छत्तीसगढ़ रूल्स एंड ऑर्डर क्रिमिनल में रूल 87ए जोड़ा गया: दुष्कर्म पीड़िता ने मजिस्ट्रेट को क्या बयान दिया, इसका खुलासा नहीं कर सकती पुलिस
बिलासपुर। प्रदेश में दुष्कर्म के मामलों में अब जांच अधिकारी मजिस्ट्रेट को दिए गए दुष्कर्म पीड़िता का बयान का खुलासा नहीं कर सकेंगे। कोर्ट के आदेश के बगैर बयान की कॉपी किसी भी व्यक्ति को नहीं दी जा सकेगी। बयान दर्ज कराने के लिए मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करने में 24 घंटे से अधिक की देरी होने पर जांच अधिकारी को स्पष्ट कारण दर्ज करना होगा।
दरअसल, छत्तीसगढ़ रूल्स एंड ऑर्डर क्रिमिनल में संशोधन कर रूल 87 के साथ रूल 87ए जोड़ा गया है। इसे राजपत्र में प्रकाशित किया गया है। दुष्कर्म के मामलों में दुष्कर्म पीड़िता का मजिस्ट्रेट के समक्ष सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान दर्ज कराने का नियम है। कई मामलों में बयान दर्ज कराने के बाद इसकी कॉपी हासिल करने के बाद समझौते के प्रयास शुरू हो जाते हैं। कई मामलों में देखा गया है कि ऐसे बयान का फायदा आरोपी भी उठाते हैं। मीडिया में कई बार मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज बयान प्रकाशित हो जाते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं किया जा सकेगा।
दुष्कर्म पीड़िता का बयान दर्ज कराने, मेडिकल कराने, मामले में कोर्ट में चार्जशीट प्रस्तुत करने को लेकर नियम सख्त कर दिए गए हैं। सोमवार को राजपत्र में इसे प्रकाशित किया गया है। सोमवार को ही इसकी कॉपी चीफ जस्टिस समेत सभी जजों के निज सचिवों, महाधिवक्ता, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल, बार एसोसिएशन के अध्यक्ष, सभी जिला एवं सत्र न्यायाधीशों सहित सभी संबंधित अधिकारियों व विभागों को भेजी गई है।
नियम 87 के आगे जोड़ा गया 87ए
विधि एवं विधायी विभाग, रायपुर से जारी अधिसूचना के अनुसार सीआरपीसी 1973 की धारा 477 के तहत मिली शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्यपाल ने छत्तीसगढ़ रूल्स एंड ऑर्डर क्रिमिनल के रूल 87 के आगे रूल 87 ए जोड़ने का आदेश जारी किया है। नए नियम 87 ए के तहत दुष्कर्म पीड़िता के बयान दर्ज करने को लेकर गाइड लाइन तय की गई है। इसके तहत 5 नए पॉइंट शामिल किए गए हैं।
दुष्कर्म की सूचना मिलने के तत्काल बाद जांच अधिकारी सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान दर्ज कराने पीड़िता को मजिस्ट्रेट के पास ले जाना सुनिश्चित करेंगे। बयान दर्ज करने के बाद मजिस्ट्रेट इसकी कॉपी जांच अधिकारी को देंगे, इसमें दर्ज किया जाएगा कि मामले में कोर्ट में चार्जशीट पेश होने तक बयान का खुलासा नहीं किया जाएगा। जांच अधिकारी प्रयास करेंगे कि दुष्कर्म पीड़िता को बयान दर्ज कराने के लिए महिला दंडाधिकारी के पास ले जाएंगे।
जांच अधिकारी को दुष्कर्म की घटना और पीड़िता को मजिस्ट्रेट के पास ले जाने का सही तारीख और समय दर्ज करना अनिवार्य होगा।मजिस्ट्रेट के पास बयान दर्ज कराने के लिए ले जाने में 24 घंटे से अधिक समय होने पर जांच अधिकारी को केस डायरी में स्पष्ट कारण दर्ज करना होगा। मजिस्ट्रेट को इसकी कॉपी देनी होगी।
- दुष्कर्म की घटना के तत्काल बाद पीड़िता का मेडिकल कराना होगा और बयान के लिए ले जाने पर मजिस्ट्रेट को इसकी कॉपी देनी होगी।
- कोर्ट के आदेश के बगैर दुष्कर्म पीड़िता का सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज बयान की कॉपी किसी भी व्यक्ति को नहीं दी जा सकेगी।