हाईकोर्ट ने नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता को नहीं दी गर्भपात की अनुमति, जानें क्यों….
बिलासपुर| छत्तीगसढ़ हाईकोर्ट में 15 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता ने याचिका दायर कर अपने 28 सप्ताह और 3 दिन के अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाने के लिए अबार्शन की अनुमति मांगी थी। कोर्ट के आदेश पर मेडिकल बोर्ड ने पीड़िता की जांच करायी। बोर्ड ने अपनी रिर्पोअ में अबार्शन करने की स्थिति में पीड़िता की जान को गंभीर खतरा होने की जानकारी देते हुए अबार्शन ना करने की सलाह दी। मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के बाद हाईकोर्ट ने पीड़िता की अपील को खारिज कर दिया है।
बता दें, मामले की सुनवाई जस्टिस सचिन सिंह राजपूत के सिंगल बेंच में हुई। कोेर्ट ने राज्य शासन को निर्देशित किया है कि पीड़िता की डिलीवरी का खर्च राज्य शासन वहन करें साथ ही याचिकाकर्ता पीड़िता और परिजनों को यह छूट दी है कि डिलीवरी के बाद अगर वे चाहें तो बच्चे को गोद दे सकते हैं। कोर्ट ने राज्य शासन को निर्देशित किया है कि बच्चे को गोद देने की स्थिति में प्रक्रिया पूरी कराने की जिम्मेदारी शासन की होगी।
बीते सप्ताह हुई सुनवाई में हाई कोर्ट ने बलौदा बाजार जिले के मेडिकल बोर्ड को पीड़िता की जांच करने और अबार्शन को लेकर स्थिति स्पष्ट करने कहा था। मेडिकल बोर्ड ने हाईकोर्ट के समक्ष रिपोर्ट सौंप दी है। बोर्ड ने पीड़िता का अबार्शन करने की स्थिति में जान को खतरा बताया है।
कोर्ट ने सुनवाई के बाद माना कि पीड़िता की जांच के बाद पेश मेडिकल रिपोर्ट से यह साफ है कि भ्रूण स्वस्थ्य है और उसमें कोई गंभीरर स्पष्ट विसंगति नहीं है। मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि रिपोर्ट में यह साफ है कि पीड़िता का अबॉर्शन हुआ तो उसके जीवन को बड़ा खतरा हो सकता है। कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के बाद गर्भावस्थ को समाप्त करने की अनुमति देने से इंकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया है।