मरने से पहले लड़की का एक बयान और बॉयफ्रेंड को हो गई उम्रकैद, हाई कोर्ट ने क्या कहा?
रायपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए इस बात को साफ किया है कि अगर डॉक्टर यह प्रमाणित कर दे कि मरीज बयान देने के लिए स्वस्थ है तो मरने से पहले दिए उसके बयान को दर्ज किया जा सकता है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की पीठ ने दो आरोपियों की दोषसिद्धि बरकरार रखते हुए यह टिप्पणी की।
ट्रायल कोर्ट ने अपने आदेश में एक शख्स को हत्या के आरोप में दोषी ठहराया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इसके अलावा उसके साथी अमनचंद राउती को भी सबूत नष्ट करने में मदद करने के लिए दोषी ठहराया गया था। हाई कोर्ट ने दोनों की दोषसिद्धि को बरकरार रखते हुए कहा, ट्रायल कोर्ट का फैसला सही था। दरअसल मामला गीता यादव नाम की लड़की से जुड़ा है जिसे अजय यादव ने जिंदा जला दिया था। इस हादसे में गीता की मौत हो गई लेकिन मरने से पहले उसने कार्यकारी मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज करा दिया था। आरोपी को सजा उसके इसी बयान के आधार पर दी गई है। तब डॉक्टरों ने भी कहा था कि गीता बयान देने में सक्षम है।
क्या है मामला?
गीता यादव के चाचा मेघनाथ यादव ने पुलिस में शिकायत दी थी कि गीता यादव को अजय वर्मा नाम के शख्स ने जिंदा जला दिया है। उन्होंने बताया कि दोनों का अफेयर चल रहा था। मामला साल 2020 का है। शिकायत के मप गीता यादव ने अस्पताल जाते वक्त परिवारवालों को बताया था कि 16-17 अगस्त 2020 को अजय ने उसे मिलने के लिए बुलाया था। वह उससे मिलने गई तो उनके बीच बहस शुरू हो गई जिसके बाद अजय ने उसे जिंदा जला दिया और वहां से भाग गया। इसके बाद वह मुझे बचाओ चिल्लाते चिल्लाते घर भी पहुंची और परिवारवालों को घटना के बारे में बताते हुए खेत के बाहर कीचड़ में आग बुझाने की कोशिश की।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक 18 अगस्त को अजय वर्मा के खिलाफ आईपीसी की धारा 307 के तहत एफआईआऱ दर्ज की गई और उसी दिन कार्यकारी मजिस्ट्रेट ने गीता का मृत्यु पूर्व बयान दर्ज किया। तब डॉक्टर ने यह प्रमाणित कर दिया था कि गीता बयान देने में मानसिक रूप से स्वस्थ है। बाद में पीड़िता की मौत हो गई और फिर मामले की आगे की कार्रवाई हत्या के रूप में की गई।