्व से भी 6 प्रतिशत पानी हुआ कम
दुर्ग (चिन्तक)। दुर्ग में मानसून के पहुंचने में अभी तीन सप्ताह से अधिक का समय शेष है। लेकिन इससे पहले आगामी कुछ दिनो के भीतर दुर्ग भिलाई में पेयजल संकट गहरा सकता है। मौजूदा स्थिति में तांदुला डेम में रिजर्व से भी पानी की मात्रा कम हो गई है। भीषण गर्मी अपना अलग असर दिखा रही है। परिणाम स्वरूप आने वाले दिनों मेंं पेयजल का बड़ा संकट पैदा हो सकता है।
जानकारी के अनुसार दुर्ग व भिलाई के लिए पानी की आपूर्ति तांदुला डेम से होती है तांदुला डेम की कुल क्षमता 310 एस.सी.यू.एस है। वर्तमान में तांदुला डेम में 52 एस.सी.यू.एस पानी शेष है जो क्षमता का 18 प्रतिशत है। तांदुला डेम मेंं कुछ क्षमता का 25 प्रतिशत रिजर्व में होना चाहिए लेकिन महज 18 प्रतिशत पानी ही शेष रह गया है। रिजर्व पानी का उपयोग गर्मी के मौसम के आखरी समय में लेकर मानसून के आने के बीच किया जाता है। इससे पानी की दिक्कत प्राय: नही होती लेकिन 8 प्रतिशत पानी कम होने से आगामी कुछ दिनो के भीतर पेयजल संकट गंभीर हो सकता है।
मौसम विभाग ने मानसून के ज्यादा होने की भविष्यवाणी की है लेकिन इसके दुर्ग तक पहुंचने 13 से 17 जून के बीच का समय बताया है। जाहिर है इसके लिए तीन सप्ताह से भी अधिक का समय लगेगा यदि मानसून के आगमन में और अधिक देरी हुई तो पेयजल के नाम पर त्राहिमाम की स्थिति बन सकती है। आने वाले कुछ दिनो के भीतर पानी की सप्लाई एक समय की जा सकती है। दूसरी पाली में सप्लाई को रोकना पड़ सकता है।
बोरिंग का जलस्तर हो रहा है नीचे
भीषण गर्मी व आसपास के तालाबों के सूखने से बोरिंग के जल स्तर मेंं भारी गिरावट आई है और पानी का स्त्रोत प्रभावित हो रहा है कई लोगों ने निजी बोरिंंग में पाईप को बढ़ाना शुरू कर दिया है कई बोरिंग में सुबह के समय ही पानी निकलने की शिकायत है। दोपहर में पानी ही नही निकल रहा है बोरिंग के जलस्तर के प्रभावित होने से पानी की आपूर्ति में परेशानी हो रही है।
जाने क्या है जलाशयो की स्थिति
जानकारी के मुताबिक तांदुला जलाशय में रिजर्व से भी 8 प्रतिशत पानी कम है जबकि गोंदली जलाशय में पिछले कुछ साल की तुलना मेंं बारह प्रतिशत पानी कम है । खरखरा में 52 प्रतिशत पानी शेष है और मरोदा जलाशय में 57 फीसदी पानी होने की खबर है।