सख्ती बरतने पर डीजे वालों ने कर दी है हड़ताल… जानिए SP ने हाई कोर्ट से क्या कहा

बिलासपुर। डीजे की बढ़ती धड़कनों के साथ ही प्रदेश के पुलिस अधीक्षकों की धड़कनें भी उसी अंदाज में धड़कने लगी है। पता नहीं कब डीजे को लेकर बावल हो जाए और हाई कोर्ट तत्काल तलब कर ले। जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने जमकर नाराजगी जताई।

बिलासपुर के एसपी रजनेश सिंह ने शपथ पत्र पेश कर डीजे व धुमाल संचालकों की बैठक लेने और तय लिमिट में बजाने के लिए हिदायत देने की बात कही है। कोलाहल अधिनियम के साथ ही सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के निर्देशों का गंभीरता के साथ पालन करने की कही है। महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने हाई कोर्ट को आश्वसस्त करते हुए कहा कि प्रदेशभर में स्थिति नियंत्रण में है। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के निर्देशों का पालन किया जा रहा है।

बिलासपुर जिले के पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह ने अपने शपथ पत्र में जानकारी दी है कि 29 अगस्त 2024 को उनके द्वारा एक बैठक बुलाई गई थी। इसमें उनके अलावा अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (शहर), शहर पुलिस अधीक्षक, सब डिविजनल मजिस्ट्रेट, बिलासपुर और डीजे/धुमाल के सभी संचालकों ने भाग लिया। बैठक में यह निर्देश दिया गया कि डीजे/धुमाल के सभी संचालक तय डेसिबल सीमा के भीतर ध्वनि-एम्पलीफायर का उपयोग करेंगे। यह भी निर्देशित किया गया कि ध्वनि-एम्पलीफायर/धुमाल का उपयोग अधिकारियों की अनुमति के बाद ही और दी गई तारीख और समय के लिए ही किया जाएगा। डीजे/धुमाल संचालकों को नियमों के अनुसार कार्य करने के निर्देश और सलाह दी गई और उल्लंघन के मामले में उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी। एसपी ने जानकारी के साथ ही शपथ पत्र के साथ बैठक की तस्वीर भी पेश की है।

डीजे ऑपरेटरों के एक संघ ने 10 सितंबर 2024 को कलेक्टर, बिलासपुर और पुलिस अधीक्षक, बिलासपुर को एक आवेदन दिया है कि कार्रवाई के कारण वे अपने व्यवसाय में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं और इसलिए हड़ताल पर जा रहे हैं। संघ ने फैसला किया है कि वे छत्तीसगढ़ में किसी भी स्थान पर डीजे और धुमाल नहीं बजाएंगे। इस प्रकार, एसोसिएशन का आवेदन दर्शाता है कि राज्य के अधिकारी लगातार कानूनी कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं और छत्तीसगढ़ कोलाहल नियंत्रण अधिनियम, 1985 के प्रावधानों के किसी भी उल्लंघन को नियंत्रित कर रहे हैं।

आवास एवं पर्यावरण विभाग ने छत्तीसगढ़ राज्य के सभी कलेक्टरों और सभी पुलिस अधीक्षकों को 11 सितंबर 2024 को एक ज्ञापन जारी किया है। ध्वनि प्रदूषण के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय और छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के आदेशों का कड़ाई से पालन करने के निर्देश दिए हैं। कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक और अन्य जिला अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे किसी नागरिक द्वारा फोन कॉल के माध्यम से शिकायत किए जाने का इंतजार किए बिना ध्वनि प्रदूषण करने वालों के खिलाफ अनिवार्य रूप से कार्रवाई करें।

डीजे प्लेटफॉर्म के रूप में संशोधित किसी भी वाहन को ध्वनि-बॉक्स के साथ जब्त किया जाना चाहिए। उसी वाहन द्वारा दूसरी बार उल्लंघन करने पर वाहन का परमिट रद्द कर दिया जाएगा। पत्र में यह भी कहा गया है वाहन में लगे प्रेशर हॉर्न, मल्टी-टोन हॉर्न को जब्त कर नष्ट करने का निर्देश दिया गया है। इसमें यह भी निर्देश दिया गया है कि स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, न्यायालय, कार्यालय के पास 100 मीटर की सीमा (हवाई दूरी) में लाउड-स्पीकर के उपयोग पर कार्रवाई की जाए और उपकरणों को जब्त किया जाए। दूसरी बार उल्लंघन करने वालों के मामले में, उपकरण को माननीय छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के आदेश के बाद ही छोड़ा जाएगा।

आवास एवं पर्यावरण विभाग द्वारा जारी निर्देशों के क्रियान्वयन हेतु 13 सितंबर 2024 को बैठक आहूत की गई थी। जिसमें अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (शहर) बिलासपुर, अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) बिलासपुर, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी बिलासपुर, नगर पुलिस अधीक्षक सिविल लाइन बिलासपुर तथा मिनी ट्रक परिवहन संघ के संचालक एवं सदस्यगण उपस्थित थे। बैठक में छत्तीसगढ़ शासन, आवास एवं पर्यावरण विभाग, रायपुर द्वारा जारी आदेश का कड़ाई से पालन करने हेतु मिनी ट्रक परिवहन संघ के सदस्यों को निर्देश जारी किए गए हैं। अगली सुनवाई के लिए डिवीजन बेंच ने 21 अक्टूबर की तिथि तय कर दी है।

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