नेपाल की राष्ट्रपति ने देश के नए नक्शे पर किया साइन, तीन भारतीय इलाकों पर जताया हक

नेपाल की राष्ट्रपति बिध्या देवी भंडारी ने कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को शामिल कर नेपाल के नक्शे को बदलने के लिए संविधान संशोधन विधेयक पर गुरुवार (18 जूऩ) को हस्ताक्षर कर दिया। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 274 (10) में संशोधन वाले विधेयक को मंजूरी प्रदान कर दी। इसके साथ नए नक्शे को लागू करने की प्रक्रिया आधिकारिक रूप से पूरी हो गई है। नेपाल की ‘कोट ऑफ आर्म्स’ अब नए नक्शे में लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी क्षेत्रों को शामिल करेगी। इसके बाद सभी आधिकारिक दस्तावेजों में नए नक्शे का इस्तेमाल किया जाएगा। गौरतलब है कि नेपाल के संशोधित नक्शे में भारत की सीमा से लगे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा इलाकों पर दावा किया गया है।

इससे पहले भारत के कड़े विरोध के बावजूद नेपाल की संसद ने उस नए राजनीतिक नक्शे को अद्यतन (अपडेट) करने के लिए संविधान में बृहस्पतिवार (18 जून) को संशोधन कर दिया, जिसमें रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भारत के तीन क्षेत्रों को शामिल किया गया है। भारत ने नेपाल के मानचित्र में बदलाव करने और कुछ भारतीय क्षेत्रों को उसमें शामिल करने से जुड़े संविधान संशोधन विधेयक को नेपाली संसद के निचले सदन में पारित किए जाने पर शनिवार (13 जून) को प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि यह कृत्रिम विस्तार साक्ष्य एवं ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं है और यह ”मान्य” नहीं है।
भारत ने नवंबर 2019 में एक नया नक्शा जारी किया था, जिसके करीब छह महीने बाद नेपाल ने पिछले महीने देश का संशोधित राजनीतिक और प्रशासनिक नक्शा जारी कर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इन इलाकों पर अपना दावा बताया था। नेपाली संसद के ऊपरी सदन यानी नेशनल असेम्बली ने संविधान संशोधन विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया। इसके बाद नेपाल के राष्ट्रीय प्रतीक में नक्शे को बदलने का रास्ता साफ हो गया है।

नेशनल एसेंबली में सभी 57 सदस्यों का मिला समर्थन
नेपाली संसद के ऊपरी सदन में संविधान संशोधन विधेयक रविवार (14 जून) को पेश किया गया था। इससे एक दिन पहले निचले सदन से इसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया था। ऊपरी सदन में मौजूद सभी 57 मौजूद सदस्यों ने विधेयक के समर्थन में मतदान किया। नेशनल असेम्बली के सभापति गणेश तिमिलसिना ने बताया कि सभी 57 सदस्यों ने विधेयक के समर्थन में मतदान किया। उन्होंने कहा, ”विधेयक के खिलाफ कोई मत नहीं पड़ा और किसी भी सदस्य ने तटस्थ श्रेणी के लिए मतदान नहीं किया।” कैबिनेट ने 18 मई को नए राजनीतिक नक्शे का अनुमोदन किया था।

13 जून को प्रतिनिधि सभा में पास हुआ था बिल
नेपाली संसद की प्रतिनिधि सभा (निचले सदन) में शनिवार (13 जून) को नए विवादित नक्शे को शामिल करते हुए राष्ट्रीय प्रतीक को अद्यतन (अपडेट) करने के लिए संविधान की तीसरी अनुसूची को संशोधित करने संबंधी सरकारी विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किया गया था। नेपाली कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता पार्टी-नेपाल और राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी समेत प्रमुख विपक्षी दलों ने नए विवादित नक्शे को शामिल करते हुए राष्ट्रीय प्रतीक को अद्यतन करने के लिए संविधान की तीसरी अनुसूची को संशोधित करने संबंधी सरकारी विधेयक के पक्ष में मतदान किया था। नेपाल के निचले सदन में मौजूद सभी 258 सांसदों ने संशोधन विधेयक के पक्ष में मतदान किया। प्रस्ताव के खिलाफ एक भी मत नहीं पड़ा। संसद ने नौ जून को आम सहमति से इस विधेयक के प्रस्ताव पर विचार करने पर सहमति जताई थी जिससे नए नक्शे को मंजूर किए जाने का रास्ता साफ हुआ।

सड़क निर्माण शुरू होने पर तनाव हुआ
भारत और नेपाल के बीच रिश्तों में उस वक्त तनाव दिखा जब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आठ मई को उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे को धारचुला से जोड़ने वाली रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन किया। नेपाल ने इस सड़क के उद्घाटन पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए दावा किया कि यह सड़क नेपाली क्षेत्र से होकर गुजरती है। भारत ने नेपाल के दावों को खारिज करते हुए दोहराया कि यह सड़क पूरी तरह उसके भूभाग में स्थित है।

नेपाल ने पिछले महीने जारी किया था देश का नया नक्शा
नेपाल ने 18 मई को देश का संशोधित राजनीतिक और प्रशासनिक नक्शा जारी कर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इन इलाकों पर अपना दावा बताया था। भारत यह कहता रहा है कि यह तीन इलाके उसके हैं। काठमांडू द्वारा नया नक्शा जारी करने पर भारत ने नेपाल से कड़े शब्दों में कहा था कि वह क्षेत्रीय दावों को “कृत्रिम रूप से बढ़ा-चढ़ाकर” पेश करने का प्रयास न करे।

भारत से वार्ता कर जमीन वापस लेंगे
नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने इस महीने के शुरू में कहा था कि उनकी सरकार कालापानी मुद्दे का समाधान ऐतिहासिक तथ्यों और दस्तावेजों के आधार पर कूटनीतक प्रयासों और बातचीत के जरिये चाहती है। ओली ने बुधवार (10 जून) को नेपाली संसद में सवालों का जवाब देते हुए कहा, “हम भारत के कब्जे वाली जमीन को बातचीत के जरिए वापस लेंगे।” उन्होंने दावा किया कि भारत ने एक काली मंदिर बनाया, जिसमें “एक कृत्रिम काली नदी” बनाई और कालापानी में सेना की तैनाती कर नेपाली क्षेत्र का अतिक्रमण किया। नदी दोनों देशों के बीच की सीमा है।

ईपीजी की रिपोर्ट स्वीकार करे भारत
ओली ने भारत और नेपाल के प्रख्यात व्यक्तियों के समूह (ईपीजी) द्वारा तैयार संयुक्त रिपोर्ट को स्वीकार करने को लेकर भारत की अनिच्छा की भी शिकायत की। उन्होंने कहा कि नेपाल रिपोर्ट स्वीकार करने के लिए तैयार है, लेकिन यह तब तक व्यर्थ होगा जब तक दोनों सरकारें इसे स्वीकार नहीं करतीं। उन्होंने कहा कि दो साल पहले जो रिपोर्ट तैयार की गई थी, उसे स्वीकार करने के लिए भारत ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।

भारत ने कहा, नेपाल का यह कदम मान्य नहीं
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने शनिवार (13 जून) को कहा था, ”हमने इस बात पर गौर किया है कि नेपाल ने मानचित्र में बदलाव करते हुए कुछ भारतीय क्षेत्रों को इसमें शामिल करने के लिए संविधान संशोधन विधेयक पारित किया है। हमने पहले ही इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है।” उन्होंने कहा था कि दावों के तहत कृत्रिम रूप से विस्तार, साक्ष्य और ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं है और यह मान्य नहीं है। प्रवक्ता ने कहा था, ”यह लंबित सीमा मुद्दों का बातचीत के जरिए समाधान निकालने के संबंध में बनी हमारी आपसी सहमति का भी उल्लंघन है।”