नर्सिंग कॉलेजों में फर्जी जाति प्रमाण पत्र का भंडाफोड़, स्वास्थ्य मंत्री ने दी नामजद जानकारी
रायपुर। आज प्रदेश के शासकीय नर्सिंग महाविद्यालय में फॉर फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी करने उनके विरुद्ध प्राप्त शिकायतें शिकायतों के आधार पर की गई कार्यवाही और आधिकारिक कर्मचारियों की पदोन्नति के संबंध में प्रश्न उठे। यह भी पूछा गया कि जांच के दौरान पदोन्नति दी जा सकती है या नहीं। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने सदन को इसका जवाब दिया।
विधायक अजय चंद्राकर ने स्वास्थ्य मंत्री से पूछा था कि 28 जून 2024 की स्थिति में छत्तीसगढ़ शासकीय नर्सिंग महाविद्यालय में फर्जी प्रमाण पत्र की कितनी शिकायत है? कब-कब किन-किन के विरुद्ध प्राप्त हुई, प्राप्त शिकायतों के आधार पर विभाग द्वारा क्या-क्या कार्रवाई की गई, क्या उनके खिलाफ़ जांच समिति बनाई गई थी और यदि हां तो किस समिति द्वारा किनके– किनके खिलाफ कब-कब छानबीन व जांच की गई? जांच करने पर क्या रिपोर्ट प्राप्त हुई तथा इस संबंध में कितने बार टाइम लिमिट की बैठक की गई? उस बैठक में क्या-क्या निर्णय लिए गए? कब तक जांच पूर्ण कर ली जाएगी? जांच के दौरान किन-किन के द्वारा किस अधिकारी से सत्यापित जाति प्रमाण पत्र विभाग के समक्ष प्रस्तुत किए गए और किस-किस अधिकारी कर्मचारियों को कब-कब किन पदों पर जांच के दौरान प्रमोशन दिया गया, क्या जांच के दौरान प्रमोशन दिया जा सकता है?
जिसके जवाब में स्वास्थ्य मंत्री ने बताया है कि छत्तीसगढ़ शासकीय नर्सिंग महाविद्यालय में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के संबंध में कुल चार शिकायतें हैं। जिन में वर्षा गुर्देकर सहायक प्राध्यापक शासकीय नर्सिंग महाविद्यालय रायपुर, वीणा डेविड प्रदर्शक शासकीय नर्सिंग महाविद्यालय रायपुर, नीलम पाल सहायक प्राध्यापक शासकीय नर्सिंग महाविद्यालय रायपुर, ममता नायक सहायक प्राध्यापक शासकीय नर्सिंग महाविद्यालय राजनंदगांव के विरुद्ध शिकायतें प्राप्त हुई हैं। प्राप्त शिकायतों के आधार पर उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण जांच समिति एवं शासन द्वारा जांच की कार्यवाही की गई। नीलम पाल व ममता नायक के खिलाफ जांच पूरी कर ली गई है। वर्षा गुर्देकर और वीणा डेविड के खिलाफ जांच प्रक्रियाधीन है। विशेष सचिव चिकित्सा शिक्षा द्वारा की गई जांच में ममता नायक के द्वारा पेश महार अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र की वैधानिकता पाई गई। जबकि नीलम पाल द्वारा सतनामी जाति ( धर्म ईसाई) का प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया गया था। जो जांच में पाया गया कि अन्य पिछड़ा वर्ग होने के बावजूद अनुसूचित जनजाति वर्ग से होने का बता गलत तरीके से पदोन्नति का लाभ लिया गया है। जिसके लिए रिव्यू डीपीसी की अनुशंसा की गई है। रिव्यू डीपीसी की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।
वर्षा गुर्देकर और वीणा डेविड के संबंध में जांच प्रक्रियाधीन होने की जानकारी मंत्री ने दी। मंत्री ने बताया कि ममता नायक के स्टाफ नर्स के पद पर नियुक्ति के समय प्रस्तुत अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र अस्सिटेंट सर्जन मेडिकल कॉलेज रायपुर द्वारा सत्यापित किया गया था नीलम पाल के स्टाफ नर्स के पद पर नियुक्ति के समय प्रस्तुत अन्य पिछड़ा वर्ग जाति का प्रमाण पत्र एमजी कृष्णन एमबीबीएस एमडी मेडिकल कॉलेज जबलपुर द्वारा सत्यापित किया गया। वर्षा गुर्देकर के स्टाफ नर्स के पद पर नियुक्ति के समय प्रस्तुत अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र न्यायालय नायब तहसीलदार दल्ली राजहरा द्वारा प्रमाणित कर जारी किया गया था। वीणा डेविड के प्रथम पदस्थापना व नियुक्ति के समय प्रस्तुत अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र नायब तहसीलदार दुर्ग द्वारा प्रमाणित कर जारी किया गया था। जांच के दौरान प्रस्तुत जाति प्रमाण पत्र की प्रति संचालनालय में उपलब्ध नहीं है। पदोन्नति एवं शिक्षा के समय जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होती। उक्त कार्यवाही नियुक्ति के समय पर दर्ज की गई जाति के आधार पर नहीं की जाती।
शिकायत के परिप्रेक्ष्य में वर्षा गुर्देकर व नीलम पाल को वर्ष 2008 में स्टाफ नर्स से प्रदर्शक व वर्ष 2015 में प्रदर्शक से सहायक प्राध्यापक के पद पर पदोन्नति दी गई। नीलम पाल को वर्ष 2023 में सहायक प्राध्यापक से सह प्राध्यापक के पद पर पदोन्नति दी गई। वीणा डेविड को स्टाफ नर्स से प्रदर्शक व 2015 में प्रदर्शक से सहायक प्राध्यापक के पद पर पदोन्नति दी गई। किंतु वीणा डेविड द्वारा पदोन्नति नही ली गई। ममता नायक को वर्ष 2009 में स्टाफ नर्स से प्रदर्शक तथा वर्ष 2015 में प्रदर्शक से सहायक प्राध्यापक के पद पर पदोन्नति दी गई। वर्ष 2023 में सहायक प्राध्यापक से सह प्राध्यापक के पद पर पदोन्नति दी गई। मंत्री ने बताया कि जांच के दौरान पदोन्नति दी जा सकती है। क्योंकि उक्त अधिकारी कर्मचारियों के विरुद्ध सामान्य प्रशासन विभाग की विभिन्न कंडिका लागू नहीं होती इसलिए पदोन्नति दी गई।