हाई कोर्ट के फैसले के बाद रेलवे को जल्द मिलेंगे 104 असिस्टेंट लोको पायलट

बिलासपुर। एएलपी की भर्ती के लिए जारी चयन सूची में गड़बड़ी करने के आरोप में कई गई शिकायत को सही पाते हुए कैट ने रेलवे अफसरों को पूर्व में शॉर्टलिस्ट सूची में बगैर परिवर्तन किए चयनित उम्मीदवारों की सूची दोबारा जारी करने का आदेश दिया है। केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण के आदेश को रेलवे बोर्ड ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। मामले की सुनवाई के बाद रेलवे बोर्ड और रेलवे चयन भर्ती सेल के चेयरमैन की याचिका हाई कोर्ट की डीविजन बेंच ने खारिज कर दी है।

कैट ने मई 2023 में रेलवे को असिस्टेंट लोको पायलट भर्ती के लिए शार्ट लिस्टेड किए गए उम्मीदवारों की सूची दोबारा जारी करने का निर्देश दिया था। जारी आदेश में कैट ने अफसरों को यह भी हिदायत दी थी कि श्रेणी परिवर्तन किए बिना ही सूची तैयार करनी है। कैट ने पूरी प्रक्रिया को 90 दिनों में करने रेलवे अफसरों को निर्देश जारी किया था।

कोर्ट ने कैट के आदेश को सही ठहराया

मामले की सुनवाई जस्टिस रजनी दुबे व जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डीविजन बेंच में हुई। डीविजन बेंच ने अपने फैसले में केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण के आदेश को सही ठहराते हुए रेलवे अफसरों की याचिकाओं को खारिज कर दिया है।

रेलवे ने अगस्त 2018 में असिस्टेंट लोको पायलट के 164 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था। चयन प्रक्रिया कंप्यूटर आधारित परीक्षा यानी CBT के जरिए होनी थी। प्रक्रिया पूरी करने के बाद रेलवे ने अक्टूबर 2019 को अनारक्षित श्रेणी में 328 उम्मीदवार शार्टलिस्ट किया। सभी 328 उम्मीदवार CBT में शामिल हुए। इसके बाद रेलवे ने 104 उम्मीदवारों को शार्टलिस्ट किया और फरवरी 2020 को दस्तावेजों के सत्यापन के लिए शार्टलिस्ट किये गए उम्मीदवारों को आमंत्रित किया। इसी बीच रेलवे ने अन्य श्रेणियों को मिलाकर 135 उम्मीदवारों की एक अनंतिम सूची जारी कर मेडिकल के लिए बुलाए गए।

रेलवे ने 3 ऐसे उम्मीदवारों को भी मेडिकल के लिए बुलाया जिनका नाम फरवरी 2020 की पैनल सूची में नहीं था। इसके खिलाफ जे अनिल व शुभम ने रेलवे को जुलाई 2020 को पत्र लिखा। उम्मीदवारों के अभ्यावेदन पर विचार किए बिना ही रेलवे ने कटऑफ मॉर्क्स की घोषणा कर दी। बताया गया कि 21 उम्मीदवार मेडिकल में असफल रहे हैं, जिस कारण उन्हें अयोग्य घोषित किया गया है। इसके बाद सितंबर 2020 को दो लोगों की एक और अनंतिम सूची जारी की गई।

दोनों उम्मीदवारों ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण में आवेदन प्रस्तुत कर बताया कि अपेक्षित योग्यता रखने के बाद भी रेलवे अफसरों ने उन्हें एएलपी के पद के लिए पैनल में शामिल नहीं किया है। अधिकरण ने दोनों आवेदन मंजूर करते हुए रेलवे बोर्ड को शार्ट लिस्टेड किए गए उम्मीदवारों की सूची में श्रेणी परिवर्तन किए बिना ही फिर से तैयार करने के निर्देश दिए थे। कैट के इसी आदेश के खिलाफ रेलवे के अफसरों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।

हाई कोर्ट के डीविजन बेंच ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण के आदेश को यथावत रखते हुए रेलवे अफसरों की याचिका खारिज कर दी है। डीविजन बेंच ने रेलवे को निर्देश दिया है कि कैट के 4 मई 2023 के आदेश का समय सीमा के भीतर पालन करें।