सूरजपुर जिले के महिलाएं आत्मनिर्भरता के साथ कर रहीं जन सेवा

सूरजपुर : पूरा विश्व कोरोना महामारी से त्रस्त है, देश में चल रहे लॉकडाउन में कोरोना को हटाने के लिए सभी वर्ग एक-दूसरे की मदद में जुटे हुए हैं। इसी कड़ी में सूरजपुर जिले में बिहान योजना से गठित महिला स्वसहायता समूह की महिलाएं अपनी एक अलग छाप छोड़ रही हैं। जहां एक ओर लॉकडाउन के कारण लोगों के रोजगार ठप्प पड़े है और गरीब परिवारों को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है। वहीं बिहान से जुड़ी महिला स्वसहायता समूह की सदस्य लोगों की मदद के साथ ही कई गतिविधियों के माध्यम से ग्रामीण गरीब परिवारों के लोगों के रोजगार का मार्ग प्रशस्त कर रही है।

लॉकडाउन के प्रारंभिक दिनों में मास्क की उपलब्धता कम होने एवं कालाबाजारी की समस्या को देखते हुए जिले की महिला स्वसहायता समूह की सदस्यों ने मास्क निर्माण का जिम्मा उठाया। इन समूह की 120 से अधिक महिलाओं ने लॉकडाउन अवधि में 1 लाख 70 हजार मास्क का निर्माण किया। इनके द्वारा निर्मित मास्क विभागीय समन्वय के माध्यम से तेन्दूपत्ता संग्राहकों, रोजगार गांरटी योजना में कार्य कर श्रमिकांे, क्वारेंटाइन सेंटर के श्रमिकों, विभागीय अधिकारियों, कर्मचारियों निजि व सरकारी उद्यमों में कार्यरत लोगों एवं आम जनसमुदाय हेतु बेहद कम दर पर उपलब्ध कराया गया वहीं अत्यधिक कमजोर वर्ग के लोगों को निःशुल्क भी उपलब्ध कराया गया। इस गतिविधि के माध्यम से महिला समूहों ने 18 लाख 65 हजार रूपये का व्यवसाय किया।

कोरोना वायरस से बचाव हेतु सेनेटाइजर के महत्व को देखते हुए एवं आज जनमानस हेतु इसकी उपलब्धता की कमी को देखते मिठी महिला ग्राम संगठन कुंजनगर ने स्वास्थ्य विभाग में सेनेटाइजर निर्माण का कार्य प्रारंभ किया गया है। ग्राम संगठन की महिलाओं डब्ल्यूएचओ द्वारा सुझाये गये मानकों का पालने करते हुए 3238 लीटर सेनेटाइजर का निर्माण किया है। उनके द्वारा निर्मित सेनेटाइजर शासन द्वारा निर्धारित दर पर विभिन्न विभागों, क्वारेंटाइन सेंटरों एवं आम नागरिको को विक्रय किया गया। ग्राम संगठन की महिलाओं ने अब तक 2549 लीटर सेनेटाइजर विक्रय 12 लाख रूपये आय प्राप्त किया है। सेनेटाइजर के साथ ही 1800 लीटर फिनाइल तैयार कर 72 हजार रूपये की आय प्राप्त की।

लॉकडाउन के दौरान सभी भोजनालय, होटल, ढाबे बंद रहने के कारण आवागमन करने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। इस समस्या के समाधान हेतु 24 महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं ने कम्यूनिटी किचन प्रारंभ कर भोजन पैकेट वितरण का कार्य शुरू किया। इनके द्वारा 4914 पैकेट सप्लाई किया गया। इस गतिविधि से जुड़ी महिलाओं ने इससे 2 लाख 58 हजार रूपये की आय प्राप्त की। इनके द्वारा तैयार पैकेट क्वारेंटाइन सेंटरों, रास्ते में फंसे श्रमिकांे एवं अन्य यात्रियों हेतु उपलब्ध कराया जा रहा है।

सूरजपुर जिले के समस्त छः विकासखण्ड मुख्यालयों मंें महिला ग्राम संगठनों द्वारा संचालित सूरजपुर ट्राइबल मार्ट द्वारा लॉकडाउन अवधि में किराना सामान की होम डिलीवरी का कार्य किया गया। इनके द्वारा इस अवधि में 500 से अधिक घरों में 17 लाख 29 हजार रूपये के किराना सामग्री की आपूर्ति की गई।

लॉकडाउन के दौरान ग्रामीण गरीब परिवारों का रोजगार में समस्या के समाधान हेतु जिले की 168 महिलाएं स्वसहायता समूह की महिलाओं के द्वारा वन धन योजना अन्तर्गत 22 प्रकार के वनोपज जैसे हर्रा, बहेरा, चरौटा, धवई फूल, नागरमोथा, बेल गुदा, चिरौंजी गुठली, महुआ आदि शासन द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य पर क्रय करने का कार्य किया गया। इन समूहों द्वारा 11278 संग्राहकों से 2198 क्वींटल वनोपज क्रय करते हुए उन्हें 58 लाख 17 हजार रूपये का भुगतान किया गया।

बिहान योजनांतर्गत जिले मेें कार्यरत 69 बिहान समूह सखी द्वारा ग्रामीण गरीबों, पेंशनधारियों मनरेगा श्रमिकों आदि को घर पहुंच बैंकिग सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है इनके द्वारा लॉकडाउन अवधि में 7213 ट्रांजेक्शन के माध्यम से 1 करोड़ 11 लाख 60 हजार रूपये का भुगतान किया गया।

बिहान अन्तर्गत जिले के 500 से अधिक सामुदायिक संवर्ग की महिलाएं यूनिसेफ द्वारा तैयार मॉड्यूल अनुसार कोविड-19 से सुरक्षा एवं बचाव विषय पर ऑनलाईन प्रशिक्षण प्राप्त कर ग्रामीणों को इस विषय पर जागरूक करने का कार्य कर रही है। इनके द्वारा कोरोना वायरस से बचाव हेतु मास्क, हाथ धुलाई, सेनेटाइजर, दो गज दूरी एवं आवश्यक कार्य पड़ने पर ही घरों से निकलने संबंधित विषयों पर जागरूक करने का कार्य किया जा रहा है। इसके साथ ही सामूदायिक संवर्गाें द्वारा बाहर से आने वाले लोगों की जानकारी तत्काल सरपंच, सचिव को देने के लिए भी जागरूक किया जा रहा है।

बिहान योजनांतर्गत गठित विभिन्न ग्राम संगठनों द्वारा मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन के आह्वान पर कोरोना वायरस से बचाव, सुरक्षा एवं ईलाज में सहायता हेतु 41 हजार रूपये मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा किया गया। लॉकडाउन के दौरान उत्पन्न विभिन्न समस्याओं से लड़ते हुए महिलाओं द्वारा उठाये गये कदम से जहां एक ओर लोगों की मदद हुई है वहीं इन गतिविधियों से कई हजार लोगों को रोजगार प्रदान करते हुए समस्त गतिविधियों से एक करोड़ रूपये से अधिक रोजगार के माध्यम से आय का साधन उपलब्ध कराया है।