बच्चों की कस्टडी चाहती थी मां, जज ने पूछा कौन से क्लास में है बच्चे, नहीं दे पायी जवाब, याचिका खारिज

बिलासपुर| छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में बच्चों की कस्टडी का एक मामला सामने आया है। एक महिला ने अपने बच्चों की कस्टडी के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में उन्होंने अपने पति के साथ रह रहे बच्चों की कस्टडी मांगी थी। लेकिन जब कोर्ट में जज ने उनसे पूछा की आपके बच्चे कौन सी कक्षा में पढ़ते हैं महिला जवाब ही नहीं दे पायी। बच्चों ने भी मां के साथ रहने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद महिला की याचिका को खारिज करते हुए बच्चों को पिता के साथ ही रहने आदेश दिया।

बता दें, पिता के साथ रह रहे 12 व 14 साल के बच्चों की कस्टडी सौंपने की महिला की याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया। मामले की सुनवाई जस्टिस रजनी दुबे व जस्टिस संजय कुमार जायसवाल के बेंच में हुई। बेमेतरा के साजा के पास गांव में रहने वाली महिला का विवाह राजकुमार के साथ साल 2008 में धमतरी के गायत्री मंदिर में हुआ था। वर्ष 2010 और 2012 में बेटे हुए। वर्तमान में दोनों बच्चे पिता के साथ थान खम्हरिया में ही रहते हैं।

वहीं महिला अपने मायके में रहती है। महिला ने वर्ष 2016 में फैमिली कोर्ट में हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 25 के तहत आवेदन प्रस्तुत किया। आवेदन में बतया कि पति जमीन और संपत्ति के लाल में उसके मायके में घरजमाई बनकर रहा। बाद में उसकी 75 डिसमिल जमीन बेची और दोनों बच्चों को लेकर थान खम्हरिया चला गया। जाने से पहले पति ने उसके मितन्हा भाई से 2 लाख रुपये उधार लिए थे। जिसे वापस नहीं किया।

महिला ने अपने यह भी बताया कि वह शिक्षाकर्मी है। पति शराब पीकर उसके साथ मारपीट करता है। मितन्हा भाई के साथ अवैध संबंध का भी आरोप लगाता रहा है। उसे और उसकी मां को जान से मारने की धमकी देता था। उनके दोनों बच्चे नाबालिग हैं। दोनों को मां की संरक्षकता भी जरूरत है। कोर्ट से दोनों की कस्टडी सौंपने की मांग की गई थी। कोर्ट ने वर्ष 2018 में आवेदन खारिज कर दिया था। तब महिला हाईकोर्ट पहुंची याचिका दायर की।

सुनवाई के दौरान पति ने बताया कि पत्नी, उसकी मां और मितन्हा भाई ने मारपीट कर उसे और दोनों बच्चों को घर से निकाल दिया था। उसने जमीन नहीं बेची है न ही 2 लाख रुपये उधार लिए हैं। वह सिलाई का काम करता है। अपने दोनों बच्चों को सरस्वती शिशु मंदिर में पढ़ाई करा रहा है। महिला ने कभी भी बच्चों से मिलने का प्रयास भी नहीं किया। बच्चे भी अपनी मां के साथ नहीं जाना चाहते।

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