रायपुर दक्षिण विधानसभा उपचुनाव…कांग्रेस से दुर्ग और राजनांदगांव के नेताओं ने ठोका दावा, भाजपा से भी बाहरी प्रत्याशी हावी

रायपुर| रायपुर के दक्षिण विधानसभा में जल्द ही उपचुनाव का ऐलान हो सकता है। इस बीच कांग्रेस में दुर्ग और राजनांदगांव के नेताओं की एंट्री से समीकरण बदल गया है। वहीं भाजपा में भी दूसरी विधानसभाओं के नेता दावेदारी कर रहे हैं। सवाल है कि दक्षिण के दंगल में बाहरी नेता क्यों कूदने जा रहे हैं।

रायपुर दक्षिण विधानसभा के चुनाव में यूं तो पहली बार बृजमोहन अग्रवाल की गैरमाैजूदगी से भाजपा और कांग्रेस नेताओं की उम्मीदें जागी थी। लेकिन स्थानीय नेताओं की एक्सरसाइज से पहले ही बाहरी नेताओं ने दक्षिण के दंगल में दांव आजमाने का ऐलान कर दिया है। कांग्रेस में दुर्ग और राजनांदगांव के नेताओं ने रायपुर दक्षिण से दावेदारी ठोक दी है।

वहीं भाजपा में भी रायपुर पश्चिम, ग्रामीण और उत्तर के नेता दावेदारी करते नजर आ रहे हैं। सबसे दिलचस्प राजनांदगांव के नेताओं की रायपुर में दावेदारी है। दरअसल विधानसभा चुनाव में करुणा शुक्ला, गिरीश देवांगन और लोकसभा चुनाव में भूपेश बघेल ने राजनांदगांव से चुनाव लड़ा। अब राजनांदगांव के कांग्रेस नेताओं ने रायपुर दक्षिण से दावेदारी कर दी है।

कांग्रेस नेता अफताब आलम के लिए राजनांदगांव के कांग्रेसियों ने टिकट मांगा है। इस संबंध में पीसीसी के पूर्व महामंत्री कुतुबुद्दीन सोलंकी के साथ स्थानीय नेताओं ने वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात भी की है। उनका कहना है, जब रायपुर के नेता राजनांदगांव से चुनाव लड़ सकते हैं, तो वहां के नेता को भी रायपुर दक्षिण से टिकट दिया जाना चाहिए। इसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता स्वर्गीय मोतीलाल वोरा के परिवार से राजीव वोरा ने भी रायपुर दक्षिण से टिकट मांगा है।

दूसरी ओर भाजपा से भी संजय श्रीवास्तव, मीनल चौबे, केदार गुप्ता, अमित साहू जैसे नेताओं की दावेदारी रायपुर दक्षिण विधानसभा से सामने आई है। ये सभी नेता रायपुर दक्षिण के बाहर के हैं। यही वजह है कि एक तरफ जहां बाहरी नेताओं की दावेदारी ने दक्षिण में हलचल तेज कर दी है। वहीं इसे लेकर भाजपा और कांग्रेस में जुबानी जंग भी छिड़ गई है।

भाजपा के पूर्व सांसद सुनील सोनी ने कहा भूपेश बघेल राजनांदगांव में चुनाव लड़ने गए थे। अब राजनांदगांव वालों ने रायपुर की टिकट मांगी है। यह आपसी खींचातान का परिणाम है । कांग्रेस के लोग चुनाव को सीरियस नहीं लेते एक दूसरे को निपटाने में लगे रहते हैं।

वहीं पूर्व मंत्री शिव डहरिया कहते हैं कि टिकट की दावेदारी तो कोई भी कर सकता है, फैसला पार्टी करेगी। दक्षिण के चुनाव में अब तक स्थानीय नेताओं की ही एक अनार सौ बीमार जैसी स्थिति बनी हुई थी। अब बाहरी नेताओं की एंट्री ने जहां स्थानीय दावेदारों की चिंता बढ़ा दी है।

वहीं रायपुर दक्षिण में हलचल भी तेज होती नजर आ रही है, ऐसे में किसे मिलेगी टिकट और दक्षिण के दंगल का कौन होगा विजेता, यह तो आने वाले वक्त में पता चलेगा। फिलहाल तो नए नेताओं की एंट्री ने समीकरण जरूर बदल दिया है।