एक करोड़ की डिमान्ड की पूर्ति नही करने पर किया आयुष्मान कार्ड को ब्लाक, नर्सिग होम एक्ट की आड़ में वसूली, भाजपा सरकार की छवि ख्रराब कर रहा है स्वास्थ्य विभाग
दुर्ग (चिन्तक)। जिले में नर्सिंग होम एक्ट के नाम पर वसूली का बड़ा खेल चल रहा है। कार्यवाही के की आड़ में एक करोड़ तक की डिमान्ड की जा रही है जो पैसा दे रहा है उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है जो नहीं दे रहा है उसकी रिपोर्ट कार्यवाही के लिए कलेक्टर को पेश की जा रही है। सारा काम सुनियोजित तरीके से किया जा रहा है।
जानकारी के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग के कतिपय लोग एक गिरोह बनाकर इस गतिविधि को अंजाम दे रहे है। पहले शिकायत करवाई जा रही है फिर मीडिया को जानकारी देकर खबर प्रकाशित करवाई जा रही है। उसके बाद हेल्थ विभाग के अफसर जांच के लिए पहुंच रहे है। जननी सुरक्षा, आयुष्मान से लेकर अन्य योजनाओं की कमियां गिनाई जा रही है। इसके बाद मोटी रकम की डिमान्ड की जा रही है। इस धंधे में एक दो बड़े नर्सिग होम को भी शामिल किया गया है। रामनगर मिलाई के एक प्रतिष्ठित हास्पिटल में बैठकर पूरी प्लानिंग के साथ सारा षडय़ंत्र रचा जा रहा है। उस मामले का एक दिलचस्प पहलू यह है कि एक बड़े नर्सिंग होम के डायरेक्टर ने पिछले दिनो एक राजनैतिक पार्टी ज्वाइन की है। इनका उद्देश्य हेल्थ के सेक्टर में सारी प्रतिस्पर्धा को समाप्त कर अपना साम्राज्य स्थापित करने का है।
कार्यवाही पर उठे सवाल
पिछले कुछ माह के अंतराल में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने कई अस्पतालों में नर्सिंग होम एक्ट के तहत दबिश दी है। उसमें कुछ अस्पतालों को आयुष्मान कार्ड व अन्य योजना में गड़बड़ी करते कथित रूप से पाया है लेकिन किसी के खिलाफ कोई कार्यवाही नही की गयी। पिछले कुछ दिन पूर्व कादम्बरी नगर में बाईपास रोड के किनारे स्थित एक हास्पिटल के खिलाफ कार्यवाही को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। यह हास्पिटल इन दिनों गरीबो का मसीहा बना हुआ है। इस हास्पिटल में डायलसिस की ऐसी सुविधा है जो सरकारी तंत्र के पास नहीं है। जिला अस्पताल में यदि रोज पांच से दस लोगों की डायलसिस होती है तो यहां 50 की सुविधा है। यही नही जिला अस्पताल में लेकर एम्स रायपुर के मरीज यहां भेजे जाते हैं। यहां आयुष्मान से हर मरीज का आसानी से इलाज हो जाता है।
इसी वजह से पिछले तीन चार साल के अंतराल में दुर्ग और आसपास के जिले के लिए सबसे बेहतर अस्पताल बनकर उभरा है। इस अस्पताल की प्रतिष्ठा हेल्थ माफि याओं की किरकिरी बन गई है और ये अपनी दुकानदारी से घबरा गए है। इस अस्पताल में आयुष्मान कार्ड को ब्लाक कराने के नाम पर एक करोड़ की डिमान्ड करने की चर्चा है। आयुष्मान ब्लाक की कार्यवाही से मरीजों को डायलसिस में भारी तकलीफ हो रही है। जबकि यह अस्पताल भविष्य में किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा को विकसित करने में लगा हुआ है और मरीजों के आरोग्य के लिए वरदान साबित हो रहा है।
ए ग्रेड अस्पताल का हाल बेहाल
नर्सिंग एक्ट के तहत वसूली में मशगूल स्वास्थ्य विभाग ग्रेड ए के तहत अहर्ता प्राप्त जिला अस्पताल के प्रति कोई ध्यान नहीं दे रहा है। परिणाम स्वरूप मरीजो को सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है। माडल अस्पताल के कप में विकसित जिला अस्पताल का हाल बेहाल है। जिला अस्पताल में डायलसिस से लेकर एक्स रे सोनोग्राफी कलर डायलर सी0टी0 स्केन जैसी सुविधाए उपलब्ध है। लेकिन जिला अस्पताल में इलाज के लिए पहुंच रहे लोगो को दूसरी जगह रिफर किया जा रहा है। जिला अस्पताल में चिकित्सको के 45 पद है। जिसमें 22 कार्यरत है और 23 रिक्त पद हैं।
दो चिकित्सक काम पर नही आ रहे हैं। जरूरत को देखते हुए 52 की नियुक्ति संविदा में की गई है। जिसमें 22 डाक्टर एक साइंटिस्ट और 22 टेक्नीशियन है। दो डाटा एन्ट्री आपरेटर और दो स्वीपर संविदा पर है। संविदा चिकित्सकों में 13 डाक्टर ऐसे हैं जो दो से ढाई लाख वेतन पा रहे है। न्यूरो सर्जन को 3लाख व एम0डी0 एनीस्थिसिया को ढाई लाख रुपये दिया जा रहा है। लेकिन एनीस्थिसिया चिकित्सक निजी अस्पतालों में सेवा दे रहे हैं। आधादर्जन से अधिक चिाकित्सक दूसरे नर्सिंग होम में सेवाए दे रहे है। स्वास्थ्य विभाग ऐसे मामले में, किसी भी तरह की कार्यवाही नही कर रहा है और अस्पताल का सही लाभ मरीजो को मिले इसके लिए कोई पहल नही की जा रही है।
नर्सिंग होम संचालक हो रहे है लामबंद
नर्सिंग होम के खिलाफ लगातार हो रही सुनियोजित कार्यवाही के बाद सारे नर्सिंग होम संचालक व डाक्टर लामबंद हो रहे हैं। इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से शिकायत करने की तैयारी की जा रही है। नर्सिग होम एक्ट के तहत कार्यवाही करने वाले अफसर डाक्टर अनिल शुक्ला की डाक्टरी की डिग्री पर भी सवाल उठाये जारहे है। इस अफसर का नाम छत्तीसगढ़ के सीनियर चिकित्सकों. की सूची में दर्ज नहीं है। इसके बाद भी प्रोग्राम का प्रभारी बना दिया गया है।
ये अफसर पूर्व मंत्री और भाजपा के एक कद्दावर नेता के करीबी माने जाते हैं। उनका संरक्षण भी उन्हे प्राप्त है। वे समय समय बंगले में हाजिरी लगाने भी पहुंचते हैं। गलत फीडबैक डबैक देकर भ्रम फैलाना षडय़ंत्र कर नर्सिंग होम संचालको को परेशान करना इनका काम है। ये अफसर दूसरे डाक्टरों के साथथ दोयम दर्जे का व्यवहार करते हैं और अभद्रता से पेश आते हैं। इनके खिलाफ नर्सिंग होम संचालको ने एक जुट होकर मोर्चा खोल दिया है और प्रेस कान्फ्रेन्स लेने की तैयारी की जा रही है। इस अफसर के विषय में छत्तीसगढ़ मेडिकल काउन्सिल से भी जानकारी मांगी जा रही है।
कलेक्टर ने नोडल अधिकारी को लगाई है फटकार
नर्सिंग होम एक्ट की आड़ में वसूली को लेकर लगातार मिल रही शिकायत के मामले में स्वास्थ्य विभाग के अफसर मौन है विभाग के एक बड़े अफसर ने अपना नाम न छापने का आग्रह करते हुए प्रतिनिधि को बताया है कि इस मामले की जानकारी माननीय कलेक्टर महोदय को हो गयी है उन्होने इसके लिए नोड़ल अधिकारी अनिल शुक्ला को कड़ी फटकार लगायी है। इस अफसर का कहना था कि नोडल अधिकारी की डाक्टरी की डिग्री की जांच को लेकर लिखित शिकायत नही मिली है छत्तीसगढ मेडिकल कौंसिल में भी रजिस्ट्रेशन से पहले डिग्री से संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत किये जाते है वहां से जानकारी ली जा सकती है।